November 14, 2024

दु:खों से मुक्त होने के लिए भागवत का आश्रय आवश्यक

दिव्य भागवत ज्ञान यज्ञ में सींथल पीठाधीश्वर आचार्य श्री क्षमाराम जी ने कहा

रतलाम,30 नवंबर (इ खबरटुडे)। जिसे विकारों से छूटना है और दु:खों से मुक्त होना है,उसके लिए श्रीमद भागवत का आश्रय लेना आवश्यक है। संसार असत्य है और परमात्मा सत्य है। इसलिए श्रीमद भागवत के प्रारंभ में ही सत्यं परम धीमही कहकर मंगलाचरण किया गया है।
उक्त उद्गार,रामस्नेही संप्रदाय के सीथल पीठाधीश्वर आचार्य श्री क्षमाराम जी महाराज ने बडा रामद्वारा में बडी संख्या में उपस्थित श्रध्दालुजनों के समक्ष कहे। आचार्य श्री,बडा रामद्वारा में आयोजित दिव्य भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रीमद भागवत कथा का विवेचन कर रहे थे।
श्रध्दालुजनों को श्रीमद भागवत के रहस्यों का मर्म समझाते हुए आचार्य श्री क्षमाराम जी ने कहा कि भागवत के प्रारंभ में छ: प्रश्न किए गए हैं,जो तीनों ही कालों में काम आने वाले है। इन प्रश्नों में मनुष्य का सुगमता से कल्याण कैसे हो?,शाों का सार क्या है?प्रेमरुप भगवान श्रीकृष्ण का अवतार क्यों हुआ? भगवान की लीलाएं कितनी है? उनके संग में आने वाले अवतार व्यूह का वर्णन आदि प्रसंगों का बडा ही सूक्ष्म विवेचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भक्ति निष्काम होना चाहिए,स्वार्थ की गंध से रहित। ऐसी भक्ति ही अनपायीनी भक्ति है,जिसकी मांग भगवान शंकर भी राम जी से करते हैं। महाराज श्री ने कहा कि धर्म का उपयोग अर्थ के लिए नहीं होना चाहिए,बल्कि धर्म को भगवान की भक्ति या मोक्ष से जोडना चाहिए। इसी प्रकार धन को विलासिता से नहीं जोडना चाहिए,बल्कि धन को धर्म के साथ जोडना चाहिए।
महराज श्री ने प्रथम दिन के प्रवचनों में भक्ति तत्व का निरुपण करते हुए भागवत की भावमयी कथाओं का आरंभ किया,जिसमें देवर्षि नारद जी और वेदव्यास जी का कथा प्रसंग सुनाया। इसका सार यह है कि भगवान की भक्ति और संतों का सत्संग यही जीवन का परम लक्ष्य है। वेदोक्त तरीके जो अनुष्टान के रुप में है,वो तो स्वर्ग की और सुख समृध्दि की प्राप्ति कराने वाले है,परन्तु भगवत भक्ति और सत्संग परम कल्याण करने वाले है।
शुकदेव जी की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भगवत भक्ति की यह विशेषता है कि बडे बडे ज्ञानी,ध्यानी और मुनियों को भी यह अपनी ओर आकर्षित करती है। उन्होने पितामह भीष्म द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की अंतिम स्तुति का वर्णन करते हुए कहा कि मृत्यु के समय में भगवान की याद आ जाए,यही सारे साधनों  का सार है। आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में विधुर के द्वारा धृतराष्ट्र को समझाने और परीक्षित के जन्म व उत्कर्ष की कथाएं भु सुनाई।
बडा रामद्वारा में चल रहे दिव्य भागवत ज्ञान यज्ञ में बडी संख्या में उपस्थित श्रध्दालु महिला पुरुषों के अतिरिक्त रामद्वारा के महन्त गोपालदास जी,साधु पुष्पराज रामस्नेही,आचार्य क्षमाराम जी के शिष्य रामपाल जी,कबीर जी,ऋ षिकेश से पधारे योगीराज मतंग बाबा, समेत अनेक संत महात्मा भी बडी संख्या में उपस्थित थे। ६ दिसम्बर तक चलने वाले दिव्य भागवत ज्ञान यज्ञ में प्रतिदिन प्रात: ग्यारह बजे से शाम पांच बजे तक भागवत प्रवचन हो रहे है। कथा आयोजक महन्त गोपालदास जी ने नगर के श्रध्दालु जनों से आग्रह किया है कि वे अधिकाधिक संख्या में पधारकर धर्मलाभ प्राप्त करें।

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