November 22, 2024

राग रतलामी/ सीवरेज ठेकेदार को मैडम की फटकार के बावजूद जल्दी नहीं मिलेगी कष्टों से मुक्ति

-तुषार कोठारी

रतलाम। शहर के लोग बेहद परेशान है। पता ही नहीं चलता,कब कौनसा रास्ता बन्द हो जाएगा और कब तक बन्द रहेगा। सड़कों पर धूल के बादल छाए रहते हैं। हर ओर खुदाई हो रही है। आज ये चौराहा,तो कल दूसरा। पिछले कई महीनों से यही सिलसिला चल रहा है। शहर के लोग बडे सहिष्णु है। वे तकलीफें सहते जाते है,लेकिन कहते कुछ नहीं। इतना ही नहीं उनके प्रतिनिधि भी सहिष्णु है। वे भी सब मौन धारण करे बैठे है। जानकारों का कहना है कि शहर के लोगों को कष्टों से मुक्ति मिलने में अभी लंबा समय लगेगा।

सीवरेज का काम धडल्ले से चल रहा है। काम की शर्तों में यह शर्त भी शामिल है कि नागरिकों को कम से कम तकलीफ दी जाए। जहां सड़क खोदी जाए उसे त्वरित रुप से ठीक किया जाए,ताकि जल्दी से यातायात सुचारु हो सके। लेकिन ठेकेदार इस तरह की शर्तों को ज्यादा महत्व नहीं देते।
पहले तो नगर निगम डाक्टर मैडम के कब्जे में था,इसलिए ठेकेदार को कोई दिक्कत ही नहीं थी। लेकिन अब ये जिम्मेदारी जिले की बडी मैडम के पास आ चुकी है। शहर में हर ओर की जा रही खुदाई को देखकर बडी मैडम जी ने एक डेढ महीने पहले खुद मौके पर जाकर काम का मुआयना किया था। ठेकेदार को समझाया था कि जहां खुदाई करें,उसे जल्दी से जल्दी ठीक भी करें।
डेढ महीना गुजर चुका था,लेकिन ठेकेदार के तौर तरीकों में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा था। बडी मैडम जी ने शनिवार को फिर से मौका मुआयना किया। ठेकेदार को फटकार भी लगाई कि शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जाए।
मैडम जी की इन खबरों से लोगों को थोडी राहत मिली है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में शायद दिक्कतें कम होंगी। हांलाकि इस तरह की समस्याएं कब तक झेलना पडेगी,इसकी कोई जानकारी किसी के भी पास नहीं है।
शहर का सीवरेज प्रोजेक्ट जब शुरु होने वाला था,बडे बडे दावे किए गए थे। कहा गया था कि सीवरेज प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शहर स्वर्ग जैसा सुन्दर और स्वच्छ हो जाएगा,क्योंकि नालियों में गंदगी बचेगी ही नहीं। सारी गंदगी सीवरेज के बंद पाइप्स में चली जाएगी और मक्खी मच्छर जैसी समस्याएं भी खत्म हो जाएगी। वैसे अगर सीवरेज प्रोजेक्ट ठीक ठाक ढंग से पूरा हो गया,तो यह सपना सच भी हो जाएगा,लेकिन अब तक जो कुछ हुआ है,वह ज्यादा उम्मीदें नहीं बनाता है।
सरकारी दावों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट मार्च के महीने तक पूरा होकर चालू हो जाना चाहिए था। मार्च का महीना तो बस आने को ही है,लेकिन सीवरेज प्रोजेक्ट का काफी सारा काम अभी बाकी है।
अभी तो मुख्य सड़कों और भीतरी सड़कों की सीवरेज लाइन ही पूरी नहीं डल पाई है। इसके बाद सीवरेज लाइन को शहर के प्रत्येक घर से जोडा जाना है। इस लिहाज से अभी एकाध साल तक तो खुदाई,धूल और सड़कें बन्द होने के संकटों से मुक्ति मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। जानकारों का कहना है कि सीवरेज के पूरे होने के बाद गैस लाइन का काम भी शुरु होने वाला है। यानी कि कष्ट दूर होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। फिर भी उम्मीद की जाए कि बडी मैडम जी की फटकार का असर होगा और समस्याएं थोडी कम होगी।

जिले भर में स्वच्छ सर्वेक्षण,दफ्तर में नहीं

मोदी जी के आने के बाद से हर कहीं स्वच्छता का जोर है। शहरों से लगाकर गांवों तक हर ओर स्वच्छता अभियान जोरों पर है। लेकिन जिन पर जिले भर में स्वच्छता अभियान चलाने की जिम्मेदारी है,उन्ही के दफ्तर में स्वच्छता की स्थिति खराब हो रही है। लंबे समय तक रियासतकालीन इमारत में रहने के बाद जिले का सरकारी अमला अब शानदार नई इमारत में पंहुच चुका है। जिले के तमाम महकमों के दफ्तर भी इस नई नवेली इमारत में आ चुके है। जब इमारत बनी थी,तभी से इसकी साफ सफाई एक चुनौती थी। अफसरों ने इस चुनौती से भी फायदा लेना चाहा। उन्होने इमारत परिसर का केन्टीन चलाने की शर्तों में इमारत की सफाई को भी जोड दिया। शुरुआत में तो एक ठेकेदार ने ये जिम्मेदारी सम्हाल ली,लेकिन जल्दी ही उसे समझ में आ गया कि ये बेहद महंगा सौदा है। केन्टीन से होने वाली कमाई में इमारत की सफाई भी करना है और सरकार को कीमत भी अदा करना है। इतनी कमाई केन्टीन से हुई नहीं। नतीजा ये हुआ कि केन्टीन बंद हो गया। दफ्तरों के बाबू तो बाहर जाकर चाय पीने लगे,लेकिन केन्टीन बन्द होने का असर ये हुआ कि इमारत की साफ सफाई भी बन्द हो गई। अब हालत ये है कि इमारत में हर ओर गंदगी दिखाई देने लगी है। जो जिले भर को सफाई का उपदेश दे रहे है उन्ही की इमारत में इन उपदेशों का मखौल उड रहा है। जब ये खबरें आम हुई,तो अफसरों में बडी हलचल मची। अब बताते है कि किसी तरह एक नई पार्टी को तैयार किया गया है। अब केन्टीन भी शुरु होगा और सफाई भी होगी। देखने वाली बात ये है कि ये व्यवस्था कितने दिन चल पाएगी?

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