हर्षोल्लास से हुआ रावण का दहन
हर बार की तरह देरी से मनी विजयादशमी
रतलाम,13 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। बुराई के प्रतीक रावण पर राम की विजय का पर्व विजयादशमी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। हर बार की तरह इस बार भी रावण दहन का कार्यक्रम बेहद देरी से संपन्न हुआ।
नेहरु स्टेडियम में नगर निगम द्वारा बनाए गए रावण का दहन रात दस बजे संपन्न हुआ। इससे पहले करीब 45 मिनट तक आकर्षक आतिशबाजी का प्रदर्शन किया गया। करीब पौन घण्टे तक आसमान में रंग बिरंगी रोशनियों का नजारा आनन्द देता रहा। रावण दहन के कार्यक्रम के लिए जैसे पूरा शहर उमड पडा था। स्टेडियम में जहां हजारों महिला पुरुष और बच्चे मौजूद थे,वहीं आसपास की दुकानों की छतों पर भी हजारों की भीड मौजूद थी। रात करीब दस बजे कालिका माता सेवा मण्डल ट्रस्ट द्वारा निकाली जाने वाली भगवान राम की शोभायात्रा नेहरु स्टेडियम पंहुची। इसके बाद आतिशबाजी द्वारा बनाई गई लंका का दहन किया गया और फिर भगवान राम ने रावण का दहन किया।
हर बार की तरह दहन में देरी
पूरे भारत में रावण दहन का कार्यक्रम गोधूलि बेला में किया जाता है। यही शाोक्त भी है। वास्तव में भगवान राम ने शाम के ही समय रावण का वध किया था। यही वजह है कि देश के सभी नगरों में रावण दहन शाम को किया जाता है। उज्जैन,इन्दौर,नई दिल्ली जैसे तमाम शहरों में यही परंपरा है। लेकिन रतलाम में रावण दहन देर रात को किया जाता है। कालिका माता सेवा मण्डल ट्रस्ट की हठधर्मिता के कारण रावण दहन देरी से होता है। कालिका माता सेवा मण्डल द्वारा भगवान राम की शोभायात्रा निकाली जाती है। यह शोभायात्रा पूरे शहर में घूमती है और इसके बाद नेहरु स्टेडियम पंहुचती है। तब कहीं जाकर रावण दहन होता है। कई बार यह प्रश्न उठाया जा चुका है,परन्तु कालिका माता सेवा मण्डल ट्रस्ट के पदाधिकारी इस बारे में विचार करने को राजी नहीं होते। उन्हे यह सुझाव भी दिया गया है कि वे पहले रावण दहन कराएं और इसके बाद शहर में विजय जुलूस निकालें। यही कारण है कि रतलाम में धार्मिक परंपराओं को ताक पर रख कर रात को रावण दहन होता है।