भाजपा विधायक के दफ्तर में तोड़फोड़ पर हार्दिक को दो साल की सजा
नई दिल्ली,25 जुलाई (इ खबरटुडे)। भाजपा विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के 3 साल पुराने मामले में विसनगर गुजरात की स्थानीय अदालत ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, लालजी पटेल व एक अन्य आरोपी को दो – दो साल की सजा व 50-50 हजार का जुर्माना लगाया है। इस मामले में 14 अन्य को निर्दोष छोड़ दिया। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान विसनगर विधायक के कार्यालय को हिंसक भीड़ ने निशाना बनाया था, हमले के वक्त विधायक वहां मौजूद नहीं थे।
उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर कस्बे में 23 जुलाई 2015 को पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते रैली का आयोजन किया गया था। इसमें पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल, सरदार पटेल ग्रुप के अध्यक्ष लालजी पटेल व ए के पटेल आदि भी शामिल थे।
पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग के साथ रैली आगे बढ़ती गई तथा भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय पर पहुंचकर उग्र हो गई। रैली में शामिल युवकों ने विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ की तथा आग लगा दी। स्थानीय पत्रकार सुरेश वणोले ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, इस घटना के दौरान उसके सिर में भी चोट लगी तथा कैमरे को छीनने का प्रयास किया गया था।
विसनगर के अतिरिक्त जिला न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के बाद बुधवार को अपने फैसले में 17 में से 3 आरोपी हार्दिक पटेल, लालजी पटेल व ए के पटेल को दोषी मानते हुए उनहें दो दो साल की सामान्य कैद की सजा सुनाई, अदालत ने तीनों पर 50-50 हजार रु का जुर्माना भी लगाया जिसमें से दस हजार शिकायतकर्ता पत्रकार को, हमले के दौरान जिस कार को आग लगाई उसके मालिक को एक लाख रुपए तथा 40 हजार रुपए भाजपा विधायक को दिए जाने हैं। गौरतलब है कि घटना के वक्त भाजपा विधायक ऋषिकेश व दोषी पाए गए हार्दिक पटेल मौके पर मौजूद नहीं थे।
सरकारी वकील चंदनसिंह राजपूत ने बताया कि तोड़फोड़ व आगजनी के इस मामले में 17 में से 14 आरोपियों को निर्दोष छोड़ दिया लेकिन तीन आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149 तथा 427 व 435 के तहत दोषी मानते हुए दो दो साल की सादी कैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने से पहले हार्दिक पटेल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर अपने समर्थकों से अपील की थी कि अदालत जो भी फैसला सुनाए वे शांति बनाए रखें।
सजा सुनाने के बाद पाटीदार नेता व कांग्रेस विधायक ललित वसोया ने पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए हार्दिक व अन्य को फंसाने का आरोप लगाया। अदालत के फैसले को स्वीकारने के साथ उन्होंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही। जबकि हार्दिक के पूर्व साथी दिनेश बामणिया व वरुण पटेल ने कहा कि पाटीदार आंदोलन के मामले में अदालत का जो भी फैसला आया है समाज हित के लिए लड़ते रहेंगे तथा फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देना चाहिए।
चर्चा है कि हार्दिक, लालजी व एके पटेल इसी अदालत को अर्जी देकर उसके फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए पांच से दस दिन का समय देने के साथ गिरफ्तारी पर रोक की मांग कर सकते हैं। विसनगर अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है, घटना के वक्त में अपने कार्यालय में नहीं था। तोडफोड व आगजनी की सूचना मुझे बाद में मिली। – ऋषिकेश पटेल, भाजपा विधायक विसनगर अदालत का फैसला आने के बाद ट्विटर पर पोस्ट करते हुए हार्दिक पटेल ने लिखा, किसी भी मुश्किल को उसके बनाए गए लेवल पर हल नहीं किया जा सकता, उस मुसीबत को उस लेवल से उॅपर उठने पर ही हल किया जा सकता है। इंकलाब जिंदाबाद।
आगामी 25 अगस्त से आमरण अनशन की तैयारी कर रहे हैं, अदालत के फैसले के बाद हार्दिक को तगड़ा झटका लगा है। तीन साल पहले अहमदाबाद के जिस जीएमडीसी मैदान पर लाखों पाटीदारों की मौजूदगी में महारैली का आयोजन किया गया था उसी मैदान पर यह अनशन होना है। हार्दिक व उसके साथियों की तैयारी विसनगर मामले में जल्द से जल्द सजा पर हाईकोर्ट से रोक लगवा कर जमानत हासिल करना है।
गौरतलब है कि बीते तीन साल में हार्दिक के अधिकांश साथी उसका साथ छोड चुके हैं, कुछ आंदोलन कारी कांग्रेस में तो कुछ भाजपा में शामिल हो चुके हैं जबकि दिलीप साबवा व अन्य अलग पाटीदार आरक्षण आंदोलन चला रहे हैं।