सच्ची सेवा, शहीद की पत्नी के लिए घर बनवाया, फिर ऐसे करवाया गृह प्रवेश
देपालपुर,16 अगस्त(इ खबरटुडे)। शहीद के परिजनों की सच्ची सेवा किसे कहते है इसकी प्रेरणा हम इन युवाओं से ले सकते हैं। बेटमा के पीर पीपल्या गांव के मोहन सिंह बीएसएफ में थे। असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 में शहीद हुए थे। करीब 27 वर्षों से उनका परिवार कच्चे मकान में रह रहा था।
जब यह बात मोहन नारायण को पता चली तो उनके साथ जुड़े सभी साथियों ने उनका शहीद का घर बनवाने के लिए वन चेक वन अभियान चलाया। देखते ही देखते 11 लाख रुपए जमा हो गए, इससे उन्होंने शहीद के परिवार के लिए एक मकान तैयार करवाया।
रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी युवाओं ने शहीद की पत्नी से राखी बंधवाई और उन्हें उपहार के रूप में मकान की चाबी सौंपी। इसके बाद भाइयों की हथेलियों पर पैर रखकर शहीद की पत्नी ने घर में प्रवेश किया। अभियान से जुड़े विशाल राठी ने बताया कि एक वर्ष पूर्व जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख हुआ कि जो व्यक्ति देश हित में शहीद हुआ है उसका परिवार आज भी टूटी-फूटी झोपड़ी में रह रहा है। उसी दिन से हम सबने मन में ठान लिया था कि परिवार को एक नया मकान बनवाकर देंगे।
मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह की गर्भवती थीं। बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ। पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए पत्नी ने मेहनत-मजदूरी की। झोपड़ी में ही परिवार गुजारा कर रहा था। टूटी-फूटी छत पर चद्दर।
बांस-बल्लियों के सहारे जैसे-तैसे खड़ा हुआ। ये विडंबना ही कही जाएगी कि परिवार को आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया। दिलीप चौहान नाम के जिस ठेकेदान ने मकान बनवाया उन्होंने केवल मजदूरों के पैसे लिए। अब वे सांवेर, बड़नगर और झाबुआ में शहीदों के परिवार के लिए मकान बनाएंगे।