अच्छी है ये तबाही
-तुषार कोठारी
टीवी पर एक विज्ञापन आता है,ये दाग अच्छे है। तबाही कभी अच्छी नहीं होती,लेकिन शहर के राम मन्दिर क्षेत्र में सज्जनमिल रोड पर तबाही का सा मंजर है। शहर के लिए अच्छी है ये तबाही।
शहर का हर बाशिन्दा चाहता है कि शहर का विकास हो,लेकिन जब विकास की कीमत चुकाने की बात आती है,हर कोई पीछे हट जाता है। चौडी सड़कें विकसित शहर की पहचान होती है। रतलाम को जब इसके निर्माताओं ने बनाया था,तब सुनियोजित ढंग से बनाया था। चौडी सड़कें,खुले मकान,अण्डर ग्राउण्ड सीवर सिस्टम। लेकिन आजादी के बाद में सड़कें सिकुडती गई। जनसंख्या बढी,लेकिन साथ ही लोगों में अधिक जमीन हडपने की लालसा भी बढी। घर के आगे का आंगन बन्द कर दिया गया,फिर वहां दुकान बना दी गई। दुकान के आगे ओटला बना,फिर उसी ओटले पर दुकान का काउण्टर आ गया। सड़क सिकुडती रही। व्यवसाय बढता रहा। आज शहर के बाजारों में पैदल चलने की जगह नहीं है। जहां शापिंग काम्प्लेक्स बने हैं,वहां पार्किंग में भी दुकानें खोल दी गई है। वाहन सड़कों पर खडे है,लोगों के चलने के लिए जगह नहीं बची है।
अतिक्रमण हटाने की बातें होती है लेकिन जब भी मुहिम शुरु होने को होती है,जनप्रतिनिधियों का दबाव प्रशासन को दबा देता है। मुहिम रुक जाती है। लम्बे अरसे बाद शहर की सूरत बदलने का प्रयास शुरु हुआ है। एक अधिकारी के बदलने से सबकुछ बदलने लगा है। नेता चुप है। अतिक्रमणकर्ताा घबराए हुए है। अब उम्मीद जगी है कि सज्जन मिल रोड से शुरु हुआ यह अभियान शहर के हर इलाके तक पंहुचेगा और शहर की तस्वीर बदलेगी।
बदलाव का पूरा श्रेय कलेक्टर बी चन्द्रशेखर को है। सत्तारुढ पार्टी के विधायक और मंत्री भी उन पर दबाव नहीं बना पाए। गुरुवार की सुबह से सज्जनमिल रोड पर शुरु हुआ अभियान बिना किसी बाधा के चला। कलेक्टर की प्रबल इच्छाशक्ति का ही नतीजा था कि अभियान में किसी तरह की रुकावट या बाधा खडी नहीं हो पाई। कोई भी विरोध के लिए सामने खडा नहीं हो पाया। उम्मीद की जाए कि कलेक्टर चन्द्रशेखर अपना अभियान शहर के भीतरी इलाकों तक ले जाएंगे और व्यस्ततम बाजार क्षेत्रों में फिर से चौडी सड़के देखने को मिलेगी।