जनगणना और NPR पर गृह मंत्रालय की बैठक शुरू, पश्चिम बंगाल ने बनाई दूरी
नई दिल्ली,17 जनवरी (इ खबर टुडे)।देश में नागरिकता कानून और एनसीआर के खिलाफ जारी विरोध के बीच 2021 की जनगणना और NPR को लेकर काम शुरू हो चुका है। इसी कड़ी में आज अंबेडकर भवन में केंद्रीय गृह मंत्रालय की जनगणना तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए एक अहम बैठक शुरू हो गई है।
बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही एलान कर चुकी हैं कि इस बैठक में उनके राज्य का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। उनका आरोप है कि एनपीआर देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की ही एक भूमिका है। अधिकारियों का कहना है कि एनपीआर का लक्ष्य देश के निवासियों की एक व्यापक पहचान का डेटाबेस तैयार करना है। इसमें डेमोग्राफिक तथा बायोमेट्रिक ब्योरे शामिल होंगे।
मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देश भर में जारी विरोध के बीच सरकार ने घरों की सूची बनाने तथा एनपीआर की अधिसूचना जारी कर दी है।मंत्रालय के अधिकारियों के कहना है कि अधिकांश राज्यों ने एनपीआर के प्रावधानों को अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत देश के सामान्य निवासियों को रजिस्टर किया जाएगा। यह रजिस्टर स्थानीय (गांव/उप-शहर), उपजिला, जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकता कानून, 1955 तथा नागरिकता (नागरिकों का पंजीयन तथा राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी करना) नियम, 2003 के तहत बनाया जाएगा।
नियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर एक हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।कानून के तहत ऐसे लोगों को सामान्य नागरिक के रूप में परिभाषित किया गया है, जो किसी क्षेत्र में छह महीने या उससे ज्यादा समय से रह रहे हैं या अगले छह महीने या उससे ज्यादा समय तक वहां रहने का इरादा रखते हैं। इस कानून में भारत के सभी नागरिकों को अनिवार्य रूप से दर्ज करना तथा राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी किया जाना है।