राग रतलामी- नए साहब के साथ आए,कई नए छोटे साहब,अब कामों के बंटवारे का इंतजार
-तुषार कोठारी
रतलाम। जिला इंतजामिया में नए साहब आए,तो अपने साथ कुछ छोटे साहबान को भी लेकर आए। वरना इससे पहले तक तो जिला इंतजामियां पूरी तरह से पिंक हो रखा था। एक नम्बर से तीन नम्बर तक सभी कुर्सियों पर मैडमे ही विराजमान थी। बडी मेडम के दौर में जब तीसरे नम्बर वाली मैडम का तबादला दूसरे जिले में हुआ था,तो बडी मैडम जी ने उनकी जगह फिर से एक मैडम को ही जिम्मेदारी दे दी थी। इंतजामियां में जो इक्के दुक्के छोटे साहबान थे,उन्हे या तो दूर दराज भेज दिया गया था या फिर कम महत्व वाले महकमे सौंप दिए गए थे।
लेकिन नए साहब अब नए मातहतों को लेकर आए हैं। इंतजामियां पर नजर रखने वालों का मानना है कि नए साहब के साथ आए नए मातहतों को अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएगी।
हांलाकि नए साहब आते ही कोरोना से जंग में जुट गए है,इसलिए इंतजामियां की नई जमावट फिलहाल हो नहीं पाई है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इंतजामियां का नया चेहरा सामने आएगा। नए साहब रतलामियों के मिजाज से अच्छी तरह वाकिफ है। वे अच्छी तरह से जानते है कि इंतजामियां के कामों में कसावट लाने के लिए कहां पर किसे तैनात किया जाना चाहिए। इंतजार कीजिए आने वाले कुछ दिनों में इतंजामियां में बडे फेरबदल दिखाई देंगे।
राशन बांटने में गडबडियां
कोरोना लाकडाउन में गरीबों के लिए सरकार ने बडे पैमाने पर मुफ्त राशन की व्यवस्था की,लेकिन राशन को बांटने वाले सरकार के इरादों पर पानी फेरने में कई कसर नहीं छोड रहे हैं। शहर की एक राशन दुकान पर राशन पंहुचाने वाले ट्रक के केबिन में डेढ क्विंटल राशन बरानद होना,इसी गडबडी का एक छोटा सा सबूत है। हांलाकि राशन बांटने वाला महकमा इसे इतनी तवज्जो देने को तैयार नहीं है। राशन दुकानों की खबर रखने वाले बताते है कि दुकानों पर पंहुचे मुफ्त के राशन में से बडा हिस्सा खुले बाजारों में बेचा जा रहा है। इस बार सरकार ने मुफ्त के राशन में चने भी बांटने के लिए भेजे थे। राशन लेने वाले गरीबों को इस बात की जानकारी नहीं होने का फायदा भी दुकानदारों ने जमकर उठाया। गेंहू और चावल तक तो ठीक था,लेकिन राशन दुकानों का चना भी बाजारों मे बडी तादाद में बेचा जा रहा है। राशन दुकान वालों की जादुगरी का कमाल है कि गडबडी रोकने के तमाम सरकारी इंतजामों को वे बडी आसानी से धता बता देते है। कोरोना काल के नाम पर पात्रता पर्चियों के वितरण का काम रोक दिया गया था। नए साहब ने आने के बाद सबसे पहले इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में बाजारों में पंहुचाया जा रहा मुफ्त राशन सचमुच में गरीबों तक पंहुच सकेगा।
टैक्स माफी तो हुई लेकिन नहीं चली गाडियां
बसें,तभी से बन्द है,जब से कोरोना का लाक डाउन आया। अनलाक के दौरान सरकारों ने बसें चालू करने की छूट दे दी थी,लेकिन बस मालिकों ने टैक्स माफी की मांग को लेकर बसें रोक रखी थी। आखिरकार सरकार ने लाक डाउन अवधि का टैक्स भी माफ कर दिया,लेकिन बसें फिर भी नहीं चली। बस मालिकों का कहना है कि सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन कम्प्यूटर में बदलाव नहीं किया। जब तक कम्प्यूटर में टैक्स माफी से जुडा बदलाव नहीं हो जाता,तब तक बसें कैसे चलाएं? समस्याएं अभी और भी है। कम्प्यूटर की व्यवस्था ठीक होने के बाद भी बसों के चलने की उम्मीद कम ही है। बस मालिकों की दूसरी मांग किराया बढाने की भी थी,लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। जब लाक डाउन हुआ था,तब से डीजल के भावों में जबर्दस्त इजाफा हो चुका है। ऐसे में बस मालिक किराया बढाए बगैर बसें चलाने को राजी नहीं है। कुल मिलाकर बसें चालू होने में अभी कई सारे पेंच बाकी है।