भारत की लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ किसी धर्म के खिलाफ नहीं -सुषमा स्वराज
नई दिल्ली,01 मार्च(इ खबरटुडे)।विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के कार्यक्रम में जोरदार भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने ऋगवेद के श्लोक और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जो देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं, उन्हें आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने के लिए कहना चाहिए।सुषमा ने इस दौरान कहा
मैं महात्मा गांधी की धरती से आयी हूं, जहां हर आराधना का अंत ‘शांति’ के साथ होता है। स्थिरता, शांति, सामंजस्य, आर्थिक प्रगति और अपने व दुनिया के लोगों के लिए समृद्धि के लिए आपकी कोशिशों में मेरी तरफ से शुभकामनाएं।
भारत ने हमेशा ही बहुलतावाद को आत्मसात किया है। यह तो सदियों पहले रचे गए हमारे ऋगवेद में भी संस्कृत में लिखा है – ‘एकम सत विप्रा बहुदा वदांति’ यानि भगवान एक है, लेकिन विद्वान लोगों ने इसे कई रूप दे दिए। मैं यहां एक अरब 30 करोड़ से ज्यादा लोगों की शुभकामनाओं के साथ आयी हूं, जिनमें 185 मिलियन यानि 18 करोड़ 50 लाख मुसलमान भाई और बहनें भी हैं। हमारे मुस्लिम भाई-बहन भारत की विविधता का एक सूक्ष्म रूप हैं।
आतंकवाद के कई रूप मौजूद है, लेकिन इन सबमें एक समानता भी है। आतंकवाद का हर रूप धर्म की गलत व्याख्या का ही परिणाम है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, किसी धर्म के खिलाफ युद्ध नहीं है। जिस तरह से इस्लाम का मतलब शांति से है, अल्लाह के 99 नामों में से कोई भी हिंसा को बढ़ावा नहीं देता; वैसे ही हर धर्म में शांति का पाठ पढ़ाया गया है।
अगर हम मानवता को बचाना चाहते हैं तो जो देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं, फंडिंग कर रहे हैं, हमें उन राष्ट्रों से स्पष्ट तौर पर कहना होगा कि अपने यहां आतंक के ढांचे को पूरी तरह से खत्म करें। आतंकियों को पनाह देना बंद करें, आतंकी कैंपों को उखाड़ फेंके और आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकें।
आतंकवाद के राक्षस से सिर्फ मिलिट्री, इंटेलिजेंस और डिप्लोमेटिक तरीके से ही नहीं निपटा जा सकता है। हमारे नैतिक मूल्यों और धर्म के असली ज्ञान के जरिए भी आतंकवाद के नासूर को खत्म किया जा सकता है। यह एक ऐसा कार्य है, जिसे राष्ट्र, समाज, साधुओं, विद्वानों, धार्मिक नेताओं और परिवारों को करना होगा।भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत सबसे बड़ी क्रय शक्ति वाले देशों में से एक है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हम अपने बाजार, संसाधनों, अवसरों और स्किल को अपने सहयोगियों के साथ बांटना चाहते हैं।