सोयाबीन फसलों की नियमित निगरानी करें
रतलाम 22 जुलाई(इ खबरटुडे)।रूक-रूक कर हो रही बारिश से किसानों की सोयाबीन फसल लहलहाने लगी हैं, जिले के उप संचालक कृषि पी.एस.चौहान, सहायक संचालक कृषि भीका वास्के तथा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एस.एल.डाबर के द्वारा करिया, आम्बा, धामनोद एवं पलसोड़ा ग्रामों का मौके पर जाकर सोयाबीन फसलों का निरीक्षण किया गया।
वर्तमान में सोयाबीन फसल की बढ़वार बहुत अच्छी हैं, कही-कही सोयाबीन फसल में इल्ली का प्रकोप दिखाई दिया हैं, अधिकारियों द्वारा किसानों को सलाह दी गई कि किसान भाई खेतों पर जाकर निगरानी रखे एवं खेतों में ‘‘टी’’ आकार की खुंटिया प्रति हेक्टर 8 से 10 स्थानों पर गाड़ देवे जिस पर चिडि़या बैठकर हानिकारक इल्ल्यिों को खाती जायेगी। इस प्रकार से फसल की सुरक्षा कर सकते हैं इसके अलावा 10 लीटर देशी गाय का गौमूत्र के 5 किलो नीम की पत्तियों में प्लास्टिक ड्रम में 4 दिन रखने के बाद छानकर किसी भी फसल पर छिड़काव करने से रस चुसने वाले कीड़ों एवं इल्लियों से फसलों को बचाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर ही रासायनिक दवाईयों का छिड़काव करना चाहिये।
इल्लियों एवं अन्य कीड़ों को मारने के लिये ट्राइजोफॉस 40ईसी या क्यूनालफास 25 ई.सी. दवाई का 800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर घोल बनाकर छिड़काव करके फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचाया जा सकता हैं, रासायनिक दवाईयों का छिड़काव फूल आने से पहले या फली बनने के बाद ही करें, दवाई की सही मात्रा एवं पानी का घोल बनाकर मौसम साफ होने पर उपयोग होना चाहिए। इसके अलावा सोयाबीन फसल में गर्डल बीटल (चक्र भृंग) का लार्वा तने के अन्दर घुसा रहता हैं जो फसल को कॉफी नुकसान पहुॅचाता है इसकी रोकथाम के लिये प्रोफेनोफॉस 50 ईसी नामक दवाई का 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करके फसल को बचाया जा सकता है।