राम मंदिर के पक्षकार महंत भास्कर दास का निधन, अयोध्या के तुलसी घाट पर होगा अंतिम संस्कार
फैजाबाद ,16सितम्बर(इ खबर टुडे)। रामजन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार व निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास का लंबी बीमारी के बाद अयोध्या में निधन हो गया। बता दें, बीते मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें देवकाली स्थित निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। तभी से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। महंत भास्कर दास की उम्र 89 साल थी। इनका अंतिम संस्कार अयोध्या में तुलसी घाट पर होगा।
शनिवार सुबह ली आखरी सांस
महंत के निधन की सूचना के बाद उनके शिष्यों का जमावड़ा अयोध्या स्थित मंदिर में लगने लगा है। शुक्रवार को भी उनका हालचाल जानने वालों का तांता लगा रहा था। इसमें शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, सदस्य अशफाक हुसैन जिया, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, महंत गिरीश दास, भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अभिषेक मिश्र, ज्ञान केसरवानी समेत कई अन्य संतों व नेताओं ने उनके उत्तराधिकारी व नाका हनुमानगढ़ी के पुजारी रामदास से उनका हालचाल जाना।
कौन हैं महंत भास्कर दास?
महंत भास्कर दास गोरखपुर के रहने वाले थे। 16 साल की उम्र में वे अयोध्या की हनुमान गढ़ी पहुंचे थे। जहां वह महंत बलदेव दास निर्मोही अखाड़ा के शिष्य बने। इसी दौरान उनकी शिक्षा दीक्षा भी हुई।इसके बाद उन्हें राम चबूतरे पर बिठा दिया गया और पुजारी नियुक्त किया गया।1986 में भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास का निधन हो गया, जिसके बाद इन्हें हनुमान गढ़ी का महंत बना दिया गया।
1993 में महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच बन गए थे। फिर 1993 में ही सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया। तब से यही निर्मोही अखाड़े के महंत रहे। इससे पहले बाबरी मस्जिद के सबसे बुजुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी का का भी निधन हो गया है। उनका निधन 20 जुलाई 2016 को 96 साल की उम्र में हुआ। उन्होंने अयोध्या में मंदिर और मस्जिद अगल-बगल बनाने की पेशकश की थी।
महंत भास्कर दास और हाशिम अंसारी के बीच अच्छे संबंध थे। वे कई मौको पर साथ नजर आए और इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना चाहते थे।6 दिसंबर, 1992 को गिराया गया विवादित ढांचा इस मुद्दे ने 1989 के बाद तूल पकड़ा। इसकी वजह से तब देश में सांप्रदायिक तनाव फैला था। देश की राजनीति इस मुद्दे से प्रभावित होती रही है।