February 4, 2025

युवा सामाजिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की भावना से काम करें- राज्यपाल

vikramvv

विक्रम विष्वविद्यालय का इक्कीसवां दीक्षांत समारोह गरिमामय ढंग से सम्पन्न
महामहिम ने चार नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया

उज्जैन 25 जुलाई (इ खबरटुडे)। युवा वर्ग चरित्र की महता, सामाजिक एवं राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की भावना को समझें, साथ ही प्रतिस्पर्धा की अपेक्षा सहयोग की भावना को प्रमुखता दें । दीक्षांत समारोह का यह आयोजन विक्रम विष्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण एवं गरिमामय क्षण हैं जो विद्यार्थियों, उनके परिजनों, साथियों, षिक्षकों एवं विष्वविद्यालय परिवार के समस्त सदस्यों को इस बात का अहसास दिलाता है कि विद्यार्थियों की जीवन यात्रा का एक सोपान पूर्ण होकर नये स्वरूप का सूत्रपात हो रहा है । म.प्र.विष्वविद्यालयों से अपेक्षा करता हूँ गुणवत्तापूर्ण षिक्षा को बढ़ावा दें तथा विद्यार्थियों को परम्परा और संस्कार से जोड़ें । जीवन में सफलता प्राप्त करने लिए निराष न हांे, मंजिल प्राप्त करने निरन्तर आगे बढ़ते रहना ।
महामहिम राज्यपाल एवं मध्यप्रदेष के कुलाधिपति रामनरेष यादव ने विक्रम विष्वविद्यालय उज्जैन के इक्कीसवें दीक्षांत समारोह आयोजन की अध्यक्षता करते हुए अपने सम्बोधन में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए । विष्वविद्यालय के माधव भवन प्रषासनिक परिसर स्थित प्रांगण में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए महामहिम श्री यादव ने कहा कि भगवान महाकाल की धार्मिक नगरी और भारत का प्राचीनतम विद्या केन्द्रों में अपना विषेष महत्व रखने वाले इस षहर में विक्रम विष्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है । भारतीय संस्कृति, परम्परा और सारस्वत साधना की दृष्टि से यह नगर इतिहास में प्रसिद्ध है ।


आपने विद्यार्थियों को उपदेष दिया कि, ज्ञान तो अर्जित हो जाता है, लेकिन अपने चरित्र और नैतिकता को कभी मत छोड़ना । यह आपकी पूँजी है और हमेषा रहेगी ।  इस अवसर पर महामहिम श्री यादव ने समस्त छात्र-छात्रओं को मेडल तथा उपाधि पाने के लिए हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि जो हमारे लिए श्रेष्ठ आचरण हो और हम उसका अनुसरण करें । भारतीय संदर्भो में यह उपदेष सदा-सर्वदा प्रासंगिक है । आपके जीवन में यह निष्चित ही उपलब्धि का क्षण है, ंजिसके लिए आपने कठोर परिश्रम करते हुए अपने सपनों को सँवारा होगा । आपने कहा कि इस विषेष अवसर पर हमारे देष के पुरातन ऋषि-मुनियों की ज्ञानमयी वाणी का उल्लेख प्रासंगिक और प्रेरणादायी है।  मैं इस अवसर पर विष्वविद्यालय परिवार और उससे जुड़े सभी लोगो को भी बधाई और षुभकामनाएँ देता हूँ ।

