November 15, 2024

स्व-रोजगार:ज्योति ने घर में ही खोला श्रंगार सामग्री का शो-रूम

खंडवा ,11 जनवरी (इ खबरटुडे)। खंडवा शहर के रामनगर की ज्योति पति प्रेमलाल संदूके के लिए मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना वरदान सिद्ध हुई है। पहले घर में ही सिलाई, कढ़ाई करने वाली ज्योति इस योजना में मिली 1 लाख 60 हजार रुपये की आर्थिक मदद से अब सफल व्यवसायी बनती जा रही है। ज्योति को लगभग 48 हजार रुपये का अनुदान सुविधा भी मिली है। इससे उसे अब मात्र 1 लाख 12 हजार रुपये ही चुकाना है।स्व-रोजगार योजना के तहत मिली आर्थिक मदद से ज्योति ने अपने घर में ही सिलाई, कढ़ाई, पीको और फाल लगाने के साथ-साथ कटलरी, साड़ी विक्रय तथा महिलाओं की श्रंगार सामग्री का छोटा सा शो-रूम शुरू किया है। अब बैंक की 3800 रुपये मासिक किश्त तथा अन्य खर्चे निकालकर 20-25 हजार रुपये महीने आसानी से बचत कर लेती है। इससे परिवार का पालन पोषण बहुत अच्छे तरीके से होने लगा है।

ज्योति ने मायके में ही सिलाई, कढ़ाई सीख ली थी तथा सिलाई करके वह अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा कर लेती थी। उसने शादी के बाद अनुभव किया कि उसके पति का कोई स्थाई आय का साधन नहीं है। तीन बच्चों के जन्म के बाद ज्योति को आय बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई। तब उसे याद आया कि क्यों न वह सिलाई करना प्रारंभ कर दे, जिससे थोड़ा बहुत कमाकर अपने पति की मदद कर सकेगी। कुछ दिन उसने घर में ही आसपास की महिलाओं के सलवार सूट आदि सिलने का कार्य किया, लेकिन इससे उतनी आय नहीं हुई जिससे तीन बच्चों और पति के साथ वह अच्छी तरह से रह सके। वह पति की मदद के लिए सिलाई के व्यवसाय को बढ़ावा देना तो चाहती थी, लेकिन पूँजी के अभाव में ऐसा नहीं कर पा रही थी।

ज्योति को एक दिन मालूम हुआ कि अन्त्यवसायी समिति की मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में अनुसूचित जाति वर्ग के गरीब लोगों को छोटे व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए मदद दी जाती है। ज्योति सिलाई-बुनाई जानती थी, इसीलिए उसने सिलाई व साड़ी विक्रय व्यवसाय के लिए आवेदन किया। कुछ दिन बाद उसका एक लाख 60 हजार रुपये का ऋण का प्रकरण सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से मंजूर हो गया। इससे उसने दो सिलाई मशीन तथा शो-रूम के लिए फर्नीचर और साड़ी एवं अन्य कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री खरीदकर घर में ही व्यवसाय प्रारंभ कर दिया।

ज्योति की बहन सूरत गुजरात में रहती है। ज्योति उसकी मदद से सूरत से थोक में साड़ियाँ बुलवाकर खंडवा में अपने घर पर विक्रय करती है। इससे काफी बचत हो जाती है। आज ज्योति अपने पति प्रेमलाल तथा तीन बच्चों के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रही है। ज्योति संदूके प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना का हमेशा आभार मानती है, जिसने उसे बुरे वक्त में मदद की।

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