ज्योति होटल-अन्तत: एसडीएम कोर्ट ने दिया निगम के पक्ष में दिया निर्णय,सिविल कोर्ट में मामला अब भी लम्बित
रतलाम,9 मार्च (इ खबरटुडे)। ज्योति होटल के मामले में करीब ढाई साल तक प्रकरण की सुनवाई करने के बाद आखिरकार आज एसडीएम को हाईकोर्ट के फैसले की याद आई और एसडीएम कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में निर्णय पारित कर दिया। उधर सिविल कोर्ट में देर शाम तक स्टे आर्डर लागू रखने या समाप्त करने के बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया था।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार दो बत्ती स्थित नगर निगम के स्वामित्व वाली ज्योति होटल को लेकर एसडीएम कोर्ट में चल रहा मामला आज अंतिम निर्णय के साथ समाप्त हो गया। इस मामले में दिए गए निर्णय में एसडीएम ने कहा है कि ज्योति होटल की लीज समाप्त हो चुकी है और इन्दौर उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में निर्णय दिया जा चुका है। एसडीएम कोर्ट ने नगर निगम को ज्योति लाज का कब्जा लेने हेतु निर्देशित करते हुए प्रकरण समाप्त कर दिया।
उधर जिला न्यायालय के न्यायिक दण्डाधिकारी एमएस सोलंकी के न्यायालय में देर शाम तक ज्योति होटल के पक्ष में दिए गए स्टे को हटाने या नहीं हटाने के सम्बन्ध में कोई निर्णय नहीं हो सका। उल्लेखनीय है कि सोमवार को सिविल कोर्ट द्वारा ज्योति होटल संचालक के पक्ष में यथास्थिति रखने का आदेश दिया गया था। इस मामले में आज नगर निगम द्वारा जवाब दिया जाना था। नगर निगम की ओर से अभिभाषक संतोष त्रिपाठी ने उत्तर प्रस्तुत कर बताया कि ज्योति होटल के सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में ही स्पष्ट आदेश दिया जा चुका है। एसडीएम कोर्ट में भी मामले का निर्णय हो चुका है। ऐसी स्थिति में ज्योति होटल के पक्ष में यथास्थिति आदेश जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। अत: स्थगनादेश निरस्त किया जाए। अंतिम समाचार लिखे जाने तक न्यायिक दण्डाधिकारी एमएस सोलंकी द्वारा इस मामले में कोई निर्णय नहीं किया गया था। निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है।
एसडीएम को ढाई साल बाद याद आई हाईकोर्ट
उल्लेखनीय है कि ज्योति होटल का कब्जा लिए जाने के मामले में एसडीएम को करीब ढाई साल बाद हाईकोर्ट के निर्णय की याद आई और इसी आधार पर उन्होने निगम के पक्ष में निर्णय दिया। जानकार सूत्रों के मुताबिक एसडीएम का उक्त निर्णय उच्चाधिकारियों द्वारा मिली फटकार के बाद आया है। सामान्यतया ऐसे मामलों में कोई भी पीठासीन अधिकारी सबसे पहले क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर सुनवाई करता है। जिस मामले का निराकरण स्वयं हाईकोर्ट कर चुका हो,उसमें एसडीएम तो क्या स्वयं जिला न्यायाधीश भी सुनवाई नहीं कर सकता। लेकिन ज्योति होटल संचालक,नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी और एसडीएम की मिलीभगत के चलते क्षेत्राधिकार के सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रश्न को देेखा ही नहीं गया और ज्योति होटल संचालक को अवैध लाभ दिलाने के उद्देश्य से इस मामले की सुनवाई बेहद धीमी गति से की जाती रही। जो प्रकरण प्रथम दृष्टया ही प्रचलन योग्य नहीं था और जिसमें हाईकोर्ट गुण दोष के आधार पर निर्णय दे चुका था उस प्रकरण में शहर एसडीएम दोबारा साक्ष्य ले रहे थे। जब यह अनोखा मामला इ खबर टुडे ने उजागर किया,तो प्रशासनिक उच्चाधिकारियों ने इसे संज्ञान में लिया। इसके बावजूद भी एसडीएम इस मामले के निराकरण में टालमटोल करते रहे। इसी का नतीजा यह हुआ कि ज्योति होटल संचालक को सिविल कोर्ट से स्टे मिल गया। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इसके बाद शहर एसडीएम को उच्चाधिकारियों द्वारा जमकर फटकार लगाई गई और तब जाकर मामले का निराकरण हुआ।