December 25, 2024

रेलवे में परोसा जा रहा है बेहद घटिया खाना, ठेकेदारों ने मचाई लूट- CAG रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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नई दिल्ली,21 जुलाई (इ खबर टुडे )। भारतीय रेलवे की कैटरिंग सर्विस पर सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट संसद में रखी जानी है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे स्टेशनों पर जो खाने-पीने की चीजें परोसी जा रही हैं, वो इंसानी इस्तेमाल के लायक ही नहीं हैं.रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों और स्टेशनों पर परोसी जा रही चीजें प्रदूषित हैं. डिब्बाबंद और बोतलबंद चीजों को उनके सुरक्षित इस्तेमाल के लिए तयशुदा टाइम पीरियड के गुजर जाने के बावजूद बेचा जा रहा है. इसके अलावा,अनाधिकृत ब्रैंड की पानी की बोतलें बेची जा रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों और स्टेशनों पर परोसी जा रही चीजें प्रदूषित हैं, पैक्ड वस्तुओं को उनके एक्सपाइरी डेट के गुजर जाने के बावजूद भी बेचा जा रहा है. इसके अलावा, अनाधिकृत ब्रैंड की पानी की बोतलें बेची जा रही हैं. जांच में यह भी पाया गया कि रेलवे परिसरों और ट्रेनों में साफ-सफाई का बिलकुल ध्यान नहीं रखा जा रहा. इसके अलावा, ट्रेन में बिक रहीं चीजों का बिल न दिए जाने और फूड क्वॉलिटी में कई तरह की खामियों की भी शिकायतें हैं. सीएजी और रेलवे की जॉइंट टीम ने 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों का मुआयना किया.

खाने की चीजों को मक्खी, कीड़ों और धूल से बचाने के लिए उन्हें ढककर नहीं रखा जा रहा है
ऑडिट में पाया गया कि ट्रेनों और स्टेशनों, कहीं भी साफ-सफाई नहीं रखी जा रही. ऑडिट रिपोर्ट में लिखा है, ‘पेय पदार्थों को तैयार करने के लिए नल से सीधे अशुद्ध पानी लेकर इस्तेमाल किया जा रहा था. कूड़ेदान ढके नहीं हुए थे और उनकी नियमित अंतराल पर सफाई नहीं हो रही थी. खाने की चीजों को मक्खी, कीड़ों और धूल से बचाने के लिए उन्हें ढककर नहीं रखा जा रहा था. इसके अलावा, ट्रेनों में चूहे, कॉकरोच पाए गए. सीएजी के मुआयने के दौरान किसी भी ट्रेन में वेटरों और कैटरिंग मैनेजरों के पास बेची जाने वाली चीजों से जुड़ा मेन्यू और रेट कार्ड नहीं मिला. रिपोर्ट में लिखा है, ‘खाने की चीजें तयशुदा से कम मात्रा में बेची जा रही थीं, अनाधिकृत कंपनियों के डिब्बाबंद पानी की बोतलें बेची जा रही थीं.’ इस बात का भी जिक्र है कि रेलवे परिसरों में ओपन मार्केट की तुलना में ज्यादा कीमत पर चीजें बेची जा रही थीं.

रेलगाड़ी के अंदर बाहरी मार्केट की तुलना में मनमर्ज़ी कीमतों पर चीजें बेची जा रही हैं
सीएजी के निरीक्षण के दौरान किसी भी ट्रेन में वेटरों और कैटरिंग मैनेजरों के पास बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स का मेन्यू और रेट कार्ड नहीं मिला. रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ी के अंदर बाहरी मार्केट की तुलना में मनमर्ज़ी कीमतों पर चीजें बेची जा रही हैं.

कुछ दिनों पहले रेलवे कैटरिंग में आरटीआई के हवाले से भारी भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया था. आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बोस को रेल विभाग द्वारा दिए गए आरटीआई जवाब से पता चला था कि रेलवे के कैटरिंग विभाग ने वस्तुओं को उनके बाज़ार भाव के 10 गुने तक के दामों में खरीदा था.कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों को ठेका देने के लिये निर्धारित अधिकतम सीमा का पालन न करने से रेलवे ने कुछ फर्मो के अधिपत्य को बढ़ावा दिया. एकाधिपत्य के कारण यात्रियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं कीगुणवत्ता से समझौता हुआ.

खान-पान नीति में बार बार परिवर्तन और खान-पान इकाईयों के प्रबंधन के उत्तरदायित्व को रेलवे से आईआरसीटीसी को हस्तांतरित करने और वापस लेने के परिणामस्वरूप यात्रियों को प्रदान की जाने वाली खान-पान सेवाओं के प्रबंधन में अस्थिरता की अवस्था उत्पन्न हुई है. इसमें बार-बार परिवर्तन के कारण रेलवे और आईआरसीटीसी के बीच समन्वय विषयों और ठेकेदारों के साथ वैधानिक विवाद बढ़े हैं.

कैग ने अपनी सिफारिशों में दिए हैं सुझाव
कैग ने अपनी सिफारिशों में कहा कि रसोईयानों के निर्माण के दौरान इसमें गैस बर्नर से विद्युत ऊर्जा उपकरणों के अंतरण की नीति को ध्यान में रखा जाए. लंबी दूरी की ट्रेनों के मामले में नीति के अनुसार रसोईयानों के प्रावधान पर विचार किया जाए. रेलवे खानपान इकाईयों को आईआरसीटीसी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि क्षेत्रीय रेलवे अपने दायित्वों का वहन करे. कैग ने सुझाव दिया है कि खान-पान प्रदाताओं द्वारा अनुचित पद्धतियों जैसे अधिक दाम वसूलना, निर्धारित मात्रा से कम खाना परोसना, स्टेशनों और ट्रेनों में अप्राधिकृत खाद्य सामग्री बेचना, मूल्य कार्ड का प्रदर्शन नहीं करना और बेचे गए खाने के सामान के लिये रसीद जारी नहीं करने को रोकने के लिए रेलवे द्वारा प्रभावी जांच एवं नियंत्रण सुनिश्चित किया जाए.

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