प्याज ही प्याज
– डा. डी. एन. पचौरी
आपकी खिदमत में लाया हूँ प्याज प्याज प्याज लेलो, प्याज देदो, प्याज, प्याज ही प्याज । और फिर हमारी नीद खुल गई । देखा तो हमारे पड़ोस के होटल पर फ़िल्म प्यार ही प्यार का गाना बज रहा था और हमें प्यार की जगह प्याज के ख्वाब आ रहे थे । तो क्या प्याज ख़्वाबों में भी आने लगी औए क्यों न आये ? है कोई और कंद मूल फल जो सरकार बदलने की ताकत रखता हो?इसी प्याज की बजह से सरकार गिर जातीं है। जैसे एन ड़ी ए सरकार इसी प्याज की वज़ह से गिरी थी और यु पी ए सरकार भी इसी की वजह से लड़खड़ा रही है। शरद पवार भाषण देकर प्याज के दाम बड़ा रहे है। कहा जाता है कि जहाँ जहाँ पांव पड़े सन्तन के वहाँ वहाँ बंटाधार ! बेचारे पवार जिस वस्तु पर भाषण देते हे उसी पे महगांई की मार पड़ जाती है। पहले जब कोई आदमी घर से प्याज खा कर निकलता था तो उसे सॉफ खानी पड़ती थी जिस से पता ना चले कि उसने प्याज खाई है. किन्तु अब ज़माना उलटा है अब प्याज खा कर निकलना बड़ी शान कि बात मानी जाती है क्योकि सौ रुपए किलो की प्याज खाना स्टेट सिंबल में शुमार किया जाता है. वो दिन दूर नहीं जब दो सौ रुपए किलो कि प्याज खाने पर हो सकता है कि आयकर विभाग पीछे पड़ जाये। दो या तीन सौ रुपए किलो की प्याज वही खा सकता है जिसके पास काला धन हो। हमारे एक मित्र ने बढ़िया तरकीब निकाली है उन्होंने घर में दो तीन प्याज ला कर रख दिए है और घर का कोई मेम्बेर जब खाना खा कर घर से निकलता है तो प्याज का एक छिलका मुह के चारो और घुमा लेता है ज़िस से पता चले कि यह बन्दा प्याज खा कर आया है। ↡
यदि प्याज के भाव इसी तरह बढ़ाते रहे तो कहावते बदल जांएगी. जैसे जब कोई सब्जी विक्रेता बहुत सावधानी से सब्जी तोलता है तो हम कहते है के क्या सोना तोल रहा है किन्तु सब्जी के साथ सोने की कोई तुक नहीं बैठती है नए ज़माने में बड़े हुए प्याज के भाव के कारण लोग बोला करेंगे कि सब्जी ऐसे तौल रहा है जैसे प्याज तौल रहा हो। इसी प्रकार सामान्य आमदनी वाले मध्यम वर्गीय लोग कहा करेंगे कि क्या करे महगाई इतनी है कि बच्चो को लहुसन और प्याज कहा से खिलाये ? अनार अंगूर से काम चला रहे है।
अब लाल टमाटर भी इसी राह पर चल पड़ा है। और इसके भाव भी आसमान छूने लगे है। भगवान न करे कि शरद पवार के मुखारविन्द से टमाटर के बारे में कोई शब्द निकले अन्यथा टमाटर पर भी महंगाई की ऐसी मार पड़ेगी कि भाव कण्ट्रोल करना मुशकिल हो जायेगा।