संत श्री नर्मदानंद बाप जी की राष्ट्र धर्म विजय यात्रा ने झारखण्ड पंहुचकर किया बाबा बैजनाथ महादेव का अभिषेक
रतलाम,23 दिसंबर(इ खबरटुडे)। विगत 29 सितंबर को गंगौत्री धाम से प्रारंभ हुई संत श्री नर्मदानंद बाप जी की राष्ट्र धर्म विजय यात्रा,केदारनाथ और काशी विश्वनाथ की पदयात्रा करते हुए अब झारखण्ड स्थित बाबा बैजनाथ महादेव पंहुच चुकी है। नर्मदानंद बाप जी के नेतृत्व में पदयात्रा कर रहे संतों व अन्य पदयात्रियों ने बाबा बैजनाथ धाम पंहुचकर विधि विधान से बाबा का पूजन अर्चन किया और गंगौत्री से लाए गए पवित्र गंगाजल से बैजनाथ महादेव का अभिषेक किया। इस मौके पर यात्रा प्रभारी प्रदीप पाण्डेय,समेत बडी संख्या में भक्त जन व संतगण मौजूद थे।
रतलाम से बाबा बैजनाथ धाम के अभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने पंहुचे समाजसेवी राजेश सक्सेना ने बताया कि नर्मदानंद बाप जी गंगौत्री से यात्रा प्रारंभ कर केदारनाथ धाम और काशी विश्वनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर चुके है। झारखण्ड स्थित बैद्यनाथ महादेव के महाभिषेक कार्यक्रम में अहमदाबाद के निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर राजगुरु स्वामी विशोकानन्द भारतीय जी,कोलकाता के महामण्डलेश्वर परमात्मानंद गिरी महाराज और बालानंद आश्रम बैद्यनाथ के स्वामी कृष्णानन्द जी महाराज विशेष रुप से उपस्थित थे। इस मौके पर राष्ट्र धर्म विजय यात्रा प्रभारी प्रदीप पाण्डेय के अलावा मध्यप्रदेश,गुजरात,उत्तराखण्ड झारखण्ड इत्यादि स्थानो से बडी संख्या में आए भक्तजन उपस्थित थे।
श्री सक्सेना ने बताया कि नित्यानंद आश्रम के संत श्री नर्मदानंद बाप जी द्वारा अपनी राष्ट्र धर्म विजय यात्रा के संकल्प के तहत देश के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पदयात्रा की जा रही है। वे राष्ट्र धर्म विजय यात्रा के तहत करीब बारह हजार किमी की पदयात्रा करेंगे और देश के समस्त द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर गंगाजल का अभिषेक करेंगे। राष्ट्र सर्वोपरि ही राष्ट्रभक्ति तथा जल,जंगल,जमीन व गौमाता की रक्षा और धर्म संस्कृति के संरक्षण का उद्देश्य लेकर संत श्री नर्मदानंद बाप जी ने इस कठिन यात्रा को पूरा करने का संकल्प लिया है। इसके अंतर्गत उनके द्वारा प्रतिदिन पच्चीस से तीस किमी की पदयात्रा की जा रही है। इस दौरान जिन स्थानों पर यात्रा का रात्रि विश्राम होता है,वहां बाप जी द्वारा रात्रि सत्संग के माध्यम से यात्रा के उद्देश्यों के लिए जनजागरण किया जाता है और अगले दिन प्रात:काल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पौधारोपण कर अगले दिन की यात्रा प्रारंभ की जाती है।