November 23, 2024

राज्यसभा से भी पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक, बिल के पक्ष में पड़े 125 वोट, विपक्ष में 105

नई दिल्ली,11 दिसंबर (इ खबर टुडे)। नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। उच्च सदन में इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि 105 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बिल पर वोटिंग से पहले इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजने के लिए भी मतदान हुआ, लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया। सेलेक्ट कमिटी में भेजने के पक्ष में महज 99 वोट ही पड़े, जबकि 124 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया। इसके अलावा संशोधन के 14 प्रस्तावों को भी सदन ने बहुमत से नामंजूर कर दिया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल ऐक्ट में तब्दील हो जाएगा। इस बिल को सोमवार रात को लोकसभा से मंजूरी मिली थी।

शिवसेना, बीएसपी ने किया सदन से वॉकआउट

दिलचस्प बात यह रही कि लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के तीन सांसदनों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। बता दें कि लोकसभा में बिल का समर्थन करने को लेकर महाराष्ट्र में उसके साथ सरकार चला रही कांग्रेस ने शिवसेना से ऐतराज जताया था। इसके अलावा बीएसपी के दो सांसदों ने भी वोटिंग का बहिष्कार किया।

विपक्ष ने भेदभाव करने वाला बिल बताया
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और जिसके बाद सदन में काफी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पूछा कि इस बिल में केवल तीन देशों का और सिलेक्टिव धर्मों का ही चुनाव क्यों किया गया है। आजाद ने कहा कि भूटान, श्री लंका और म्यांमार में भी हिंदू रहते हैं और अफगानिस्तान के मुसलमानों के साथ भी अन्याय हुआ लेकिन उनको विधेयक के प्रावधान में शामिल नहीं किया गया है।

धर्म के आधार पर न बंटता देश तो न आता बिल’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यदि देश का धार्मिक आधार पर बंटवारा न होता तो यह बिल न लाना पड़ता। अमित शाह ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि आखिर जिन लोगों ने शरणार्थियों को जख्म दिए हैं, वही अब जख्मों का हाल पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि कोई सरकार पहले ही इस समस्या का समाधान निकाल लेती तब भी यह बिल न लाना पड़ता।’

जानें, किन शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को इस बिल में नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस बिल में इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है।

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