विनाश की ओर बढते कदम
(विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई पर विशेष)
-डॉ.डी एन पचौरी
आज एक बिन्दु अवश्य ऐसा है जिसपर विश्व के सभी देशों में प्रगति हो रही है और वह है जनसंख्या वृध्दि। सन 1810 में विश्व की जनसंख्या एक अरब थी। सन 1987 में 11 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या पांच अरब हो गई। जिससे संयुक्त राष्ट्र संघ में चिन्ता का वातावरण उत्पन्न हुआ कि यदि इसी प्रकार जनसंख्या वृध्दि होती रही तो पूरे विश्व में अनेकों समस्याएं शीघ्र ही उठ खडी होगंी। अत: विश्व के सभी देशों को इस बिन्दु पर सचेत करना आवश्यक है। दो वर्ष के चिन्तन के बाद जनसंख्या वृध्दि के सन्दर्भ में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए 11 जुलाई 1989 से प्रतिवर्ष इस दिनांक को विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया। इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पडा। क्योकि सन 2012 में विश्व की जनसंख्या बढकर सात अरब हो गई। 1 जनवरी 2014 को विश्व की जनसंख्या 7 अरब 13 करोड 76 लाख 61 हजार 30 थी। अर्थात एक वर्ष में लगभग 14 करोड की वृध्दि हुई। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सन 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9 अरब और 2100 में लगभग 11 अरब हो जाएगी।
विश्व भर में चीन और भारत इस सन्दर्भ में सबसे आगे है। चीन में एक अरब 37 करोड अर्थात दुनिया की कुल आबादी का 19 प्रतिशत और भारत में एक अरब 25 करोड अर्थात 17.5 प्रतिशत लोग निवास करते है। भारत की जनसंख्या में जिस दर से वृध्दि हो रही है उससे अनुमान लगाया गया है कि अगले 15 से 20 वर्षों में भारत की जनसंख्या चीन से भी अधिक हो जाएगी। अर्थात जनसंख्या के मामले में भारत विश्व में प्रथम हो जाएगा। पाकिस्तान की आबादी 18 करोड है,जो विश्व की कुल आबादी का 2.4 प्रतिशत है। जबकि इन्ही के भाई बन्धु भारत में 38 करोड है। और इनके द्वारा परिवार नियोजन कार्यक्रम का पालन न करने के कारण भारत आबादी में दुनिया का सिरमौर हो जाएगा।
बढती जनसंख्या वृध्दि के अनेक दुष्परिणाम होते है। पेयजल की समस्या,कृषि और भोजन की समस्या,ऊ र्जा जिसमें विद्युत तथा पैट्रोल डीजल की समस्या,बढती कार्बन डाई आक्साईड का स्तर,ग्लोबल वार्मिंग,तथा बढते प्रदूषण की समस्या आदि अनेकों समस्याएं भविष्य में विनाशकारी सिध्द हो सकती है।
आज भी दुनिया की आधी आबादी को शुध्द पीने का पानी प्राप्त नहीं हो रहा है। ऐसे में अधिक आबादी बढने पर क्या हालत होगी यह विचारणीय प्रश्न है। दूसरी समस्या भोजन और कृषि की है। कृषि के लिए खाद या उर्वरक और बीज की आवश्यकता होती है। उर्वरक के रुप में अमोनियम सल्फेट,अमोनियम फास्फेट,नाइट्रेट और यूरिया आदि प्रयोग में लाए जाते है। ये सभी अमोनिया गैस से ही तैयार होते है। अमोनिया गैस हैबर विधि से बनती है। जिसके लिए नाइट्रोजन तो वायुमण्डल से प्राप्त होता है किन्तु हाइड्रोजन को गरम लोहे पर भाप प्रवाहित करके या जल अपघटन से प्राप्त करते है। सबसे बडी समस्या इन सबके लिए ऊ र्जा की होगी। पैट्रोल डीजल के भण्डार समाप्त होते जा रहे है। अत: भविष्य में सौर ऊ र्जा अर्थात सूर्य के प्रकाश से चालित बैटरियां और उन्ही से चालित वाहन उपयोग में आने लगेंगे। आबादी बढने के साथ साथ प्रदूषण और कार्बन डाई आक्साईड का बढता स्तर एक बडी समस्या होगी। इससे ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा ग्लोबल वार्मिंग के कारण बरफ पिघलने,समुद्री जल के स्तर में वृध्दि,सुनामी,समुद्र के किनारे बसे शहरों के डूबने का खतरा और जलवायु परिवर्तन भी संभव है।
विद्वान मालथस का सिध्दान्त है कि किसी जीव प्रजाति की संख्या में बहुत अधिक वृध्दि हो जाती है,तो ऐसे कारण उत्पन्न हो जाते है कि उनका विनाश होने लगता है और उनकी संख्या अपने आप निङ्क्षत्रित हो जाती है। मानव प्रजाति की संख्या इसी प्रकार बढती रही तो प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप,ज्वालामुखी,हिमयुग,सुनामी और मानव के स्वनिर्मित परमाणु श आदि मानव की आबादी को नियंत्रित करेंगे।
निष्कर्ष यह है कि प्रत्येक देश की सरकार और नागरिकों को सचेत हो जाना चाहिए कि यदि बढती जनसंख्या वृध्दि पर रोक न लगाई गई तो यह विनाश की ओर बढता कदम होगा।