November 8, 2024

धर्म वही जो मानवता के निकट हो- बनगला उपतिस्स नायक थेरो

तीन दिवसीय वैश्विक समागम में विद्वाना वक्ताओं के विचार चिंतन-मनन के लिये आये 26 देशों के 180 धर्माचार्य तथा विद्वतजन

भोपाल 24 अक्टूबर(इ खबरटुडे)   सिंहस्थ-2016 के पहले इंदौर में शुरू हुए अंतर्राष्ट्रीय समागम के विभिन्न वैचारिक सत्रों में विद्वान वक्ताओं ने कहा कि धर्म वही है जो मानवता के निकट हो। ‘मानव कल्याण के लिये धर्म” विषय पर हुए छह में से एक विशेष सत्र की अध्यक्षता श्रीलंका के महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष बनगला उपतिस्स नायक थेरो ने की।

चर्चा सत्र में केरल से आये मलक्का ओर्थोडोक्स सिरियन चर्च के प्रमुख बेसिलियोस मार्थोमा पाउलोस मौजूद थे। इन्होंने सेंट थॉमस परम्परा पर बात करते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार के बलपूर्वक धर्मांतरण के विरुद्ध है। उन्होंने समाज में संवाद को महत्वपूर्ण माना और धार्मिक असहिष्णुता को दूर करने में धर्म-धम्म सम्मेलन जैसे कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर बल दिया।

मुख्य सत्र की अध्यक्षता अर्श विद्या मंदिर राजकोट के स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी ने की। उन्होंने कहा कि धर्म और सम्प्रदाय की परिभाषा को गलत समझने से ही समाज में समरसता कम हो रही है। उन्होंने कहा कि धर्म मानवता के निकट होना चाहिये और समाज को धर्म को दायित्व और कर्म मानकर उसका पालन करना चाहिये। सन्यास आश्रम के स्वामी विश्वेश्वरानंद और सत्र में मौजूद जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की प्रो. साध्वी चैतन्य प्रज्ञा ने धर्म की सहिष्णुता, सदभाव, सामंजस्य पर चर्चा करते हुए इसके मानव निहितार्थ प्रयोजन पर बल दिया। उन्होंने सामाजिक परम्परा, नैतिकता एवं आध्यात्मिकता को महत्वपूर्ण माना।

कार्यक्रम में विविध 9 विषय पर देश-विदेश से आये प्रतिनिधियों ने अपने शोध प्रस्तुत किये, जिसके विषय विश्व शांति, प्रकृति एवं पर्यावरण, मानव गौरव, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य, योग परम्परा और ज्ञान से संबंधित थे।

इंदौर में मानव कल्याण के लिये धर्म विषय पर आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन में चिंतन-मनन के लिये 26 देश के 180 धर्माचार्य तथा विद्वतजन इंदौर पहुँच चुके हैं। सम्मेलन में 25 अक्टूबर को श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री पाटली चम्पिका राणावका तथा स्वामी अवधेशानंद गिरीजी महाराज इंदौर आयेंगे। अवधेशानंद गिरीजी महाराज की मौजूदगी में 25 अक्टूबर की शाम 6 बजे से विशेष आध्यात्मिक सत्र होगा।

संस्कृति विभाग, साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ रिलीजन एण्ड सोसायटी के तत्वावधान में इस वैचारिक महाकुंभ में शाम 6 से रात्रि 8 बजे तक विशेष आध्यात्मिक सत्र होगा। ‘आज के समय में धर्म की भूमिका” विषय पर चर्चा होगी। केन्द्रीय तिब्बत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. गेशे सेमटेन इस सत्र की अध्यक्षता करेंगे। वक्ता के रूप में अमेरिका के अमेरिकी वैदिक शिक्षण संस्थान वेदाचार्य डेबिट फ्राले, नई दिल्ली के न्यू एज इस्लाम के संस्थापक संपादक प्रोफेसर सुल्तान शाहीन, श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री पताली चम्पिका राणवका उपस्थित रहेंगे। मानव कल्याण विषय पर विभिन्न सत्र होंगे। इनमें प्रमुख धर्मगुरु और शिक्षा जगत की जानी-मानी विभूतियाँ अपने-अपने धर्म और मान्यताओं के आधार पर विश्व शांति, सामाजिक न्याय, मानव सेवा, ज्ञान व अध्यात्म जैसे विषयों पर चिंतन-मनन करेंगे। वैचारिक महाकुंभ में सिर्फ धर्माचार्य ही नहीं, बल्कि दर्शन क्षेत्र के मनीषी अपना शोध और ज्ञान प्रस्तुत करेंगे।

महासमागम में जो धर्माचार्य तथा विद्ववतजन इंदौर आ चुके हैं, इनमें प्रमुख रूप से अमेरिका से वेदाचार्य डेविट फ्रॉले, चीन से प्रो. हयान शेन, प्रो. सुल्तान शाहीन संपादक न्यू एज इस्लाम, अक्षरधाम दिल्ली के निदेशक जे.एम. दवे, वियतनाम से डॉ. थिक टम डक, सिंगापुर से डॉ. सुमना सिरी, लोबसांग सांगे तिब्बत, नेपाल से नरेश मन बजरंगाचार्य, केन्द्रीय तिब्बत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गेशे सेमटेन, केरल से बेसिलियास मार्थोमा पाउलोस, विष्णु मोहन फाउंडेशन के श्री हरिप्रसाद स्वामी, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी राजकोट, डॉ. जोसफ मार्थोमा, स्वामी विश्वेश्वरानंद शामिल हैं।

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