राग-रतलामी/ नवाबी नगरी की नकली कहानी में शामिल है और भी कई किरदार
-तुषार कोठारी
रतलाम। नवाबी शहर के कुन्दन कुटीर की कहानियां नए नए मोड ले रही है। कुन्दन कुटीर वाली मम्मा तो हवालात की हवा खा रही है,लेकिन पंजा पार्टी के नेताओं की आपसी खींचतान से नई कहानियां निकल कर सामने आने लगी है। जब पहले पहल कुन्दन कुटीर की कहानी उजागर हुई थी,तो नए नए किस्से सुनाए जा रहे थे। इन्ही किस्सों की आड में पंजा पार्टी के एक नेता ने अपनी ही पार्टी के दूसरे गुट को उलझाने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर डाली। एक विडीयो बनाकर उसे तरीके से वायरल किया गया। विडीयो वायरल होते ही वर्दी वालों पर दबाव बनाया जाने लगा कि वे विडीयो के आधार पर कार्यवाही करें। ये गनीमत रही कि पुलसियों के कप्तान ने इस स्क्रिप्ट के पीछे काम कर रहे किरदारों को ढूंढ निकाला। जल्दी ही पता चल गया कि न तो विडीयो सही था और ना ही विडीयो बनाने वाले। विडीयो बनाने वालों ने तो पंजा पार्टी के गढी वाले नेता की शक्ति कम करने का प्लान रचा था। प्लान रचने वाला खुद भी पंजा पार्टी का ही नेता था,जो नवाबी नगरी का प्रथम नागरिक भी रह चुका है। कहने वालों का तो यहां तक कहना है कि इस खेल के पीछे पंजा पार्टी के और भी बडे नेता है। चुनाव के वक्त पंजा पार्टी के टिकट के लिए जबर्दस्त खींचतान मची थी और टिकट के इस युध्द में गढी वाले दरबार ने बाजी मार ली थी। हांलाकि चुनाव में उन्हे जीत नसीब नहीं हुई। लेकिन पंजा पार्टी के दूसरे नेता तभी से ठान कर बैठे थे कि दरबार को किसी ना किसी तरह झटका देना है। कुन्दन कुटीर वाली मम्मा का मामला सामने आते ही उनके शैतानी दिमाग से आइडिया निकला और एक नई कहानी सामने आ गई। अब हालत यह है कि इस कहानी के दो किरदार एक काले कोट वाला और कुन्दन कुटीर की पूर्व महिला कर्मचारी,ये दोनो तो गिरफ्त में आ चुके है,लेकिन पंजा पार्टी के नेताजी भागते फिर रहे हैं। पंजा पार्टी की कहानी जानने वालों का यह भी कहना है कि सारी सच्चाई सामने लाने के लिए पंजा पार्टी के बडे नेताओं ने अपना दम लगा दिया था। तभी जाकर .े सच सामने आया। बहरहाल, कहानी के तीनों खास किरदारों के चेहरे तो उजागर हो गए है,लेकिन अब भी कुछ चेहरे छुपे हुए है। कहने वाले तो यह भी कह रहे है कि झूठी कहानी फैलाने में कुछ खबरचियों का भी रोल था। ये खबरची कौन से थे,ये अभी उजागर नहीं हुआ है। चर्चाएं तो यह भी है कि पंजा पार्टी के कुछेक नेता और है,जो इस कहानी में शामिल थे। अगर ऐसा है,तो इनके चेहरे कब सामने आएंगे..?
फूल छाप की क्वालिफिकेशन
फूल छाप पार्टी की कमान अब नए हाथों में आ चुकी है। चुनाव निपटने के बाद फूल छाप में जिले के मालिक को लेकर जोर आजमाईश शुरु हो चुकी थी। चुनाव निपटते ही नवाबी नगरी के फूल छाप वाले नेताओं ने जिले के मालिक के ही खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया था। तभी से यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि अब फूल छाप को नया मालिक मिलेगा। जैसे ही ये बातें सामने आई,फूल छाप के तमाम नेता अपनी अपनी जमावटों में लग गए। हर कोई चाहता था कि पार्टी का जिले का मालिक वही बन जाए। फूल छाप के आधा दर्जन नेता इसी कोशिश में लगे थे। लेकिन फूल छाप पार्टी के उपर वाले आकाओं की पसन्द कुछ और ही थी। फूल छाप पार्टी के झण्डे लेकर दौडने वाले कार्यकर्ताओं को जब पता चला कि लुनेरा के दरबार को पार्टी का मालिक बना दिया गया है,तो आम लोगों की तरह वो भी बेहद हैरान हुए। इनमें से ज्यादातर तो ऐसे थे,जिन्होने दरबार की शकल तक नहीं देखी थी। देखते भी कैसे? दरबार भोपाल दिल्ली की दौड ही ज्यादा लगाते थे। लोकल प्रोग्राम में तो उनकी मौजूदगी ना के बराबर ही होती थी। लेकिन भोपाल दिल्ली की दौड ही उनके काम आई। दिल्ली में बैठे मंत्री जी उनके खास थे। मंत्री जी का खास होने का असर दिखाकर दरबार ने चुनाव जीते जिले के तीनों नेताओं को साथ लिया और आखिरकार जिले का ताज हासिल कर ही लिया।
फूल छाप के झण्डे उठाने और दरियां बिछाने वाले बडे हैरान है। कुछ समझदारों ने इसे अलग ढंग से देखा। फूल छाप पार्टी के एक नेता लगातार दो बार जिले के मालिक रहे। उनकी खासियत यह थी कि वे १९७६ के एमएससी गोल्ड मेडिलस्ट है। दूसरी खासियत ये थी कि उनके भाई पंजा पार्टी सम्हालते थे। उनके बाद सज्जन मिल वाले नेता को जिले का मालिक बनाया गया,लेकिन उन्हे दूसरा मौका नहीं मिला। नवाबी नगरी वाले भाई साहब को काली टोपी वालों ने मौका दिया था। उनका कोई रिश्तेदार पंजा पार्टी में नहीं था,इसलिए उन्हे तो बीच में ही टाटा कर दिया गया। नए वाले जिले के मालिक फिर से समन्वय की राजनीति वाले है। खुद फूल छाप के नेता है और उनके भैय्या पंजा पार्टी को सम्हाले हुए हैं। फूल छाप वालों का कहना है कि फूल छाप पार्टी के लिए बडी क्वालिफिकेशन यही है कि कोई रिश्तेदार पंजा पार्टी में भी होना चाहिए……।
नाथ को खुश करने की मशक्कत….
सूबे के नए मालिक कुछ ही दिनों बाद जिले में आने वाले है। पहले तो वे यहीं आने वाले थे,लेकिन अब वे नामली में आएंगे। जिले का पूरा महकमा उनके आने की तैयारियों में जुटा है। अफसरान के लिए चुनौती यह है कि नए नाथ को खुश कैसे करें? इसके लिए तरह तरह के जतन किए जा रहे है। पंजा पार्टी कर्ज माफी के नाम पर सत्ता में आई है। इसलिए तमाम अफसर नाथ जी को कर्जमाफी का मसीहा साबित करने की मशक्कत में जुटा है। ताकि वो खुश हो जाए और अफसरों के लिए आने वाले दिन खुशियों भरे रहें……।