जन कल्याण की भावना से ही सुशासन की परिकल्पना साकार होगी
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
रतलाम 10 दिसम्बर (इ खबरटुडे)।जन कल्याण की भावना सुशासन का आधार है। सभी के लिये कल्याण की भावना को लेकर कार्य करें तभी मानवाधिकारों की रक्षा हो सकेगी। मानवाधिकार की वर्तमान परिस्थितियों में जो परिभाषा समझी जाती हैं उसके अनुसार सभी प्राणी मानव में समाहित है।
इसलिये शासन एवं प्रशासन प्रत्येक प्राणी के कल्याण के लिये कार्यरत है। उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कलेक्टोरेट में आयोजित संगोष्ठी में संयुक्त कलेक्टर एस.के.मिश्रा ने व्यक्त किये। उन्होने कहा कि समाज का कल्याण ही मानव का कल्याण है।
लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सहयोग प्रदान करें
मानवाधिकार एवं सुशासन विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में उदबोधन देते हुए सबा खॉन ने कहा कि सुशासन के लिये कार्य में पारदर्शिता हो तथा प्रत्येक व्यक्ति अपना उत्तरदायित्व समझे। जब सक्रिय भागीदारी होगी आपसी सामांजस्य होगा तभी सुशासन आयेगा। शासकीय कार्य प्रणाली में किसी भी समस्या के निराकरण की इच्छा शक्ति आवश्यक है। सुशासन का आशय निर्णय की प्रक्रिया है। उन्होने कहा कि समस्याओं को सुनने और समझने के प्रयास होगे और उसमें जनता की भागीदारी होगी तभी मानवाधिकारों की रक्षा हो सकेगी। अच्छा सुशासन वही हैं जो मानवाधिकारों की रक्षा करें। आज के दिन हम यह संकल्प ले कि स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे तथा दुसरों के अधिकारों की रक्षा करें।
उपभोक्ताओं के संरक्षण से मानवाधिकारों की रक्षा हो सकती है- बी.एन. शुक्ला
उपभोक्ता संरक्षण में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले वरिष्ठ समाजसेवी बी.एन. शुक्ला ने कहा कि उपभोक्ताओं के संरक्षण से मानवाधिकारों की रक्षा हो सकती है। उन्होने कहा कि पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये विशेष प्रयास किये जा रहे है। हमें भी अपने स्तर पर इन प्रयासों में अपना योगदान देना होगा।
अभिभाषक सुभाष भट ने कहा कि प्रत्येक पत्र का उसी दिन निराकरण कर दिया जाये तो सुशासन स्वयं आ जायेगा। किसी भी कार्य को लम्बित रखने से सुशासन में बांधा उत्पन्न होती है। प्रारम्भ में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मानवाधिकारों के संरक्षण की प्रतिज्ञा ली। महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी एम.एल.मेहरा ने आभार व्यक्त किया।