राग-रतलामी/ मैडम जी की नाकामियों से पंजा पार्टी की बल्ले बल्ले, अफसरशाही का रवैया अपनों पे सितम,गैरो पे करम
-तुषार कोठारी
रतलाम। ये दिन शहर सरकार की मालकिन डाक्टर मैडम की बिदाई के दिन है। मलकियत के आखरी दिनों में फूल छाप वाली इन मैडम जी को पंजा पार्टी के भरोसे विकास कार्यो के पत्थरों पर नाम लिखवाने का मौका मिल गया। दो बत्ती के भरे चौराहे पर पंजा पार्टी के प्रभारी मंत्रीजी के साथ मैडम जी मंच पर मौजूद थी। उनका बोलने का मौका आया,तो पूरे पांच साल की रामायण बांचने बैठ गई। सुनने वाले भी परेशान होने लगे। मैडम जी चालू हुई तो रुकने का नाम ही लेने को तैयार नहीं। उनकी कैसेट लम्बी खिंचने लगी तो पंजा पार्टी वालों को हजम नहीं हुआ। पंजा पार्टी के एक नेता ने फौरन एक पर्ची तैयार की और उन्हे भिजवाई,कि अब बहुत हो गया,बस अब बंद कर दीजिए। अभी तो मंत्री जी को भी बोलना है और आगे और कार्यक्रमों में भी जाना है। पर्ची पढने के बाद मैडम जी ने जैसे तैसे अपनी रामायण समाप्त की। लोग कह रहे थे कि मैडम जी ने खुद तो कभी अपनी तरफ से अपने काम बताने की कोई कोशिश नहीं की,लेकिन पंजा पार्टी के मंत्री जी की मौजूदगी में ऐसे चालू हो गई,जैसे ये सब उन्ही ने करवाया हो।
जलसा खत्म हुआ,तो वहां मौजूद लोगों में चर्चाएं चल पडी। एक बंदे ने पंजा पार्टी के लिए बेहतरीन सुझाव दिया,कि अगर पंजा पार्टी वाले हर वार्ड में केवल मैडम जी के फोटो बंटवा दें,तो बस इतने से ही पंजा पार्टी की नैया पार हो जाएगी। गली मोहल्लों वाले चुनाव में पंजा पार्टी के लिए मैडम जी ही बडा मुद्दा रहने वाली है। पिछले पांच सालों में मैडम जी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया,जिसे फूल छाप वाले बता सकें। पिछले चुनाव में हांलाकि फूल छाप वाले भैयाजी ने जीत का जबर्दस्त रेकार्ड बनाया था,लेकिन उन्होने भी यह सावधानी बरती थी कि अपने प्रचार से मैडम जी को दूर ही रखा था। लेकिन अब तो चुनाव ही मैडम जी की सरकार का है। मैडम जी का तो कार्यकाल पूरा होने को है,परेशानी आने वालो को झेलना है। वोट मांगने जाएंगे तो लोग मैडम जी के कामों पर ही सवाल पूछेंगे। इन सवालों का जवाब फूल छाप वाले कहां से लाएंगे? मैडम जी की नाकामियों का ही असर है कि पंजा पार्टी वालों की बांछे खिली हुई हैै। वे जानते है कि इस चुनाव में मैडम जी की बदौलत उनकी बल्ले बल्ले होने वाली है।
अपनो पे सितम गैरों पर करम
जिले में पांच विधायक है। तीन फूल छाप वाले है और दो पंजा पार्टी के। सरकारी आयोजन होता है,तो जिले के विधायकों को बुलाने का रिवाज है। लेकिन जब सरकारों का सिस्टम बदलता है,तो अफसरशाही के तौर तरीके भी बदल जाते है। दो चुनाव हारने के बाद हाल ही में उपचुनाव जीते भूरिया जी अब फिर से कद्दावर हो गए है। पंजा पार्टी वाले तो उनके आगे पीछे घूम ही रहे है,सरकारी अफसर भी उनका विशेष ध्यान रखने लगे है। शहर में प्रभारी मंत्री का कार्यक्रम हुआ,तो जिले के विधायकों को छोड कर झाबुआ के विधायक जी को मुख्यअतिथि बनाया गया। पंजा पार्टी के जिले में दो दो एमएलए है। इनमें से आलोट के एमएलए तो बेचारे बिना बुलाए आ गए। सैलाना के एमएलए को बुलाया ही नहीं,तो वो नहीं आए। झाबुआ के एमएलए साब को मुख्यअतिथि बनाकर बुलाया। पत्थरों पर उनका नाम भी लिखवाया। लेकिन वो नहीं आए। जिनको ना तो बुलाया गया और ना ही नाम लिखवाया,वो बेचारे चले आए। इसी को कहते है,अपनो पे सितम गैरों पर करम।