कैसे बचेगी मतगणना की गोपनीयता
मतगणना से उजागर होगी मतदाता की पहचान,कौन होगा इसके लिए दोषी?
रतलाम,6 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों के अनुसार मतगणना के कार्य से जुडे प्रत्येक व्यक्ति को मतगणना की गोपनीयता रखना अनिवार्य है और यदि गोपनीयता भंग होती है तो इसके लिए दण्ड का प्रावधान है। जिले की मतगणना में इस बात की पूरी आशंका है कि मतदाता की पहचान उजागर होगी। अब देखना यह है कि इसके लिए किसी को दण्ड मिलता है या नहीं।
उल्लेखनीय है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 128 (1) व (2) के अनुसार ऐसा हर आफिसर,लिपिक,अभिकर्ता या अन्य व्यक् िजो निर्वाचन में मतों को अभिलिखित करने या उनकी गणना करने से संसक्त किसी कत्र्तव्य का पालन करता है,मतगणना की गोपनीयता को बनाए रखेगा और बनाए रखने में सहायता करेगा और ऐसी गोपनीयता का अतिक्रमण करने के लिए प्रकल्पित कोई जानकारी उस व्यक्ति को संसूचित नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करेगा,वह कारावास से,जिसकी अवधि तीन माह तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होगा। स्पष्ट है कि भारत का संविधान मतदाता को उसका मत गोपनीय रखने का अधिकार देता है। ताकि मतदाता की सुरक्षा प्रभावित ना हो सके।
लेकिन रतलाम जिले में एक स्थान पर स्थितियां ऐसी बन गई है कि मतदाता की पहचान उजागर होना तय है। अब देखना है कि निर्वाचन कार्य में लगे जिम्मेदार अधिकारी मतदाता की पहचान को किस तरह गोपनीय रख सकेंगे। उल्लेखनीय है कि जिले की विधानसभा क्र.223 आलोट के ग्राम नाकटवाडा के ग्रामीणों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर मतदान का बहिष्कार कर दिया था। इस मतदान केन्द्र पर कुल चार सौ मतदाता है। विधानसभा क्षेत्र क्र.223 आलोट के मतदान केन्द्र क्र. 78 नाकट वाडा पर जब सारा दिन कोई मतदाता मत डालने नहीं पंहुचा तब प्रशासन के स्थानीय अधिकारियों ने काफी मान मनुहार के बाद जैसे तैसे एक व्यक्ति को मत डालने के लिए तैयार किया। प्रशासनिक अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद इस मतदान केन्द्र पर एक मतदाता के अलावा कोई और मत देने को राजी नहीं हुआ। थक हार कर अधिकारियों ने एक ही मत लेकर अपनी लाज बचाई और मतदान के बहिष्कार को झुठलानेे की कोशिश की।
अब स्थिति यह है कि आलोट के मतदान केन्द्र क्र 78 की इवीएम में सिर्फ एक वोट डाला गया है। गांव भर के लोग जानते है कि मतदान किसने किया है। मतगणना के दौरान जब इस इवीएम की गणना की जाएगी तो यह पता चल जाएगा कि डाला गया मत किस प्रत्याशी को दिया गया है। इस प्रकार मतदाता की पहचान सामने आ जाएगी। यदि मतदाता की पहचान सामने आ जाती है,तो यह सीधा सीधा लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 128 का उल्लंघन होगा। अब इस उल्लंघन के लिए दोषी किसे माना जाएगा? जिला निर्वाचन अधिकारी को या सम्बन्धित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी को? और जो कोई भी इसके लिए दोषी होगा क्या उसे दण्डित किया जा सकेगा?