सिंहस्थ क्षेत्र में अव्यवस्था का नजारा आम
एक सुलझने के पहले दो समस्या मुहबाये खड़ी
उज्जैन 14 अप्रैल (इ खबर टुडे)। सिंहस्थ-2016 अव्यवस्थाओं और समस्याओं के लिये याद किया जाना तय है। अव्यवस्था का नजारा अब आम हो चला है। संतों के धरना, चक्काजाम, प्रदर्शन के बावजूद हालात जस के तस हैं। अधिकारी एक समस्या सुलझाते नहीं हैं और दो मुहबाये खड़ी हो जाती हैं।
शाही स्नान के 9 दिन शेष
शाही स्नान के 9 दिन शेष हैं। इसके विपरीत कई क्षेत्रों में रात में अंधेरा पसरा पड़ा है। कई संत अब भी शौचालय के लिये अधिकारियों को बार-बार याद दिला रहे हैं। पानी की यह स्थिति है कि नल चलाये नहीं चलते, टैंकर तब आता है जब सब काम निपट चुके होते हैं। टंकी फूटी हुई है, जिससे पूरा पानी टपक जाता है।
कई क्षेत्रों में रात में अंधेरा पसरा पड़ा
सिंहस्थ-2016 में सर्वाधिक समस्याग्रस्त क्षेत्र मंगलनाथ झोन बना हुआ है। इस झोन अंतर्गत अव्वल तो भूखण्ड आवंटन से ही विवाद की शुरूआत हो गई। जैसे-तैसे यह मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि शौचालय की समस्या सामने खड़ी हुई है। इस समस्या से दो-चार होने में अधिकारी लगे हुए थे कि पानी की नई समस्या सामने आ गई। अभी इस समस्या का हल सोचा जा रहा था कि स्ट्रीट लाइट और लाइट कनेक्शनों के मुद्दे सामने आ गए। एक-दो नहीं कई समस्याएं एक साथ सामने है। अधिकारी निपटाएं भी तो कितनी।
जो बने, उनमें भी कई समस्याएं
शौचालय की समस्या शुरूआत से ही बनी हुई है। इस समस्या का निदान निकालने के लिये प्रदेश स्तर के अधिकारी यहां डेरा डाले हुए हैं। उसके बावजूद इसका निदान नहीं हो पा रहा है। जो शौचालय बनाये गये, उनमें कई समस्याएं हैं। सीवर लाइन चोक होने की पूरी संभावनाएं बनी हुई हैं। कई शौचालय अभी से तिडक़ गए हैं। कई की चाहरदिवारी चटक चुकी है। कहीं शौचालय में नल चलता है तो कहीं नहीं। टंकी भी चटकने लगी है।
जबरिया कब्जा और वहीं पर बना दिया शौचालय
मंगलनाथ मंदिर से पुराने ब्रिज के दाहिने और भूखण्ड आवंटन की कोई गुंजाइश नहीं थी। इस स्थान पर संतों के एक समूह ने डेरा जमा लिया है। झोन के अधिकारियों ने दबाव में यहां शौचालय बनवाये। शौचालय का पूरा पानी सीधा शिप्रा नदी में जा रहा है। न तो किसी ने सोचा और न ही किसी ने इस ओर ध्यान दिया। वर्तमान में इस स्थिति को देखकर श्रद्धालु प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यक्षमता और संतों की स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं।
नल चलता नहीं, टंकी कब खाली हो जाती है पता नहीं चलता
मंगलनाथ झोन अंतर्गत कई संतों के पांडालों में पानी के नल चलते ही नहीं हैं। यहां कुछ स्थानों पर पानी की टंकियां रखी गई हैं। इनमें से कई टंकियां कब खाली हो जाती हैं खुद संतों को ही पता नहीं रहता। न तो पानी का उपयोग करते हैं और न ही वहां कोई बहुत ज्यादा श्रद्धालु हैं। टंकी का रिसाव स्टैण्ड के सहारे होता है और नीचे की पूरी जमीन तर। छड़ी वाले बाबा के यहां कालभैरव झोन में फूटी टंकी लगा दी गई।
रूद्रसागर में कीचड़ फैला
रूद्रसागर में शंकराचार्य नगर बसाया जा रहा है। यहां बुधवार को एक शंकराचार्यजी के स्थल पर जहां मंच बनाया जा रहा था, उसी स्थल पर पानी का फैलाव हो गया। इससे कीचड़ की स्थिति बन गई। यह पानी कैसे यहां फैला, इसे लेकर ही ढूंढ मची रही। सूत्रों के मुताबिक नाले का पानी सीपेज से यहां उतरा और यह स्थिति बनी। इस कीचड़ को साफ करने के लिये मिट्टी और मुर्रम बिछाने की कवायद बाद में की गई। मंच बनाने का काम इससे लंबित हुआ है।