December 24, 2024

पंजीयन के नए नियमों और शुल्क वृध्दि से किसानों में भारी नाराजगी-केलकर

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नई दिल्ली/रतलाम,26 अगस्त (इ खबरटुडे)। मध्यप्रदेश में खरीफ फसलों के विक्रय हेतु किसानों के पंजीकरण के लिए बनाए गए नए नियमों से किसानों को जबर्दस्त परेशानियां झेलना पड रही है। खसरे की प्रति लेने के लिए निर्धारित शुल्क में भी शासन द्वारा अत्यधिक वृध्दि कर दी गई है। इससे किसानों में भारी नाराजगी उत्पन्न हो रही है।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने  अपने वक्तव्य में कहा है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा किसानों के पंजीयन के लिए खसरे की प्रति अनिवार्य कर दी गई है। पंजीयन की अंतिम तिथी 10 सितम्बर निर्धारित की गई है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश के लोक सेवा केन्द्रों पर किसानों की जबर्दस्त भीड उमड रही है। किसानों की यह भीड लोक सेवा केन्द्रों की क्षमता से कई गुना अधिक है। एक एक केन्द्र पर सैकडों किसानों की भीड खसरा प्रति लेने के लिए उमड रही है और अत्यधिक भीड के चलते बडी संख्या में किसानों को बिना प्रति प्राप्त किए वापस लौटना पड रहा है।
श्री केलकर ने कहा कि समस्या सिर्फ यही नहीं है। जिस किसान को खसरे की प्रति मिल भी रही है,उसमें बोई गई फसलों का उल्लेख नहीं है। इसलिए किसान को खसरे में फसलें दर्ज कराने के लिए फिर पटवारी के पास दौड लगाना पड रही है। इस चक्कर में किसान का समय भी खर्च हो रहा है और उसे बेवजह भारी खर्च का बोझ भी उठाना पड रहा है।
श्री केलकर ने कहा कि इससे पहले तक किसान को पंजीयन कराने के लिए मात्र पावती की फोटकापी देना पडती थी,लेकिन इसी बार से नियमों में परिवर्तन किया गया है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रतिदिन हजारों किसानों को परेशान होना पड रहा है।
श्री केलकर ने बताया कि खसरे की प्रति लेने के शुल्क में भी शासन द्वारा भारी वृध्दि कर दी गई है। पहले जहां खसरे की प्रति लेने के लिए किसान को मात्र 70 रु. शुल्क देना पडता था,वहीं राजस्व विभाग के नए नियमों के मुताबिक उसे खसरे के प्रत्येक सर्वे क्रमांक के लिए बीस रु.का अतिरिक्त शुल्क देना पड रहा है। इसकी वजह से किसान का जो काम सत्तर रु, में हो रहा था,उसके लिए किसान को पांच सौ रु. से अधिक राशि चुकाना पड रही है।
श्री केलकर ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन के इन नए नियमों के कारण किसानों को बेवजह परेशानी झेलना पड रही है। इससे किसानों में भारी नाराजगी उत्पन्न हो रही है। किसानों की यह नाराजगी आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को भारी पड सकती है। श्री केलकर ने  राज्य शासन से मांग की है कि इन नए नियमों पर तत्काल रोक लगाई जाए,और पूर्व में जिस तरह पंजीयन किए जा रहे थे,उसी तरह की प्रक्रिया फिर से प्रारंभ की जाए।

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