जनप्रतिनिधि,पार्षद सभी चाहते हैं स्विमिंगपुल सस्ता हो,नगर निगम के नेता सुनने को राजी नहीं
रतलाम,11 अप्रैल(इ खबरटुडे)। शहर के बच्चों के लिए बना स्विमिंग पुल उनकी पंहुच से बाहर है। जनप्रतिनिधि,एमआईसी मेम्बर,और आम लोग सभी चाहते हैं कि दरें कम हो,लेकिन नगर निगम के नेता सुनने को राजी नहीं है। वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी तो इसके लिए राज्य शासन को पत्र लिख रहे है कि नगर निगम द्वारा बच्चों के हक पर डाका डाला जा रहा है।
रतलाम में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे तरण ताल की दरें आम आदमी की पंहुच से बाहर कर दी गई है। जब इस बारे में अलग अलग लोगों की राय पूछी गई तो सभी का एक स्वर में कहना है कि स्विमिंग पुल की दरें कम की जाना चाहिए। वहां सुविधाएं बढाना चाहिए। रतलाम नगर निगम के नेताओं को समझना चाहिए कि नगर निगम कोई व्यावसायिक संस्था नहीं है,जो हानि लाभ के आधार पर योजनाएं चलाती है। नगर निगम जनसामान्य को सुविधाएं देने के लिए है,न कि उनसे लूट करने के लिए। वैसे भी स्विमिंग पुल का निर्माण राज्य शासन की मदद से हुआ है,नगर निगम को सिर्फ इसका संचालन करना है।
राज्य शासन को लिखेंगे-कोठारी
मध्यप्रदेश वित्त आयोग के चैयरमेन वरिष्ठ भाजपा नेता हिम्मत कोठारी ने कहा कि जब स्विमिंग पुल का शुल्क बढाया जा रहा था,उसी समय उन्होने विरोध दर्ज कराया था। एक बार तो वे बढे हुए शुल्क को कम भी करवा चुके है। श्री कोठारी ने कहा कि नगर निगम हानि लाभ के आधार पर संचालित नहीं किया जा सकता। स्विमिंग पुल बच्चों की सुविधा के लिए है,लेकिन नगर निगम ने इतना शुल्क बढा दिया है कि सामान्य परिवारों के बच्चे इसका उपयोग ही नहीं कर सकते। श्री कोठारी ने कहा कि उन्होने नगर निगम के नेताओं को शुल्क कम करने के लिए कहा है,लेकिन अब तक राशि घटाई नहीं गई है। श्री कोठारी अब राज्य शासन को इस बारे में पत्र लिखेंगे ताकि स्विमिंग पुल की सुविधा सामान्य लोगों को मिल सके।
बच्चों का हक छीन रहा है नगर निगम-पूर्व महापौर
पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा भी नगर निगम की इस नीति के खिलाफ है। स्विमिंग पुल का निर्माण और शुभारंभ शैलेन्द्र डागा के कार्यकाल में ही हुआ था। श्री डागा के कार्यकाल में स्विमिंग पुल का शुल्क मात्र दस और बीस रु. था। श्री डागा ने कहा कि नगर निगम के इस रवैये के कारण बच्चो का हक मारा जा रहा है। उन्होने कहा कि नगर निगम को स्विमिंग पुल का शुल्क तत्काल कम करना चाहिए।
नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नेत्री यासमीन शैरानी का कहना है कि वे प्रारंभ से ही इसका विरोध कर रही है। निगम महापौर की हठधर्मिता के चलते यह शुल्क वृध्दि की गई है। इसकी वजह से यह सुविधा आम लोगों की पंहुच से दूर हो गई है।
नगर निगम में सांसद प्रतिनिधि कांग्रेस नेता राजीव रावत ने कहा कि निगम की शुल्क वृध्दि के खिलाफ वे पहले ही जिला प्रशासन को पत्र लिख चुके है। राज्य शासन ने नागरिकों के मनोरजंन के लिए तरण ताल का निर्माण करवाया है,किन्तु नगर निगम द्वारा इसके जरिये नागरिकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। यह कतई उचित नहीं है। इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
एमआईसी सदस्य भी नाराज
सामान्य लोग और जनप्रतिनिधि ही नहीं,महापौर परिषद के सदस्य भी इस शुल्क वृध्दि से नाराज है। नगर निगम में नेता पक्ष भाजपा के वरिष्ठ पार्षद और एमआईसी सदस्य प्रेम उपाध्याय का कहना है कि रतलाम में जो स्विमिंग पुल बनाया गया है,वह अन्तर्राष्ट्रिय मापदण्डों के अनुरुप नहीं है। यहां पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं है। इसके बावजूद जो शुल्क लिया जा रहा है,वह बहुत अधिक है। इसे तत्काल कम किया जाना चाहिए। श्री उपाध्याय ने कहा कि जब शुल्क वृध्दि की जा रही थी,उस समय भी उन्होने इसका विरोध किया था। लेकिन फिर भी शुल्क बढा दिया गया।
एमआईसी की एक अन्य सदस्य श्रीमती रेखा जौहरी का कहना है कि जब इस शुल्क वृध्दि का प्रस्ताव लाया गया था,उस समय भी उन्होने विरोध दर्ज कराया था। लेकिन महापौर ने किसी भी बात नहीं सुनी और मनमाने ढंग से शुल्क बढा दिया।
और भी कई गडबडियां
श्रीमती जौहरी का कहना है कि स्विमिंग पुल में कई अनियमितताएं हो रही है। बच्चों को तैराकी सिखाने के लिए दो हजार रु.की मांग की जाती है और इसकी कोई रसीद भी नहीं दी जाती। स्वयं श्रीमती जौहरी दो बच्चों को लेकर स्विमिंग पुल पंहुची थी,तो वहां मौजूद एक ट्रेनर ने तैराकी सिखाने के लिए दो हजार रु. की मांग की। इसकी शिकायत श्रीमती जौहरी ने महापौर व अधिकारियों को भी की थी,लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इसी तरह एमआईसी सदस्य मनीषा शर्मा ने भी स्विमिंग पुल की शुल्क वृध्दि का विरोध किया था,लेकिन महापौर ने एक तरफा ढंग से निर्णय ले लिया।
पूर्व पार्षद और पूर्व एमआईसी सदस्य पवन सोमानी ने कहा कि स्विमिंग पुल उन्ही के कार्यकाल में प्रारंभ हुआ था। तब परिषद ने यह निर्णय लिया था कि यह नागरिकों की सुविधा के लिए है और इसे नाममात्र के शुल्क पर चलाया जाएगा। लेकिन वर्तमान निगम परिषद ने यह नीति बदल दी और अब इससे लाभ कमाने की कोशिश की जा रही है।