September 21, 2024

भ्रष्टाचार एवं भ्रामक प्रचार कर चुनाव जीतने के मामले में पूर्व विधायक पारस सकलेचा को एक वर्ष के लिए अयोग्य घोषित

 भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत के आधार पर
रतलाम 05 मई(इ खबरटुडे)।वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी पारस सकलेचा द्वारा आमसभाओं में भाजपा प्रत्याशी हिम्मत कोठारी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों एवं भ्रामक प्रचार कर चुनाव जीतने के मामले में भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत के आधार पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पूर्व विधायक पारस सकलेचा को एक वर्ष के लिए अयोग्य घोषित करने का आदेश दिया है।

हाइकोर्ट के आदेश के विरुध्द सकलेचा ने भी सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया
ज्ञातव्य है पूर्व में वर्ष 2013 में इस मामले में श्री कोठारी की याचिका पर इंदौर हाइकोर्ट ने सकलेचा के निर्वाचन को शुन्य घोषित कर दिया था और आगामी कार्रवाई के लिए भारत निर्वाचन आयोग को प्रेषित किया था। हाइकोर्ट के आदेश के विरुध्द सकलेचा ने भी सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया है।
 मोर दाना खरीदी में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे-वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी
 इस मामले में जानकारी देते हुए पूर्व मंत्री एवं वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने बताया कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हे प्रत्याशी बनाया गया था। उक्त चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी पारस सकलेचा ने अपनी आमसभाओं में उन पर गृह एंव वन मंत्री रहते हुए पुलिस जवानों के डंडा खरीदी, बंदूक खरीदी, मोर दाना खरीदी में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, साथ ही बैंगलोर में सात सितारा होटल और मुबई में करोड़ों रुपए की जमीन होने के भी आरोप लगाए थे।
श्री कोठारी के अनुसार इन भ्रामक और झुठे आरोपों के कारण उनीक छवि धुमिल हुई और मतदाता भ्रामक और झुठे आरोपों के बहकावे में आ गए और उक्त चुनाव में उनके खिलाफ मतदान हुआ। चुनाव में पराजित होने के पश्चात श्री कोठारी द्वारा उच्च न्यायालय इंदौर में  झुठे आरोपों के सबंध में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के दौरान पारस सकलेचा चुनाव में उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाए, जिस पर 12 अप्रैल 2013 को उच्च न्यायालय इंदौर ने फैसला देते हुए पारस सकलेचा के निर्वाचन को शुन्य घोषित कर दिया और आगामी कार्रवाई के लिए भारत निर्वाचन आयोग को प्रेषित किया।
एक वर्ष के लिए अयोग्य घोषित
इंदौर उच्च न्यायालय के फैसले के विरुध्द पारस सकलेचा द्वारा  सर्वोच्च न्यायालय में वाद दायर किया गया। श्री कोठारी के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त वाद पर राष्ट्रपति महोदय द्वारा कार्रवाई करने के पश्चात ही सुनवाई प्रारंभ करने का निर्णय लिया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत के आधार पर अंडर सब सेक्शन(1) आफ सेक्शन 8ए आफ द रिप्रेजेनटेशन आफ द पीपुल एक्ट 1951 के तहत पारस सकलेचा को एक वर्ष के लिए अयोग्य घोषित किया। राष्ट्रपति महोदय द्वारा 29 मई 2015 यह आदेश जारी किया गया है।

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