राग रतलामी / शहर चुनाव को लेकर दम भरने लगी पंजा पार्टी लेकिन फूल छाप में फ़िलहाल सुस्ती का आलम,जमीन के जादूगरों पर कसना होगी नकेल….
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबाई सरकार पर जैसे ही मामाजी ने कब्जा जमाया उसी वक्त से यह तय हो गया था कि अब तमाम शहरो में शहर सरकार पुराने तरीके से ही बनाई जाएगी। यानी पार्षदों का चुनाव अलग होगा और सरकार के मुखिया यानी महापौर का चुनाव अलग होगा। मामा जी के निर्देश पर तमाम शहरो में वार्ड आरक्षण का काम भी निपटा लिया गया। अब रतलाम के भी 49 वार्डो का आरक्षण हो चूका है,लेकिन शहर सरकार के मुखिया का मामला फ़िलहाल लटका पड़ा है। वार्डो के आरक्षण से चुनावी अखाड़े में उतरने के मनसूबे बांध रहे नेताओ को बड़ी सुविधा हो गई है। अब उन्हें उनका लक्ष्य साफ़ नज़र आने लगा है।
लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओ पर इसका असर कुछ अलग अलग दिखाई दे रहा है। पंजा पार्टी ने चूँकि अभी अभी सरकार गंवाई है इसलिए पंजा पार्टी वालो के लिए इस चुनाव की अहमियत कुछ ज्यादा हो गई है। शायद यही कारण है कि पंजा पार्टी ने शहर के वार्ड वार्ड में सक्रियता बढ़ा दी है। पंजा पार्टी के नेताओ ने वार्डो के टिकट दावेदारों को भी अभी से इशारा कर दिया है कि वे तैयारी में लग जाये। इन्ही इशारो का असर है कि पंजा पार्टी के तमाम छुटभैये,आजकल नए नए कुर्ते पायजामे पहन कर मोहल्लो की समस्याएं हल करवाते नज़र आने लगे है। उन्हें पता है कि इस वक्त की सेवा ही चुनाव में उन्हें जीत का मेवा दिलवा सकती है। कुछ वार्डो में पंजा पार्टी के दावेदार ज्यादा है इसलिए जनता को सेवा करने वाले भी ज्यादा मिल गए है। आम लोगो के लिए भी ये समय बड़े मजे का है। मोहल्ले में गंदगी हो,या नल की समस्या हो,नगर निगम में कोई टेक्स जमा करना हो या कोई परमिशन लेना हो,केवल कहने भर से दौड़ दौड़ कर काम करने वाले हाज़िर हो जाते है। आपको न तो नगर निगम जाने की जरुरत है और न ही किसी निगम कर्मी के हाथ जोड़ने की। आपके ये सारे काम करने के लिए इन दिनों पंजा पार्टी वाला कोई ना कोई नेता मौजूद है। इतना ही नहीं लम्बे समय से निर्जीव सी नज़र आ रही पंजा पार्टी अब आये दिन कही ना कही कोई प्रदर्शन करती हुई नज़र आने लगी है। पंजा पार्टी के नए बने मुखिया की सक्रियता के साथ साथ इसमें टिकट दावेदारों का भी बड़ा योगदान है। पंजा पार्टी वाले भैया प्रदर्शन का प्रोग्राम बनाते है तो तमाम दावेदार खुद तो पंहुचते ही है अपने साथ अपने साथियो को भी लेकर आते है। इसी का नतीजा है कि पंजा पार्टी आजकल थोड़ा दम भरती हुई नज़र आने लगी है।
लेकिन फूल छाप की कहानी इससे पूरी तरह अलग दिखाई दे रही है। दावेदार तो फूल छाप में भी ढेरो है लेकिन वे अब तक वार्डो में नज़र नहीं आ रहे है। फूल छाप में वार्डो ज्यादा खींचतान मेयर पद को लेकर अभी से मचती हुई दिखने लगी है जबकि अभी यह भी तय नहीं हुआ है कि आरक्षण क्या होगा ? फूल छाप वाले अंदाजा लगाए बैठे है कि मुखिया का पद पिछड़े पुरुष के खाते में जाने वाला है और इसी लिहाज से नेता अपनी जमावट की गणित सेट करने में लगे है। लेकिन पार्षद पद के लिए सक्रियता पंजा पार्टी की तुलना में बेहद कम होने का चक्कर अभी लोगो की समझ से बाहर है। वैसे इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि फूल छाप के वार्डो के दावेदार यह मानकर चल रहे है कि वार्ड में सक्रियता दिखाने की बजाय भैयाजी को सक्रियता दिखाना ज्यादा जरुरी है। शायद इसी कारण से वार्डो में फूल छाप वाले दिखाई नहीं दे रहे है। फूल छाप के दावेदारों को अभी पार्टी की ओर से कोई इशारा नहीं मिला है। उनकी समस्या यह है कि वे अभी से सक्रीय हो जाये और एन वक्त पर टिकट किसी दूसरे की झोली में जा गिरे। इससे तो यही अच्छा है कि वार्ड में सक्रियता की बजाय पार्टी में सक्रियता दिखाई जाये।
जो भी हो,वार्डो का आरक्षण जल्दी हो जाने से दावेदारों को जंहा फायदा भी है तो नुकसान भी है। फायदा तो यह है कि चुनाव की तैयारी के लिए बहुत सारा वक्त मिल गया है। वे इस वक्त का उपयोग वार्ड में सक्रीय होकर वोटरों को पटाने में कर सकते है,लेकिन दूसरी तरफ नुकसान ये है कि खर्चे का मीटर अभी से चल पड़ा है। कार्यकर्ताओ को जोड़ कर रखना आजकल आसान काम नहीं है। ये बड़ा खर्चीला काम है लेकिन बेहद जरुरी भी है। बहरहाल देखने वाली बात ये है कि फूल छाप वाले दावेदार कब सक्रीय होंगे और जब तक वे सक्रीय होंगे तब तक पंजा पार्टी के दावेदार कितनी बढ़त बना चुके होंगे ?
जमीन जादूगरों पर कसेगी नकेल
नगर निगम के नए आये साहब ने जमीन के जादूगरों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। दो जादूगरों ने कालोनी के विकास कार्य पुरे होने के पहले ही बंधक रखे प्लाट बेच खाये। अब नए साहब ने जब जाँच शुरू करवाई तो इस राज का पता चला। जाँच की हद में और भी कई सारे जमीन के जादूगर है। उनमे से कुछ तो खुद को पूरी तरह से पाक साफ बता रहे है। लेकिन जमीन की जादूगरी को समझने वाले जानते है कि चोर चोरी से जाये पर हेरा फेरी से ना जाए। शहर में धड़ल्ले से कई सारी नई कालोनिया बन रही है। देश में अब रेरा कानून लागु हो चूका है। हर नई कालोनी को बनाने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन जरुरी है। लेकिन रतलामी जमीन के जादूगर इतने कलाकार है कि रेरा को भी ताक पर रखने से बाज नहीं आते। सैलाना रोड पर दो सफल कालोनियों के बाद बनाई जा रही तीसरी कालोनी की यही कहानी है। अभी रेरा का अप्रूवल मिला नहीं है लेकिन कालोनी के सारे प्लाट बिक चुके है और भाव भी बढ़ने लगे है। नगर निगम के बड़े साहब को ऐसे जादूगरों पर भी नकेल कसना होगी।