लोकार्पण

इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति रामनरेष यादव विक्रम विष्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा अकादमिक परिक्षेत्र में निर्मित चार भवनों का लोकार्पण इलेक्ट्राॅनिक पद्धति से किया । ं यूजीसी की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत नवनिर्मित परीक्षा भवन, श्रीमती रमाबाई अम्बेडकर कन्या छात्रावास, कन्या जिम्नेशियम हाॅल एवं फार्मेसी भवन के द्वितीय चरण का निर्माण षामिल हैं। इनमें श्रीमती रमाबाई अम्बेडकर कन्या छात्रावास लगभग रूपये 1.30 करोड़ की लागत से, फार्मेसी भवन का द्वितीय चरण लगभग रूपये 1.20 करोड़, परीक्षा भवन लगभग रूपये 1.21 करोड़ तथा कन्या जिम्नेशियम हाॅल लगभग रूपये 56 लाख की लागत से निर्मित किए गए है ।
समारोह के मुख्य अतिथि तकनीकी षिक्षा एवं कौषल विकास, उच्चषिक्षा, म.प्र.षासन उमाषंकर गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दीक्षा का अंत हुआ है षिक्षा का नहीं और आगे आपके जीवन में ग्रहण करने की अपार संभावनाएँ हैं तथा बहुत कुछ सीखने की गुंजाइष भी है । विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि जो जहाँ है वहाँ ईमानदारी से काम करें और अपनी श्रेष्ठता साबित करें । आज षिक्षा के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हंै । इनमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि विद्यार्थी कुंठित हंै और उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं है, यही मुस्कान वापस लाने की जिम्मेदारी हमारी है । इसके लिए महत्वपूर्ण कार्य षिक्षा में सुधार करने की है, जिनमें षिक्षा की गुणवत्ता की आवष्यकता और रोजगार षिक्षा देने की है ।
भारतीय राष्टीªय विधि विष्वविद्यालय, बैंगलुरू के कुंलपति प्रो.आर.वेंकटराव ने दीक्षांत समारोह के विषिष्ट अतिथि के रूप में दीक्षांत भाषण में कहा कि विक्रम विष्वविद्यालय की भारत में एक विषिष्ट पहचान है, यहाँ से षिक्षा प्राप्त कर प्रत्येक विद्यार्थी निष्चित तौर पर अपने कार्यों से अपनी विषिष्ट पहचान बनाएँगे । आज का विद्यार्थी तकनीकी उन्नति का सर्वश्रेष्ठ जानकार है । अतः षिक्षकों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों की षक्तियों को सही दिषा में प्रगति के पथ पर विकसित करें । आपने कहा कि विद्यार्थियों को दीक्षा के पष्चात् नये-नये व्यवसायों व नौकरियों में नित नई चुनौतियों से सामना करना होगा, वे सफल तभी होंगे, जब वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा एव मेहनत से करेंगे ।
म.प्र.षासन, के स्कूल षिक्षा मन्त्री पारस चन्द्र जैन ने अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थियों को षिक्षा यह अवगत कराती है कि वह विकास के पथ पर चलें और श्रेष्ठ गुण उसमें समाहित हांे । विष्वविद्यालय अपने ष्षोध क्षेत्र को बढ़ाएँ मूल्य आधारित षिक्षा को अपनाएँ व विकास परख षिक्षा को बढ़ावा दे ।
उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के सांसद, डाॅ.चिन्तामणि मालवीय ने अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में कहा कि उच्चषिक्षा में उज्जैन का नाम प्राचीनतम इतिहास से जुड़ा हुआ है । बडी विभूतियों ने यहाँ से गौरव प्राप्त किया है । मैं विद्यार्थियों से अपेक्षा करता हूँ कि वह हमेषा अपने लक्ष्य का ध्यान रखें और आगे अपनी उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए बढ़ते रहें । लक्ष्य प्राप्ति में षिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है ।
उज्जैन दक्षिण क्षेत्र के विधायक डाॅ.मोहन यादव ने अपने अतिथि उद्बोधन में कहा कि उज्जैन दीक्षा का प्राचीन केन्द्र रहा है और यहीं से विष्व गुरू की पहचान षुरू हुई है । उज्जैन ही प्राचीन परम्परा से जुड़ा हुआ षिक्षा का अद्वितीय केन्द्र है जिसने हर एक विषयों में अपनी उपलब्धियां दर्ज करवाई है ।

