December 25, 2024

मानगढ के शहीदों को श्रध्दांजलि कार्यक्रम 17 नवंबर को

mangarh dham

मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे,भाजपा के वरिष्ठ नेता भगवत शरण माथुर समेत कई दिग्गज रहेंगे मौजूद

बांसवाडा,16 नवंबर (इ खबरटुडे)। मानगढ धाम के शहीदों को श्रध्दांजलि देने हेतु राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और भाजपा अजजा मोर्चे के केन्द्रीय मार्गदर्शक भगवत शरण माथुर समेत अनेक दिग्गज 17 नवंबर को मानगढ पंहुचेंगे। वे मानगढ धाम पर आयोजित श्रध्दांजलि समारोह में भाग लेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार,मानगढ के शहीदों को श्रध्दांजलि देने हेतु 17 नवंबर को दोपहर बारह बजे श्रध्दांजलि सभा को आयोजन किया गया है। मानगढ के शहीदों को श्रध्दांजलि देने हेतु राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे,भाजपा अजजा मोर्चे के राष्ट्रीय मार्गदर्शक भगवत शरण माथुर,अजजा मोर्चे के अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते,केन्द्रीय जनजाति मंत्री मनसुख भाई बसावा,झारखण्ड के केन्द्रीय मंत्री सुदर्शन भगत,राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया,राजस्थान के जनजाति मंत्री नंदलाल मीणा,राज्यमंत्री जीतमल खांट समेत अनेक दिग्गज मानगढ धाम पंहुच रहे हैं। श्रध्दांजलि सभा के मौके पर मुख्यमंत्री द्वारा मानगढ धाम के विकास की महती योजनाओं की घोषणाएं भी की जाएगी।

मानगढ धाम का इतिहास

राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ पर्वत वनवासियों के अंग्रेजों से संघर्ष और हजारों वनवासियों के बलिदान का स्मारक है। उल्लेखनीय है कि मानगढ धाम में 17 नवंबर 1913 के दिन अंग्रेजों ने निर्दोष वनवासी महिला पुरुष और बच्चों पर निर्दयतापूर्वक गोलियां चलाकर उनकी हत्या की थी। वनवासी समाज के समाज सुधारक गोविन्द गुरु के नेतृत्व में यहां हजारों वनवासी एकत्र हुए थे,जब अंग्रेजों ने यहां अंधाधुंध गोलियां चलाकर पन्द्रह सौ से अधिक निर्दोष वनवासियों की निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी थी। जलियांवाला बाग के काण्ड से भी बडा यह हत्याकाण्ड मानगढ में 17 नवंबर 1913 को हुआ था,लेकिन इतना निर्मम हत्याकाण्ड वैसा चर्चित नहीं हो पाया,जैसा कि जलियांवाला बाग काण्ड चर्चित है । इतिहास के मुताबिक 1858 में डूंगरपुर के एक बंजारा परिवार में जन्मे गोविन्द गुरु ने वर्ष 1903 में संप सभा का गठन किया था। संप सभा के माध्यम से गोविन्द गुरु ने वनवासियों को संगठित कर उनमें स्वतंत्रता की चेतना जागृत की और इसका केन्द्र मानगढ को बनाया। मानगढ में उन्होने धूनियां स्थापित की थी। वर्ष 1913 में 17 नवंबर को उन्होने मानगढ पर वनवासियों का सम्मेलन आयोजित किया था। अंग्रेजों ने आधी रात को नींद में सोए हुए निर्दोष वनवासी महिला पुरुष और बच्चों पर अंधाधुंध फायरिंग की,जिसमें पन्द्रह सौ से अधिक लोग शहीद हुए।
तभी से यहां प्रतिवर्ष 17 नवंबर को मेला लगता है। भाजपा अजजा मोर्चे द्वारा प्रतिवर्ष यहां श्रध्दांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।

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