प्रशासनिक लापरवाही के चलते शहर को नहीं मिल पाया रिंग रोड,दस महीने में एक इंच भी आगे नहीं बढी भू अर्जन की कार्यवाही
रतलाम,24 जुलाई (इ खबरटुडे)। यदि प्रशासनिक अधिकारियों ने लापरवाही और ढील पोल भरा रवैया ना अपनाया होता तो शहर का रिंग रोड लगभग तैयार हो गया होता। चालीस करोड की लागत से बनने वाले रिंग रोड के लिए करीब दस माह पूर्व वर्कआर्डर जारी हो चुका है,लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते अब तक काम शुरु नहीं हो पाया है।
24 किमी लंबाई,43 करोड लागत
किसी शहर के यातायात को सुव्यवस्थित रखने के लिए रिंगरोड बेहद जरुरी होता है,ताकि भारी वाहनों का आवागमन शहर के बाहर से ही हो सके। इसी को दृष्टिगत रखते हुए शहर विधायक चैतन्य कश्यप एवं जनप्रतिनिधियों ने रिंग रोड की योजना को स्वीकृत कराने के लिए जमकर मेहनत की थी। शहर विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रयासों का ही फल था कि बंजली,मांगरोल फंटा वाया वरोठ माता मंदिर और झाबुआ रोड होकर चौबीस किमी लंबाई वाले रिंगरोड की योजना शासन द्वारा स्वीकृत की गई थी। इस रिंगरोड पर कुल 43 करोड 30 लाख रु. की लागत आने का अनुमान लगाया गया था।
दस माह पूर्व जारी हुआ वर्क आर्डर
शासन द्वारा रिंगरोड की डीपीआर स्वीकृत होने के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा रिंगरोड निर्माण के लिए टेंडर बुलाए गए थे और इन्दौर की फर्म पीडी अग्रवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमि. के टेंडर को स्वीकृत भी कर लिया गया था। उक्त फर्म को लोक निर्माण विभाग द्वारा विगत 5 सितंबर 2018 को वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया था।
फर्म को जारी वर्क आर्डर के मुताबिक ठेकेदार फर्म को कार्य पूरा करने के लिए कुल अठारह माह की अवधि प्रदान की गई थी। इस अवधि में वर्षाकाल भी शामिल था। वर्क आर्डर के मुताबिक रिंरोड का कार्य दो चरणों में पूरा किया जाना था। इसमें सडक़ निर्माण की कुल लागत 34 करोड 84 लाख रु. आंकी गई थी,जिसमें से प्रथम चरण में कुल 28 करोड 23 लाख रु. लागत से सडक निर्माण होना था,जबकि द्वितीय चरण पांच करोड 23 लाख की लागत का था। इलेक्ट्रिफिकेशन और पोल शिफ्टिंग पर एक करोड रु. व्यय किए जाने थे,जबकि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रुप में करीब 3 करोड 45 लाख रु. की राशि व्यय होना थी।
वर्क आर्डर जारी होने के बाद ठेकेदार फर्म को सडक़ निर्माण का काम शुरु कर देना चाहिए था,लेकिन सडक़ निर्माण के लिए आवश्यक भूमि अब तक फर्म को नहीं सौंपी गई थी। लोक निर्माण विभाग ने अपने स्तर पर सडक का पूरा ले आउट जिला प्रशासन को पहले ही सौंप दिया था,ताकि सडक़ निर्माण में आने वाली निजी भूमियों को चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण किया जा सके।
प्रशासनिक लापरवाही से अटकी योजना
बस यहीं आकर पूरी योजना ठप्प हो गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरु ही नहीं की। जबतक भूमि अधिग्रहण और भूमि का चिन्हांकन नहीं होता,तब तक ठेकेदार फर्म द्वारा कार्य शुरु नहीं किया जा सकता।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बंजली मांगरोल रिंग रोड बंजली,जुलवानिया,सागोद,हरथली,मथूरी,
तीतरी,करमदी,सालाखेडी,खाराखेडी आदि गांवों से गुजरेगा। इन गांवों की सीमा में पडने वाली भूमियों का विस्तृत ब्यौरा तैयार कर इनमें से निजी भूमियो के अधिग्रहण की कार्यवाही अनुविभागीय अधिकारी द्वारा की जानी थी,लेकिन दस माह गुजर जाने के बावजूद भी अधिग्रहण की कार्यवाही एक इंच भी आगे नहीं बढ पाई।
स्थिति यह है कि ठेकेदार फर्म द्वारा लोक निर्माण विभाग पर काम शुरु करने के लिए भूमि उपलब्ध करने के लिए दबाव डाला जा रहा है,और लोक निर्माण विभाग जिला प्रशासन को लगातार एक के बाद एक स्मरणपत्र भेज रहा है कि भूमि अधिग्रहण शीघ्र किया जाए। लेकिन प्रशासन है कि उसके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
कई स्मरणपत्र दिए फिर भी कार्यवाही नहीं
इ खबरटुडे को मिली जानकारी के मुताबिक रिंरोड का वर्क आर्डर जारी करने के पूर्व ही लोक निर्माण विभाग द्वारा 30 अप्रैल 2018 को अनुभिागीय अधिकारी रतलाम शहर एवं ग्रामीन को लिखा गया था कि कृपया रिंगरोड के लिए प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण करें। इसके बाद 31 जुलाई 2018 को फिर े एसडीएम शहर और ग्रामीन को पत्र लिख कर भू अर्जन की कार्यवाही को शीघ्र करने का निवेदन किया गया। इसके बाद 26 फरवरी 2019 और 07 मार्च 2019 को दोबारा से स्मरणपत्र भेजे गए। 7 मार्च 2019 को तो सीधे तहसीलदार रतलाम शहर व ग्रामीन को पत्र लिख कर बताया गया कि रोड के एलाइनमेंट का सर्वे संबंधित पटवारियों को करवा दिया गया है और राजस्व मानचित्र पर रिंगरोड का अस्थाई चिन्हांकन भी करवा दिया गया है अत: भू अर्जन की कार्यवाही शीघ्र की जाए,ताकि रिंग रोड का निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके।
इतने स्मरणपत्रो के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अधिकारिक जानकारी के अनुसार हाल ही में दो स्मरणपत्र 5 जुलाई और 13 जुलाई को फिर से भेजे गए है,लेकिन अब तक भू अर्जन की कार्यवाही शुरु नहीं हो पाई है।
पूरा नहीं हो सकेगा रिंगरोड का सपना
बहरहाल,सरकारी लापरवाही के चलते 43 करोड के रिंग रोड की योजना अब तक शुरु नहीं हो पाई है। ठेकेदार फर्म को दी गई समयावधि में से आधे से अधिक समय बिना भू अर्जन के ही गुजर चुका है। अब भू अर्जन हो भी जाएगा तो वर्कआर्डर की पूरी समयावधि निकल चुकी होगी। ऐसी स्थिति में रतलाम की रिंगरोड का सपना अधूरा ही रह जाने की पूरी आशंका है।
कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान से इस संबंध में पूछे जाने पर उनका कहना था कि वे मामले को दिखवाएंगी।