हांगकांगः चीन को झटका, जिला परिषद चुनाव में लोकतंत्र समर्थकों की बड़ी जीत
हांगकांग, 25 नवंबर(इ खबर टुडे)। हांगकांग में छह महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच रविवार को जिला परिषद के लिए रिकॉर्ड तोड़ 70 प्रतिशत वोटिंग हुई. मतदान के इस रुझान को सरकार विरोधी और लोकतांत्रिक समूह की भारी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. इस चुनाव को हांगकांग की नेता और चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम के लिए एक शक्ति परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है.
लोकतंत्र समर्थक विरोध समूहों को उम्मीद है कि करीब छह महीने की अशांति और सरकार विरोध के बाद हुई वोटिंग से चीनी सरकार को एक संदेश मिलेगा. वित्तीय हब माने जाने वाले हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों ने पहली बार 452 जिला परिषद सीटों में से आधे से अधिक पर जोरदार जीत हासिल की है.
जब आधी रात के बाद नतीजे आने शुरू हुए तो बीजिंग समर्थक लोग डेमोक्रेट्स की जीत से परेशान नजर आए. कुछ मतदान केंद्रों पर लोकतंत्र समर्थक जोर-शोर से ‘लिबरेट हांगकांग, रिव्योलूशन नाऊ’ के नारे लगा रहे थे. हांगकांग की सड़कों पर यह नारा पिछले छह महीने से गूंज रहा है.
जीत को लोकतांत्रिक सुनामी बताया
हांगकांग में जिला परिषद चुनाव में जीत हासिल करने वाले उम्मीदवारों का कहना है कि यह जीत लोकतंत्र समूहों की जीत है. ये नतीजे प्रदर्शनकारियों के समर्थन की गवाही दे रहे हैं. इस नतीजे से चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम पर दबाव बढ़ेगा जिन्हें चीन का समर्थक माना जाता है.कैरी लैम की वजह से हांगकांग एक दशक से अधिक समय से धरना प्रदर्शनों का गवाह बना हुआ है. चीन की सीमा से सटे यूएन लॉन्ग जिले में एक सीट से जीत हासिल करने वाले पूर्व छात्र नेता टॉमी चेउंग ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की शक्ति है. यह एक लोकतांत्रिक सुनामी है.’
रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग
बता दें कि रविवार को हांगकांग के जिला परिषद चुनाव में अभूतपूर्व 70 प्रतिशत मतदान हुआ. महीनों चले विरोध प्रदर्शन के बीच अप्रत्याशित संख्या में मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया. रविवार को हुए स्थानीय चुनाव में 41 लाख 30 हजार पंजीकृत मतदाताओं में से 29 लाख 40 हजार लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वोटिंग का यह आंकड़ा 2015 में हुए चुनाव से 47 प्रतिशत से भी अधिक था. गौरतलब है कि 1999 में चुनावों के शुरू होने के बाद 2015 में पड़े मतों की संख्या अपने आप में एक रिकॉर्ड थी.
क्यों अहम है यह चुनाव
हांगकांग में जिला परिषदों में वास्तव में बहुत कम ताकत होती है. इसलिए आमतौर पर यह चुनाव बहुत ही स्थानीय स्तर पर होता है. लेकिन इस चुनाव को अलग माना जा रहा है. जून में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के बाद यह पहला चुनाव है. इसलिए यह एक तरह से कैरी लैम के लिए लिटमस टेस्ट की तरह माना जा रहा है जो यह बता रहा है कि मौजूदा सरकार को कितना समर्थन है.