राग रतलामी/होली पर भारी आचार संहिता,अफसरों को सोते जागते सताता है चुनाव आयोग का डर
-तुषार कोठारी
रतलाम, 24 मार्च(इ खबरटुडे)। चुनाव आयोग जो आचार संहिता लगाता है वो चुनाव और राजनैतिक पार्टियों के लिए होती है। लेकिन लकीर के फकीर अफसरों को ये सीधी सी बात समझ में नहीं आती। होली जैसे त्योहारों का आचार संहिता से कोई लेना देना नहीं होता। लेकिन ये बात अफसरों को कौन समझाए। साहब बहादुरों को चुनाव आयोग का डर सोते जागते सताता है। होली हो या दीवाली,उनकी घबराहट कम ही नहीं होती। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पडता है। होली पर भी यही हुआ। होलिका दहन के कार्यक्रमों पर साहब बहादुरों ने पुलसिया डन्डा चलाया और केस भी बनाए। महू रोड चौराहे और ज्योति होटल पर वहां के लोगों द्वारा हर साल होली जलाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक होलिका दहन आधी रात के समय होता है। आचार संहिता का खौफ खाए अफसरों को इससे कोई लेना देना नहीं। उन्होने इन दोनो जगहों पर पंहुचकर साउंड सिस्टम जब्त किए और केस भी दर्ज किए। दोबत्ती में मन रही होली में पंजा पार्टी के नेता मौजूद थे। उन्होने अफसरों से जमकर बहस की और इसका नतीजा यह निकला कि केस तो दर्ज हुआ,लेकिन वह आयोजकों की बजाय साउंड सिस्टम वाले दुकानदार पर हुआ। हांलाकि अफसरों का ये सारा रौबदाब वहां नदारद हो जाता है,जहां इबादतगाहों के भोंगले सुबह सवेरे चीखने लगते है और सरेआम सुप्रीमकोर्ट के आदेश की धज्जियां उडाते है। इन इबादतगाहों पर टंगे भोंगले हर किसी को नजर आते है। सुबह सवेरे उनकी तेज आवाज शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक हर किसी की नींद खराब करती है,लेकिन वहां कानून लागू करने में अफसरों की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है। तब ना आचार संहिता आडे आती है और ना सुप्रीम कोर्ट का आदेश…।
आचार संहिता में अटके सेवा केन्द्र
मामा की सरकार ने प्रदेश में लोक सेवा गारंटी कानून बनाकर लोक सेवा केन्द्र स्थापित किए थे। तब से अधिकांश सरकारी सेवाएं इन्ही केन्द्रों के जरिये मिलने लगी है। सूबे में सरकार बदली तो पंजा पार्टी के नाथ को लगा कि मामा के वक्त बनाए गए लोक सेवा केन्द्रों पर फूल छाप वालों का ही कब्जा होगा। इसलिए इसे बदला जाना चाहिए। वक्त है बदलाव का,इसलिए प्रदेश भर के तमाम लोक सेवा केन्द्रों के लिए नए सिरे से टेन्डर प्रक्रिया चालू कर दी गई। लोक सेवा केन्द्रों का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो जाने वाला है,इसलिए सरकार ने अप्रैल में ही टेन्डर खोलने की योजना बनाई थी। लेकिन इसके आडे आ गई आचार संहिता। किसी दिलजले ने चुनाव आयोग को शिकायत कर डाली। बस फिर क्या था। चुनाव आयोग ने बत्ती दी तो अब सारी प्रक्रिया को चुनाव समाप्ति तक बढा दिया गया है।
शिकवे शिकायतों का दौर
चुनाव आते ही शिकायतों का दौर चल निकला है। इसकी पहल फूल छाप वालों ने की। उन्होने मन्डी पर नजर डालने गए साहब की शिकायत कर मारी,कि साहब पंजा पार्टी वालों के साथ घूम रहे थे। साहब ने अपना जवाब भिजवा दिया कि जब वे नजर मारने गए थे,उसी वक्त वहां पंजा पार्टी के नेता भी आ गए। अब मन्डी तो है सार्वजनिक जगह,वहां कोई भी आ जा सकता है। बहरहाल,फूल छाप वालों का असल निशाना तो पंजा पार्टी के नेताओं पर था। लेकिन ये हमला कुछ खास असर नहीं दिखा पाया। जिले में चुनाव बिलकुल आखरी दौर में होना है। ऐसे में शिकायती लालों के लिए बहुत सारा वक्त बचा हुआ है। आने वाले दिनों में और भी मजेदार वाकये देखने को मिलेंगे।