टिकट के चक्कर में नींद उडी नेताओं की
दोनों पार्टियों में हर दिन नए नए नामों की चर्चा,दावेदार परेशान
रतलाम,29 अक्टूबर। जैसे जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे है टिकट के तमाम दावेदारों की नींद उडती जा रही है। टिकट मिलने या कटने के खयालों ने नेताओं को हैरान कर रखा है। उधर पार्टियां है कि प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा में देर करती जा रही है। हर दिन नए नाम चर्चाओं में आ जाते है और पुराने दावेदार परेशान हो जाते है। दोनो पार्टियों में फिलहाल एक जैसी हालत है। नेताओं के साथ साथ हर चौराहे और चाय पान की दुकानों पर भी यहीं मुद्दा चर्चा का खास विषय है।
रतलाम जिले की पांचों सीटों पर कमोबेश एक जैसे हालत है। जिले में अभी एक मात्र एक सीट भाजपा के पास है,जबकि एक पर निर्दलीय और शेष तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। सर्वाधिक उहापोह वाली स्थितियां रतलाम और जावरा सीटों को लेकर है। रतलाम और जावरा दोनो ही सामान्य सीटों पर दोनो ही पार्टियों में प्रत्याशी को लेकर आमराय नहीं बन पा रही है। जावरा और रतलाम दोनो ही स्थानों पर दोनो पार्टियों में मची आपसी खींचतान के चलते यह कहा जा रहा है कि दोनो ही पार्टियों की पहली सूचियों में ये शामिल नहीं होंगे। रतलाम जावरा का फैसला आखरी वक्त पर ही होगा।
रतलाम नगर
रतलाम नगर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव के दौरान बडे भारी उलटफेर हुए थे। रतलाम के कद्दावर नेता पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को अपने जीवन की सबसे बुरी हार का सामना करना पडा था,वहीं कांग्रेस जैसी बडी पार्टी के प्रत्याशी प्रमोद गुगालिया को जमानत खोना पडी थी। निर्दलीय पारस सकलेचा ,कोठारी विरोधी मतों की आंधी पर सवार होकर रतलाम के निर्दलीय विधायक बने थे। इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। इससे पहले के चुनावों तक टिकट की खींचतान सिर्फ कांग्रेस में होती थी क्योकि तब भाजपा का टिकट बिना किसी वाद विवाद के हिम्मत कोठारी को मिल जाया करता था। लेकिन अब श्री कोठारी बत्तीस हजार मतों से हारे हुए नेता हो चुके है। नतीजा यह है कि टिकट को लेकर इस बार भाजपा में भी खींचतान चल पडी है। भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक इतनी करारी हार के बावजूद यदि पार्टी श्री कोठारी को टिकट दे तो अन्य स्थानों पर कम अंतर से हारे नेताओं को किस आधार पर समझाया जा सकेगा। हांलाकि कोठारी समर्थक हाइकोर्ट से जारी हुए फैसले के आधार पर श्री कोठारी की दावेदारी को मजबूत समझ रहे है,लेकिन पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि आम मतदाता में हाइकोर्ट के फैसलें का कोई खास असर नहीं पडा है। श्री कोठारी के प्रति आम मतदाता की नाराजगी में कुछ कमी जरुर हुई है,लेकिन वह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। यह नाराजगी उन्हे फिर तकलीफ दे सकती है। इसी आधार पर भाजपा में नए विकल्पों की खोज जारी है। पार्टी के नेताओं में महापौर शैलेन्द्र डागा समेत कई अन्य नामों पर चर्चा जारी है।
कांग्रेस की खींचतान तो और भी ज्यादा है। निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा की ऐतिहासिक असफलता और हिम्मत कोठारी के प्रति मतदाताओं की नाराजगी के चलते कांग्रेसी नेताओं को जीत की राह आसान लग रही है। नतीजा यह है कि आठ से ज्यादा दावेदार मैदान में मौजूद है। शहर के चौराहों पर चर्चाओं में हर दिन कोई नया नाम आगे आ जाता है। टीवी चैनल और अखबार की खबरें भी इस चर्चा को हवा देती है। हर दिन चर्चाओं में किसी दावेदार को आगे और किसी को पीछे बताया जा रहा है। नतीजा यह है कि बेचारे दावेदारों के मन में कभी उम्मीद जगती है,तो कभी निराशा घर करने लगती है।
जावरा
कमोबेश यही हाल जावरा का भी है। जावरा विधायक महेन्द्रसिंह के मुंगावली जाने की खबरों के बीच जहां कांग्रेस में टिकट को लेकर मारामारी मच रही है ,वहीं भाजपा में डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय की उम्मीदवारी को लेकर बगावत के स्वर मुखर हो चुके है। कोई भी विश्वास के साथ यह कहने की स्थिति में नहीं है कि टिकट किसे मिलेगा।
और करना होगा इंतजार
राजनीतिक वातावरण को ेखा जाए तो लगता है कि इन दो सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को जानने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। विवाद की स्थितियों के चलतेदोनो ही पार्टिंयां आखरी वक्त पर इन स्थानों के प्रत्याशियों की घोषणा करेगी। रतलाम और जावरा का नम्बर आते आते नवंबर महीना भी शुरु हो सकता है।