शिष्य को शू्न्य से शिखर तक पंहुचाता है गुरु
गुरुपूर्णिमा पर साहित्यकार प्रो.अजहर हाशमी ने कहा
रतलाम,31 जुलाई (इ खबरटुडे)। गुरु शिष्य को शून्य से शिखर तक ले जाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य की परम्परा रही है। इसी कारण भारत में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।यह विचार प्रख्यात चिंतक एवं साहित्यकार प्रो.अजहर हाशमी ने अपने निवास पर महाविद्यालय विद्यार्थी परिवार द्वारा आयोजित गुरु सम्मान समारोह में व्यक्त किए। श्री हाशमी ने कहा कि स्नेह,सदज्ञान,सदाचार का सन्देश गुरु देते है। गुरु अपने शिष्य पर आने वाली हर कठिनाई को दूर कर शिष्य को सफलता की ओर ले जाता है।शिष्य को भी सदैव गुरु के प्रति समर्पित होना चाहिए।
वर्तमान सन्दर्भों में गुरु शिष्य की व्याख्या करते हुए प्रो.हाशमी ने कहा कि ट्यूशन के टेण्ट में बैठकर फीस के फर्श पर विद्या का व्यापार करने वाला गुरु नहीं होता,अपितु गुरु वह होता है,जो अपने शिष्य को सौहार्द्र का सबक,व्यवहार का व्याकरण,बंधुत्व की बारहखडी और सौहार्द्र का सबक सिखाए। शिष्य भी वही होता है,जो अपने गुरु के बताए मार्ग पर चले।
समारोह में विद्यार्थी परिवार द्वारा प्रो.हाशमी का श्रीफल व पुष्प से अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थी परिवार अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी,मार्गदर्शक तुषार कोठारी,राजेश घोटीकर,भरत गुप्ता,कमल सिंह यादव,लक्ष्मण सोलंकी,सुनील चौरसिया,मनमोहन दवेसर,अदिती दवेसर,श्वेता नागर आदि उपस्थित थे।