गुरु पूर्णिमा पर महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार की तरफ से ख्यात चिंतक और साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी का सम्मान
रतलाम.,27 जुलाई (इ खबरटुडे)। गुरु पूर्णिमा पर सबसे बड़ी बात यह है कि गुरु और शिष्य का संबंध अनुभूति, चेतना, संस्कृति, प्राकृतिक संबंध होता है। परिवार में माता-पिता, भाई बहन और परिवार के अन्य के बीच रक्त का संबंध होता है किंतु गुरु और शिष्य के बीच अनूभूति, चेतना, संस्कृति, प्रकृति, ध्यान, चिंतन का संबंध होता है। कभी-कभी तो मोक्ष का संबंध भी होता है जिससे गुरु और शिष्य की महत्ता प्रतिपादित होती है। यह बात साहित्याकर और ख्यात चिंतक, कवि प्रो. अजहर हाशमी ने अपने निवास पर कही। महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार
की तरफ से गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उनका शाल ओढ़ाकर व श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया।
शिष्य नाव है तो पतवार है गुरु
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार की तरफ से हुए सम्मान के प्रत्युत्तर में प्रो. हाशमी ने नवरचित कविता का पाठ भी किया। इसमें उन्होंने गुरु की महिमा को प्रतिपादित करते हुए कहा कि शिष्य है नाव तो उस नाव क ी पतवार है गुरु। शिष्य की प्रेरणा, उत्थान का आधार है गुरु, शिष्य को गढ़ता है देता है संस्कार है गुरु। शिष्य में करता है तेज का संचार गुरु। सभी जीवों पर सदा प्रेम की बौछार गुरु। दरअसल सत्य, अहिंसा का यह व्यवहार गुरु।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम के दौरान प्रो. हाशमी का शाल-श्रीफल से सम्मान किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार के तुषार कोठारी, कमलेश पांडेय, सतीष त्रिपाठी, अदिति दवेसर, भारत गुप्ता, श्वेता नागर, नीरज शुक्ला, ओमप्रकाश नागर, इंदर मेहता, कमलसिंह सहित अन्य मौजूद रहे। प्रो. हाशमी ने सभी शिष्य से कहा कि वे अपने गुरु का नाम ऊंचा करे तो निश्चित रूप से स्वयं का नाम भी ऊंचा होगा।