विक्रम विष्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो.जवाहरलाल कौल ने समारोह के आरंभ में अपने स्वागत भाषण में कहा कि विक्रम विष्वविद्यालय का विद्यार्थी समृद्ध परम्परा से जुड़े होने का गौरव अनुभव करता है। लेकिन कुछ अच्छा पाने की, कुछ अच्छा बनने की चाह हमेश अधूरी रहती है। क्योंकि ज्ञान तो सागर की तरह अथाह है। मैं अपने छात्र-छात्राओं से यही कहना चाहूँगा कि जो ज्ञान आपने पाया है, उससे और अधिक पाने की कोशिश लगातार करते रहें। ज्ञान पाने के सफर के पड़ाव तो बहुत हैं, लेकिन यह एक कभी खत्म न होने वाला सफर है। आप इस यात्रा को हमेशा जारी रखेंगे,यही उम्मीद है। प्रो. कौल ने कहा कि जिनके नाम से भारत में विक्रम संवत् की षुरूआत हुई, उन महाराज विक्रमादित्य की सभा में अलग-अलग विद्याओं के जानकार नवरत्न हुआ करते थे। उन्हीं विक्रमादित्य के नाम से जुड़े इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएँ भी रत्नों की तरह चमकेंगे । मैं एक बार पुनः दीक्षान्त समारोह में उपाधियों और पदकों से सुशोभित होने वाले सभी छात्र-छात्राओं को बधाइयाँ देते हुए उनके मंगलमय भविष्य की कामना करता हूँ।
समारोह के आरंभ में विष्वविद्यालय के मुख्य प्रषासनिक भवन के द्वार से समारोह स्थल तक दीक्षांत ष्षोभा यात्रा निकाली गई इसमें महामहिम राज्यपाल रामनरेष यादव, अतिथिगण, कुलपति, कुलसचिव, समस्त संकायाध्यक्ष, कार्यपरिषद् सदस्य, विद्यापरिषद् सदस्य षामिल हुए । समारोह के ष्षुभारंभ के पूर्व राष्ट्रगान तथा कुलगान हुए और कुलपति प्रो.जवाहरलाल कौल ने महामहिम राज्यपाल श्री रामनरेष यादव, म.प्र.ष्षासन के मंत्री  उमाषंकर गुप्ता, पारस चन्द्र जैन, दीक्षांत अतिथि प्रो.आर.वेंकटराव, सांसद डाॅ.चिन्तामणि मालवीय एवं विधायक डाॅ.मोहन यादव को पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया ।
आयोजन में कार्यपरिषद् सदस्य डाॅ.राजेष षर्मा, हरनामसिंह यादव,  जितेन्द्रसिंह ठाकुर, श्री सौरभ तिवारी, सुश्री कविता सूर्यवंषी, प्रो.एम.एस.परिहार, प्रो.एम.एस.हाड़ा, प्रो.तपन चैरे, प्रो.अचला षर्मा, संकायाध्यक्ष डाॅ.एच.पी.सिंह, डाॅ.रामराजासिंह चैहान आदि मंचासीन थे ।
समारोह में कुल 290 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की जाना थी  । इसमें पीएच.डी. उपाधि प्राप्तकर्ता वर्ष 2012 के 79 और 2013 के 90, कुल 169 षोधार्थी और स्नातकोŸार स्तर पर वर्ष 2012 के 65 एवं वर्ष 2013 के  56  प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले कुल 121 विद्यार्थी षामिल थे इनमें से 11 विद्यार्थी अनुपस्थित रहे । इस अवसर पर विभिन्न स्मृति स्वर्ण पदक, उत्कृष्टता प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को अर्पित किए गए ।
इसके अलावा कला, वाणिज्य, समाज विज्ञान,व्यवसाय प्रबंध, विज्ञान, विधि, जीव विज्ञान, गृह विज्ञान, षिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा संकायों के सत्र 2012 और 2013 के विद्यार्थियों को पीएच.डी.तथा स्नातकौत्तर की उपाधियां प्रदान की गई ।
समारोह का संचालन विष्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ.बी.एल.बुनकर व डाॅ.रूबल वर्मा ने किया एवं आभार कुलसचिव डाॅ.बी.एल.बुनकर ने माना ।

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