November 15, 2024

राग-रतलामी/ शैतान की आंत की तरह फैल रही है जावरा वाली मम्मा की कहानी

-तुषार कोठारी

रतलाम। जावरा वाली मम्मा अब जेल में पंहुच चुकी है,लेकिन उनकी कहानियां शैतान की आंत की तरह फैलती जा रही है। शुरुआत हुई थी,पांच बच्चियों के भागने से,लेकिन शैतान की आंत जल्दी ही फैलने लग गई। पांचों बालिकाएं मिली,तो पता चला कि जावरा वाली मम्मा,कहलाती तो मम्मा थी,लेकिन काम कुछ और ही कर रही थी। नवाबी नगरी के नेता और रसूखदार लोग इस मम्मा के साथ जाम टकराते थे और मजे मारते थे। मम्मा,बहू तो पंजा पार्टी वालों की थी,लेकिन उसे बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष फूल छाप वालों ने बनवाया था। दोनो पार्टियों में पूरी पकड। इसी का असर था कि मम्मा को किसी बात का कोई डर नहीं था। यही वजह थी कि मम्मा,बच्चियों का चाहे जैसा शोषण करती थी। लेकिन आखिरकार पाप का घडा कभी ना कभी फूटता ही है। पांच लडकियां भागी,तो मम्मा के पाप का घडा भर चुका था। सारी कहानियां सामने आने लगी। लेकिन अब भी कई सारी कहानियां छुपी हुई है।
लम्बे अरसे से इस तरह का घिनौना कृत्य चल रहा था। सरकारी अफसर मौका मुआयना भी करते थे,लेकिन पहले कभी किसी ने इन गडबडियों को पकडा नहीं। सवाल यह है कि निरीक्षण करने वाले निरीक्षण करते भी थे या मम्मा के चक्कर में पड कर आंखे मूंद लेते थे। जो सामने आ रहा है ,वह तो यही बताता है कि जिम्मेदारों ने जानबूझ कर आंखे मूंद रखी थी। इस लिहाज से आंखे मूंद कर रखने वाले जिम्मेदारों की जगह भी वही होनी चाहिए,जो इन दिनों मम्मा की है। नवाबी नगरी के उन सारे सफेदपोशों के नाम भी सामने आना जरुरी है,जो मजबूर बच्चियों की मजबूरी का शोषण कर रहे थे।
महिला और बाल विकास विभाग सरकार ने बनाया तो महिलाओं और बच्चों की बेहतरी के लिए था,लेकिन इस अमले में भर्ती कई सारे लोग इन्ही महिलाओं और बच्चों का शोषण करने में लगे है। जावरा में जो कुछ हुआ,उसमें इस महकमें के लोगों की पूरी हिस्सेदारी रही है। जिले की बडी मैडम ने महकमे के एक अफसर को निलम्बित करने की सिफारिश तो फौरन कर डाली थी,महकमें की बडी साहिबा के खिलाफ भी कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा जा चुका है। अब पूरा दारोमदार राजधानी पर है। हांलाकि सूबे के मुखिया कमल नाथ भी कह चुके है कि ढील पोल बर्दाश्त नहीं की जाएगी और तमाम दोषियों के खिलाफ कडी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन फिलहाल तो महिला बाल विकास विभाग के केवल एक अफसर के खिलाफ कार्यवाही हो पाई है। वैसे गैंद पुलिस के पाले में है। मम्मा के साथ कुन्दन कमेटी के पदाधिकारी तो पुलिस की गिरफ्त में आ चुके है,लेकिन मम्मा के साथ जाम टकराकर बच्चियों का शोषण करने वाले सफेदपोशों के चेहरे अब भी उजागर नहीं हुए है। इनके चैहरे उजागर होंगे,तभी पुलिस का गौरव बढेगा।

रस्सी जल गई बल नहीं गया

फूल छाप वाले पन्द्रह सालों तक सरकार में थे। आपसी खींचतान,लडाई झगडे सबकुछ चरम पर पंहुच गया था। चुनाव में जनता ने फूल छाप को जोर का झटका दिया। इसके बावजूद फूल छाप वालों के तौर तरीकों में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। हाल वैसा ही है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। उधर गौर सा.ने पार्टी को ब्लैकमेल करना शुरु किया,तो यहां नगर सरकार की डाक्टर मैडम ने अपनी पार्टी वालों के विरोध के बावजूद पंजा पार्टी के नेताओं के साथ स्वागत समारोह आयोजित कर डाला। इन दिनों अब सेठ जी चर्चाओं में है। मामा ने सेठ का टिकट काटा था,तो वादे के मुताबिक उन्हे मंत्री दर्जा भी दिया। अब सरकार बदली तो फूल छाप वालों को उम्मीद थी कि सेठ जी मंत्री दर्जा छोड देंगे। लेकिन हुआ उलटा। पंजा पार्टी ने तीन महीने का एक्सटेंशन दे दिया। अब फूलछाप पार्टी के कुछ नेता उन्हे पार्टी से निकालने की मांग कर रहे है और वे कह रहे हैं कि वे ऐरे गैरों की बात पर टिप्पणी नहीं करते। सेठ जी कह रहे है कि उनका दर्जा संवैधानिक है,इसलिए रिपोर्ट दिए बिना उनका छुटकारा नहीं हो सकता। जो भी हो,फूल छाप वालों की आपसी लडाई कहीं आने वाले दिनों में फूल छाप को नुकसान ना पंहुचा दे।

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