लोकसभा चुनाव /तारीखें नहीं आईं, लेकिन भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की रैलियों से बना चुनावी मौसम
नई दिल्ली,09 फरवरी(इ खबरटुडे)।लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होना बाकी है, लेकिन देश में चुनावी मौसम आ गया है। 26 जनवरी के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस पूरी तरह से आम चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। दोनों पार्टियों के टॉप नेता चुनावी मैदान में माहौल और जमीन पर संगठन को मजबूत करने में लगे हैं। वे रोजाना अलग प्रदेशों में रैली और कार्यक्रम कर रहे हैं।भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह रोजाना एक से दो रैलियां और संगठन स्तर के कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। जबकि कांग्रेस से अभी तक अकेले अध्यक्ष राहुल गांधी बागडोर संभाले हुए हैं। वह पिछले 12 दिनों से लगातार अलग-अलग राज्यों में रैली और चुनाव से जुड़े सम्मेलन कर रहे हैं।
मोदी की रणनीति
उन राज्यों पर सबसे ज्यादा फोकस, जहां भाजपा कमजोर
मोदी उन राज्यों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। जहां भाजपा फिलहाल सबसे ज्यादा कमजोर है और जहां आम चुनाव में उसे सबसे ज्यादा फायदे की गुंजाइश है। मोदी ने पिछली 8 रैलियों में से 3 बंगाल में की हैं। एक-एक रैली तमिलनाडु और केरल में की है। गुजरात, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर में एक-एक सभाएं की हैं। मोदी अगले 5 दिन में 10 राज्यों का दौरा कर सकते हैं। चुनाव तारीख के ऐलान से पहले वह 100 रैली करने वाले हैं।
शाह का पासा
यूपी में दोबारा बूथ सम्मेलनों से भर रहे वर्कर में जोश
शाह 2014 चुनाव में पार्टी के महासचिव और यूपी प्रभारी थे। इस दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए काफी काम किया था। इसके दम पर ही एनडीए को यूपी की 80 में से 73 सीटें मिल सकीं। एक बार फिर शाह यूपी में दोबारा पुरानी रणनीति को जमीन पर उतारने में जुटे हैं। वह राज्य के अलग क्षेत्रों में पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और सभा कर रहे हैं। 13 दिनों में उन्होंने यूपी में ऐसी 6 सभाएं की हैं।
राहुल का किसान कार्ड
रैली में किसानों से जुड़े मुद्दों पर सबसे ज्यादा बोल रहे
तीन राज्यों में जीत के बाद राहुल गांधी का उत्साह देखते ही बनता है। वह जिन मुद्दों को 3 राज्यों में चुनावी रैलियों में उठाते थे, अब उन्हीं आगे बढ़ा रहे हैं। खासकर किसानों के मुद्दे। कांग्रेस ने 3 राज्यों में किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया था। ऐसे में अब राहुल इन राज्यों में किसान आभार रैली कर रहे हैं। अन्य राज्यों में भी किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में उन्होंने देश के गरीबों को यूनिवर्सल बेसिक इनकम देने का वादा किया।