November 22, 2024

बढ़ा प्रतिशत, बदले समीकरण

तमाम कयासों पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत से लग रहा प्रश्नवाचक
उज्जैन। विधानसभा चुनाव-2013 के तहत सोमवार को मतदान किया गया। जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों में 59 प्रत्याशी मैदान में थे। 12 लाख 71 हजार 438 मतदाताओं में से जिले में 73.82 फीसदी मतदाताओं ने अपने अधिकार का उपयोग किया है। पिछले वर्षों की अपेक्षा मतदान का प्रतिशत 3 से 6 फीसदी बढ़ा हुआ आ रहा है। बढ़े हुए मतदान के प्रतिशत से सारे समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। राजनैतिक समीक्षक भी इन हालातों में किसी भी निर्णय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
सोमवार को हुए मतदान में जिले में सातों विधानसभा सीटों पर मात्र उज्जैन उत्तर को छोड़कर बढ़िया मतदान हुआ है। निर्वाचन की ओर से मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिये की गई कवायद यह तो नहीं कहा जा सकता कि पूरी तरह से सार्थक रही है लेकिन यह जरुर कहा जा सकता है कि उलटफेर की गुंजाइश पूरी तरह से बनी हुई है। राजनीतिक समीक्षक भी इस बार संतुलित रुप से अपनी समीक्षा दे रहे हैं। टक्कर कांटे की ही मानी जा रही है। 7 में से एक-दो विधानसभा क्षेत्र में स्थिति बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है। शेष में टक्कर बराबरी की मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अधिक मतदान से भाजपा को लाभ की गुंजाइश होती है और कम मतदान से कांग्रेस लाभान्वित होती है। इन समीकरणों को अगर सिरे से जोड़कर देखा जाए तो काफी कुछ साफ दिखाई दे रहा है। मतदान का प्रतिशत मतदान वाले दिन की अपेक्षा दूसरे दिन प्रशासन ने साफ की है। इस स्थिति में नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र मतदान में अव्वल रहा है। इसकी अपेक्षा सम्पूर्ण शहरी क्षेत्र का विधानसभा क्षेत्र उौन उत्तर मतदान में फिसड्डी रहा है। कहीं न कहीं मतदान का कम प्रतिशत भाजपा की धुकधुकी को बढ़ा रहा है। यहां से भाजपा में भी यह बात अंदर ही अंदर खोदी जा रही है।

संसदीय चुनाव का दोहराव

राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि उज्जैन उत्तर में एक बार फिर से संसदीय चुनाव जैसी स्थितियां सामने आई है। यहां मतदाता खुलकर कुछ नहीं बोला तो उसने संसदीय चुनाव के दौरान ही चुप रहकर ही सबकुछ कह दिया। मतदान न कर मतदाताओं ने अरुचि स्पष्ट कर दी। इसके अतिरिक्त राजनीतिक स्तर पर जो समीकरण शुरु से बन रहे थे और जातिगत रुप से टिकट वितरण की जो स्थितियां बनने लगी थी। उससे परे जाकर दलगत निर्णयों के खिलाफ भी मतदाताओं में रोष रहा। यही कारण रहा कि उत्तर में मतदान का प्रतिशत गिरा हुआ रहा है।

दक्षिण में भाजपा समर्थित केन्द्रों पर मतदान कम

सूत्रों के अनुसार पूरे उत्तर क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत का कम रहने के लिए कई सारे राजनीतिक मुद्दे अब खुलने लगे हैं। इसकी अपेक्षा दक्षिण में भाजपा समर्थित केन्द्रों पर कम मतदान होना भी संसदीय चुनाव की स्थितियों को दोहरा रहा है। संसदीय चुनाव में भी भाजपा समर्थित क्षेत्रों से मतदाताओं का मतदान प्रतिशत गिरा हुआ सामने आया था। ऐसी ही स्थिति अब भी बताई जा रही है। वैसे अभी भी कुछ भी कहना मुश्किल है। परिणाम 8 दिसंबर को सबकुछ स्पष्ट कर देगा।

बड़नगर नहीं, नागदा मतदान में अव्वल

विधानसभा चुनाव 2013 के अंतर्गत सोमवार को हुए मतदान का प्रतिशत मंगलवार को स्पष्ट हुआ है। इसके चलते यह स्थिति सामने आई है कि जिले में बड़नगर में नहीं नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान हुआ है। उज्जैन उत्तर मतदान के मामले में जिले में फिसड्डी रहा है। जिले में 73.82 फीसदी मतदान हुआ, इसमें 77 प्रतिशत पुरुषों और 70.42 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया है।

जिले में 73.82 फीसदी मतदान

विधानसभा क्षेत्र         पुरुष     महिला     कुल
नागदा-खाचरौद         81.03    76.83    79.21
महिदपुर         81.53    73.54    77.71
तराना             78.07    70.81    74.94
घट्टिया         80.25    72.55    76.56
उौन उत्तर         66.00    59.43    62.59
उौन दक्षिण        68.77    65.88    67.36
बड़नगर         82.05    73.92    78.40
स्रोत- जिला निर्वाचन कार्यालय एवं रिटर्निंग अधिकारी।

कयास से उठा सट्टा बाजार

सोमवार को हुए मतदान के बाद परिणाम को लेकर सट्टा बाजार की खाईवाली तेज हो गई है। बाजार में अलग-अलग प्रत्याशी पर अलग-अलग भाव खाये जा रहे हैं। जमकर सट्टा बाजार गर्म हो गया है। उज्जैन। की कुछ सीटों इसमें महत्वपूर्ण रुप से देखी जा रही हैं। कांटे की टक्कर वाली दक्षिण सीट को लेकर जमकर सट्टा बाजार पर माल लगाया जा रहा है। कई बड़े बुकी बाहरी क्षेत्रों में बैठकर भी खाईवाली कर रहे हैं। प्रतिनिधि की हार-जीत तो ठीक सरकार बनने और कितने से कितने अंतरों से हार-जीत होगी इस बात पर भी खाईवाली की जा रही है।

You may have missed