November 20, 2024

ज़ोरदार बारिश के बाद भी नहीं उडी नगर निगम की नींद ,जर्जर भवनों से जनहानि का कर रहे इंतजार जिम्मेदार

रतलाम 28 जून (इ खबरटुडे)। रतलाम नगर में हुई तेज बारिश के बाद भी निगम अमले की सुस्ती उड़ने का नाम नहीं ले रही है।निगम के मुख्य अधिकारियो के अंतरीय मदभेदों का परिणाम नगर की जनता को भुगतना पड़ेगा। इसका पहला नूमना नगर निगम की बारिश से पूर्व की जाने वाली सामान्य तैयारी में ही देखा जा सकता है। शहर में साल दर साल जर्जर मकानों की लिस्ट बढ़ती जा रही है। ऐसे में मानसून सिर पर है, भारी बारिश होने पर जनहानि हो सकती है। निगम ना ही इन मकानों को खाली करवा रहा है, और ना ही गिराने की कोशिश कर रहा है।नगर में दो बार जोरदार बारिश भी हो चुकी है। लेकिन निगम की तैयारी इसके बिल्कुल प्रतिकूल है,निगम ने ना तो नगर में सीवरेज लाइन का काम पूरा किया और ना ही नालो की सफाई के साथ जर्जर भवनों की ओर कोई ध्यान दिया है। जिसका नतीजा नगर की जनता पूरी बारिश में भुगतेगी। इसका प्रमुख कारण निगम कमिश्नर और महापौर के आपसी मदभेद। इसी के चलते दोनों ही एक दूसरे कार्य में टांग अड़ाने से बाज नहीं आते है। लेकिन ये दोनों भूल जाते है की इन दोनो के इस रवैये से नगर की जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

निगम की जिम्मेदारी होती है की बारिश से पूर्व शहर के जर्जर भवनों को चिन्हित कर उन्हें गिराने का नोटिस जारी करे लेकिन निगम अधिकारी उसके पहले जनता की नजरो में गिर गए। 4 दिन पूर्व नगर के मध्य बजाज खाना क्षेत्र में एक पुराना जर्जर भवन सामान्य बारिश में भरभरा कर गिर पड़ा था । गनीमत रही की उस दौरान सड़क पर कोई वाहन या पैदल व्यक्ति नहीं था अन्यथा कोई बड़ी जनहानि हो सकती थी ,परन्तु वही पास में स्थित एक दुकान में भवन का बड़ा हिस्सा गिरने से दुकान को नुकसान हुआ। लेकिन बेपरवाह निगम अभी भी अपनी जिम्मेदारी समझने को तैयार नहीं है।

हादसे के बाद भी नगर के कई क्षेत्रों में आज भी ऐसे भवन खड़े है जो बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते है। लेकिन निगम अधिकारी अपने मियां-बीवी जैसे झगड़ो के चलते कार्यवाही नहीं की जा रही है।

 

हर साल जारी होते हैं नोटिस : निगम हर साल जर्जर मकानों को खाली करने के लिए नोटिस जारी करता है। लेकिन निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। निगम ने इन मकानों को गिराने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया तो बारिश में आधे से ज्यादा मकान खुद गिर जाएंगे। मकानों के गिरने से आसपास के लोगों को भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। निगम कार्रवाई कर जनहानि को रोक सकता है।

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