September 22, 2024

धूमधाम से हुआ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव का समापन

रतलाम,03 दिसंबर(इ खबरटुडे)। 27 नवंबर से वीर तेजाजी मंदिर सागोद रोड पर चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को धूमधाम से समापन हुआ। समापन के मौके पर स्वामी भीमाशंकर जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन देव-दुर्लभ है। इस जीवन की सार्थकता परमात्मा की भक्ति करने में ही है। बिना गुरू शरण में गये मनुष्य में भक्ति नहीं आ सकती और मनुष्य भक्ति में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। इसके लिए गुरू शरण आवश्यक है।सातवें व अंतिम दिन प्रवचन के दौरान स्वामी भीमाशंकर जी महाराज बोले कि मानव जीवन ही कृष्ण है, परमात्मा है और गोपी है। बोले कि जीव रूपी गोपी साधना में बढ़ते आस का छंदन करते हुए परमात्मा रूपी कृष्ण से जा मिलेगा और आवागमन के चक्र से मुक्त हो सच्चा कल्याण और नित्यानंद को पा सकेगा।  भीमाशंकर जी महाराज ने अपनी कथा में मानव जीवन में सकल्प व अनुशासन का महत्व बताते हुए कहा कि हर मनुष्य को अपने जीवनकाल में कोई एक परोपकारी संकल्प लेना चाहिए और उसे पूर्ण अनुशासित रूप से पूरा करना चाहिए। सकल्प व अनुशासन के आभाव में मानव जीवन व्यर्थ है।

श्रीमद् भागवत कथा की अमृतवर्षा करते हुए महाराज जी ने बताया कि मनुष्य भगवान की कृपा प्राप्त करके ही दुखों से पार पा सकता है, किंतु भगवत कृपा कोई आकस्मिक घटना नहीं है। जो-जो जीव भगवान के शरणापन्न हुए उन पर भगवान की कृपा हुई और भगवान ने अपना सब कुछ देकर उन जीवों को मालामाल कर दिया। यानी वो महापुरुष बन गए- तुलसी, सूर, मीरा, कबीर। उन्होंने शरणागति शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि कुछ न करना ही शरणागति है, लेकिन यह कुछ न करना कोई भी जीव कर नहीं सकता, क्योंकि वेद के सिद्धांत के अनुसार कोई भी जीव एक क्षण को भी अकर्मा नहीं रह सकता।

समापन की जानकारी देते हुए मंदिर के संचालक अशोक चौधरी ने बताया कि भीमाशंकर जी महाराज के दवारा की गई कथा का लाभ नगर के ही नहीं बल्कि गुजरात व राजस्थान से आये भक्तो ने भी लिया। भीमाशंकर जी महाराज के व्यक्तिव्त की जानकारी देते हुए श्री चौधरी ने बताया कि महाराज जी मंदसौर जिले के गांव धरियाखेड़ी के निवासी है.करीब 25 वर्षो से श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से मानव समाज को उचित मार्ग पर चलने हेतु अभिप्रेरित करते आ रहे है। इस परोपकारी कार्य के लिए महाराज जी किसी भी प्रकार की राशि की मांग नहीं करते है व अपने लक्ष्य की बढ़ते रहते है।
श्रीमद भागवत कथा सुनने के लिए सात दिनों तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी। समापन के मौके पर भी काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। समापन के बाद श्रंद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। भागवत कथा के सफल आयोजन व वीर तेजाजी मंदिर के संचालक अशोक चौधरी व समस्त चौधरी परिवार को धन्यवाद दिया गया।

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