पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती फिल्म -अन्ना का आन्दोलन
मध्यप्रदेश के कलाकारों की मध्यप्रदेश में बनी फिल्म,राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन को तैयार
रतलाम,23 जनवरी(इ खबरटुडे)। पर्यावरण संरक्षण के अनूठे विषय को लेकर मध्यप्रदेश के निर्देशक व कलाकारों की मेहनत से तैयार फिल्म अन्ना का आन्दोलन राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित होने वाली प्रदेश की पहली फिल्म होगी। फिल्म के निर्देशक ने पर्यावरण संरक्षण जैसे विषय पर कमर्शियल स्तर की फिल्म बनाई है,जिसमें मनोरंजन के सारे फार्मूलों का बेहतरीन उपयोग किया गया है। फिल्म का नाम अन्ना का आन्दोलन भी फिल्म के प्रति उत्सुकता बढाने वाला है।
फिल्म के युवा निर्देशक उज्जैन के दिनेश परिहार है। श्री परिहार,पहले भी अपनी टीम के साथ अनेक फिल्में बना चुके है। शुरुआती स्तर पर सफल छोटी फिल्मों का निर्माण करने के बाद अब श्री परिहार ने तीन घण्टे लम्बाई की फीचर फिल्म के निर्देशन में अपना पहला कदम रखा है। कमर्शियल फिल्म होने के बावजूद उनकी फिल्म सामाजिक सरोकारों से जुडी है। उनकी फिल्म अन्ना का आन्दोलन पर्यावरण संरक्षण के विषय पर आधारित है।
पर्यावरण संरक्षण जैसे अछूते विषय पर फिल्म बनाने के लिए निर्देशक दिनेश परिहार ने अपनी ही सफल टीम का सहयोग लिया है। उनकी टीम के अधिकांश सदस्य मध्यप्रदेश के ही है। फिल्म की पटकथा स्वयं श्री परिहार ने लिखी है।
संगीत किसी भी फिल्म का अत्यन्त महत्वपूर्ण पक्ष होता है। रतलाम के युवा संगीत निर्देशक हरीश शर्मा (सोनू) श्री परिहार के साथ पहले भी संगीत निर्देशन कर चुके है। अन्ना का आन्दोलन फिल्म का थीम सांग हरीश शर्मा ने तैयार किया है। थीम सांग को हरीश शर्मा के गायक नागदा निवासी नागेश्वर काठा ने अपना स्वर दिया है। फिल्म के अन्य गीतों को मुंबई के चर्चित गायकों जैसे कुमार शानू,मोहम्मद सलामत,सुरेश वाडकर,खुशबू जैन आदि ने अपने स्वर दिए है।
निर्देशक श्री परिहार ने फिल्म के विभिन्न पात्रों के अभिनय के लिए भी इन्दौर के कलाकारों का चयन किया है।
फिल्म का छायांकन भी बेहद प्रभावी है। फिल्म का छायांकन उज्जैन के वसीम अब्बास ने किया है। श्री अब्बास इससे पहले मुंबई फिल्मोद्योग के कुछ प्रसिध्द कैमरामैन के सहायक के रुप में काम कर चुके है। वे निर्देशक दिनेश परिहार की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य है और श्री परिहार द्वारा बनाई गई फिल्मों में श्री अब्बास ही कैमरे का संचालन करते आए है। अन्ना का आन्दोलन में उनका छायांकन अत्यन्त सुन्दर बन पडा है। मध्यप्रदेश के गांव व शहरों को उन्होने बडी खूबसूरती से स्क्रीन पर उतारा है।
फिल्म पूरे तीन घण्टे लम्बाई की है। नए कलाकारों के बावजूद फिल्म का तकनीकी पक्ष बेहद उत्कृष्ट है। फिल्म निर्माण की तमाम आधुनिक तकनीकों का इसमें बेहतरीन उपयोग किया गया है। हांलाकि फिल्म की तमाम शूटिंग लोकेशन्स मध्यप्रदेश की ही है। फिल्म की शूटिंग भोपाल,इन्दौर,उज्जैन जैसे अनेक स्थानों पर की गई है। फिल्म के प्रदर्शन के बाद निश्चित ही अन्य फिल्मकारों को भी मध्यप्रदेश की सुन्दर लोकेशंस पर शूटिंग करने की प्रेरणा मिलेगी। फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन का काम मुंबई और इन्दौर में किया गया है। इसी तरह साउण्ड रेकार्डिंग और एडीङ्क्षटंग आदि मुंबई में किया गया है।
फिल्म के निर्देशक दिनेश परिहार ने बताया कि सामाजिक सन्देश को लेकर मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की कमर्शियल फिल्म बनाना बेहद चुनौतीभरा काम था,लेकिन अपनी टीम के साथ वे इस चुनौती पर खरे उतरे है। मुंबई फिल्मोद्योग बडी हस्तियों ने भी जब इस फिल्म को देखा तो वे भी इसकी सराहना करने को मजबूर हो गए। फिल्म की उत्कृष्ट क्वालिटी को देखते हुए यूएफओ ने इसे पूरे देश में सैटेलाइट लांच करने का बीडा उठाया है। फिल्म संभवत: फरवरी के दूसरे सप्ताह में देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
श्री परिहार ने बताया कि फिल्म की मेकींग के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए फिल्म की वेबसाइट भी लांच की जा रही है। यह बेवसाइट www.annakaandolan.com शीघ्र ही लांच की जा रही है। फिल्म से जुडी तमाम जानकारियां इस वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी। श्री परिहार ने बताया कि फिल्म का ट्रेलर यू ट्यूब,फेसबुक व सोशल मीडीया पर जारी किया जा चुका है। यू ट्यूब पर इस ट्रेलर को जबर्दस्त लोकप्रियता मिली है।
प्रदेश में नहीं कोई सुविधा
देश के अनेक राज्य फिल्मोद्योग के विकास के लिए फिल्म निर्माण पर बडी सुविधाएं देते है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में तो मराठी फिल्म निर्माण पर तीस लाख रुपए की सबसीडी दी जाती है। कई अन्य प्रदेशों में भी प्रादेशिक फिल्मोद्योग के विकास के लिए फिल्मकारों को सुविधाएं दी जा रही है। लेकिन मध्यप्रदेश में आजतक फिल्म उद्योग विकसित नहीं हो पाया है। इसका प्रमुख कारण यही है कि राज्य शासन की ओर से स्थानीय फिल्मकारों के फिल्मनिर्माण को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं दिया जाता। राज्य सरकार मुंबई के फिल्म निर्माताओं को प्रदेश में बुलाने के लिए तमाम सुविधाएं दे रही है और इस वजह से कई फिल्मों की शूटिंग भोपाल में हो चुकी है। लेकिन इससे प्रदेश के स्थानीय फिल्मकारों और कलाकारों को कोई लाभ नहीं मिला। यदि राज्य सरकार अन्य प्रदेशों की तरह फिल्म निर्माण पर शासकीय सहायता उपलब्ध कराए तो प्रदेश का फिल्म उद्योग बडी तेजी से पनप से सकता है।