समाजसेवी नानाजी देशमुख को मरणोपरांत गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में मिलेगा भारत रत्न
नई दिल्ली,06 अगस्त(इ ख़बर टुडे)। चित्रकूट से दुनियाभर में स्वावलंबन की अलख जगाने वाले समाजसेवी व दीनदयाल शोध संस्थान के संस्थापक नानाजी देशमुख को गुरुवार शाम छह बजे राष्ट्रपति भवन में देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न दिया जाएगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यह पुरस्कार दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्रजीत सिंह को देंगे। मालूम हो, देशभर में सामाजिक क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व कार्यों के कारण 26 जनवरी को नानाजी देशमुख को मरणोपरान्त भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी।
नानाजी का राजनीतिक सफर
संघ से जुड़े नानाजी देशमुख भारतीय जनसंघ से भी जुड़े। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्होंने मंत्री पद स्वीकार नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालंबन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
नानाजी देशमुख का योगदान
राजनीति से संन्यास लेने के बाद नानाजी ने 1969 में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की। गांवों में कृषि क्षेत्र और कुटीर उद्योग को बढ़ाने, गांव का पूरा विकास, ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क, पानी आदि के लिए काफी काम किया। मप्र-उप्र के लगभग 500 गांवों में बड़े विकास कार्य किए।
देश के प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना चित्रकूट में की। वे इस विवि के कुलाधिपति भी थे।1950 में उप्र में देश के पहले सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की स्थापना की थी। लंबी बीमारी के कारण उन्होंने देहदान का निर्णय लिया। दधीचि देहदान संस्थान को शरीर दान दिया था।