September 29, 2024

बेघरबार, अनाथ बच्चों को पढ़ाने-लिखाने का अभियान चलाया जायेगा-मुख्यमंत्री

सरकार हर साल किशोर न्याय के क्षेत्र में किये कार्यों का आकलन प्रस्तुत करेगी

भोपाल ,29 जुलाई (इ खबरटुडे)।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार हर साल किशोर न्याय के क्षेत्र में किये गये कार्यों का आकलन प्रस्तुत करेगी ताकि इस दिशा में बेहतर कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि असहाय, बेघरबार, अनाथ बच्चों को खोज कर उन्हें पढ़ाने-लिखाने का अभियान चलाया जायेगा। उनकी सुरक्षा के इंतजाम किये जायेंगे। मुख्यमंत्री आज यहाँ राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में किशोर न्याय और क्षमता विकास पर राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

श्री चौहान ने कहा कि ऐसे अपराधी तत्व जो बच्चों को अपराध करने के लिये बहलाते-फुसलाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। सभी कलेक्टरों को निर्देश दिये जायेंगे कि उनके जिलों में ऐसे बच्चों की पहचान करें और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन देने के इंतजाम करें। ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी उठाना सरकार का धर्म और कर्त्तव्य है। सरकार अपनी ओर से भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन बहुत कुछ करना शेष है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ और असहाय बच्चों को स्कूल भेजने के लिये भरपूर प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में बच्चे अपराध करने के लिये विवश होते हैं, उनमें बदलाव जरूरी है। समाज के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। सरकार की ओर से शिक्षा की व्यवस्था, छात्रवृत्ति, सायकल देने, प्रतिभाशाली बच्चों की फीस भरने जैसे उपाय किये जा रहे हैं। समाज और सरकार दोनों को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। अनाथ और असहाय बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिये समाज को भी जुड़ना होगा। राज्य सरकार किशोर न्याय अधिनियम के पालन के लिये की कई अनुसंशाओं को ईमानदारी से क्रियान्वित करेगी।
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि भारतीय समाज में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को भरपूर सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि समाज को भी बच्चों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनाने के लिये पहल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और स्कूल शिक्षा विभाग के साथ मिलकर बच्चों के पालन-पोषण और संस्कार देने का मार्गदर्शन देने की पहल शुरू की जायेगी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी. लोकूर ने कहा कि किशोर न्याय की उपलब्ध अधोसंरचना में सुधार होना चाहिये। बाल कल्याण समितियों को सूचना प्रौद्योगिकी से सुसज्जित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि किशोर अपराधियों को समाज में लौटने लायक परिस्थितियाँ निर्मित करना होगी। इसके लिये कौशल विकास अच्छा विकल्प है। इसके अलावा उनके पोषण का इंतजाम भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भविष्य के बारे में सोचना हो, तो बच्चों के बारे में भी सोचना होगा। सिविल सोसायटी यह काम बेहतर कर सकती है।
न्यायाधीश श्री लोकूर ने कहा कि समाज में विशेषज्ञ लोगों की सेवाएँ किशोर बालकों के लिये उपयोग में लाना होगा। पुलिस प्रशासन के अमले को भी किशोर न्याय से संबंधित विषयों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा। उन्होंने वल्नेरेबल विटनेस कोर्ट की स्थापना करने पर जोर देते हुए कहा कि कई राज्यों ने इस दिशा में पहल की है। उन्होंने कहा कि न्याय के लिये सबकी पहुँच आसान होना चाहिये। उन्होने राज्य सरकार द्वारा किशोर न्याय के लिये अपने काम का सालाना मूल्यांकन प्रस्तुत करने की पहल की सराहना की। न्यायाधीश लोकूर ने कहा कि संकट में जो बच्चे हैं वे समस्या नहीं हैं। उनके लिये समाधान संभव है।
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री हेमंत गुप्ता ने कहा कि बच्चों को सीखने के लिये अनुकूल वातावरण और अवसर उपलब्ध करवाना होगा। यूनीसेफ के राज्य प्रमुख माइकल जूमा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर न्यायाधीश लोकूर एवं अतिथियों ने किशोर न्याय समिति द्वारा तैयार अनुशंसाओं की पुस्तिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर प्रदेश किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायाधीश जे.के. माहेश्वरी, मध्यप्रदेश राज्य लीगल सर्विस अथारिटी के प्रशासनिक न्यायाधीश एस.के. सेठ, न्यायिक सेवा के प्रतिनिधि और किशोर न्याय के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान एवं संगठन उपस्थित थे। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की किशोर न्याय समिति के सदस्य न्यायाधीश रोहित आर्य ने आभार माना।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds