कहीं हिंदू बहन मुस्लिम भाई को, तो कही मुस्लिम बहन हिंदू भाई को बांधती हैं राखी
लखनऊ, 07 अगस्त(इ खबरटुडे)। रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम के साथ-साथ देश की गंगा-जमुनी तहजीब को भी मजबूत करता है. इलाहाबाद और रायबरेली में राखी का त्योहार हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है. यहां का एक मुस्लिम परिवार अपनी मुंहबोली बहनों से हर साल राखी बंधवाकर इन बहनों की हिफाजत का वादा करता है. ऐसे ही बुंदेलखंड मुस्लिम महिलाएं सिर्फ राखी बनाने की ही काम नहीं करतीं, बल्कि उसे हिंदू भाइयों की कलाई पर बांध कर अपनी रक्षा का वचन भी लेती हैं. देश के कई शहरों में इस तरह की मिसाल मौजूद है, जहां रक्षाबंधन के जरिए भाई बहन के साथ-साथ देश की हिंदू मुस्लिम एकता की डोर को भी मजबूत करता है. इस तरह के एक या दो नहीं बल्कि कई उदाहरण हैं…
कुरैशी और यादव परिवार का रक्षाबंधन
रायबरेली जिले के ऊंचाहार कस्बे का एक कुरैशी परिवार बड़ी आस्था के साथ रक्षाबंधन के त्योहार को मनाता है. कुरैशी परिवार के मुखिया मोहम्मद अहमद कुरैशी की दो मुंहबोली बहने अंजू यादव और वंदना यादव हैं, जो हर साल उन्हें राखी बांधती हैं. इस पवित्र त्योहार को कुरैशी परिवार का हर सदस्य बड़े उत्साह के साथ मनाता है. अहमद कुरैशी बताते हैं कि उन्हें ये विरासत अपने पिता से मिली है, जिस परंपरा का निर्वाहन लगातार वो कर रहे हैं. अहमद का कहना है कि बचपन के उनके पिता की दो मुंह बोली बहनें थी, जो हर साल अनके पिता के साथ-साथ उन्हें और उनके छोटे भाई को राखी बंधाती थी. वह इस तरह के त्योहारों को समाज में सकारात्मक संदेश देने वाला बताते हैं. इससे रिश्तों में मिठास के साथ आपसी भाईचारा भी बढ़ता है. उनकी मुंहबोली बहन वंदना और अंजू का कहना है कि वह वर्षों से अपने भाई को राखी बांधने उनके घर पहुंचती हैं. यहां राखी बांधकर वह अपने भाई की सलामती और समृद्धि की दुआ करती हैं. वहीं भाई की ओर से उन्हें उनकी हिफाजत का आश्वासन मिलता है.
मुस्लिम सहपाठी बना हिंदू बहन का भाई
ऐसे ही इलाहाबाद के मोहम्मद जाहिद हैं, जिनकी चार मुंहबोली हिंदू बहने हैं. ये चारों बहने अपने सगे भाई से पहले जाहिद को राखी बांधती है. जाहिद बताते हैं कि ये त्योहार कोई धार्मिक त्योहार नहीं हैं, बल्कि सामाजिक है. 1995 के दौर में जब वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ा करते थे. उनके साथ पढ़ने वाली दो लड़कियां मानसी गुप्ता और अल्का श्रीवास्तव को छुट्टी के बाद कुछ बाहरी लड़के छेड़छाड़ करने लगे. जाहिद अपने कुछ दोस्तों के उन दोनों छात्राओं का बचाव किया और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाने का काम किया. इस घटना के कुछ दिन के बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार आ गया, तो मानसी गुप्ता और अल्का श्रीवास्तव ने कक्षा में सभी छात्रों के सामने परीक्षा कापी बांधने वाले धागे से उनके हाथ में बांध दिया. इसके बाद सहपाठी का रिस्ता भाई बहन में बदल गया. जाहिद बताते हैं कि 20 साल से ये दोनों बहने मेरी कलाई पर राखी बांध रही हैं.
हादसे ने बनाया भाई-बहन
मोहम्मद जाहिद को राखी बांधनी वाली दो और भी हिंदू बहने हैं. इनका नाम गरिमा चोपड़ा और प्रियंका चोपड़ा है. जाहिद बताते हैं कि एक बारात से जब वो वापस आ रहे थे, तो उनकी कार में गरिमा और प्रियंका भी वापस आ रही थी. संयोग से कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और गरिमा को चोट लग गई. इस दुर्घटना के बाद जाहिद ने जो चिकित्सा संभव हो सकीउसे उपलब्ध कराया और दोनों बहनों को उनके घर तक पहुंचाया. इसके बाद जब रक्षाबंधन आया तो गरिमा चोपड़ा और प्रियंका चोपड़ा ने उनकी कलाई पर राखी बांधकर बहन की रस्म निभाई. जाहिद कहते हैं कि तब से लगातार इन चारों मुंहबोली बहनों से राखी बंधवाने का काम करता हूं.
मुस्लिम बहनें बनाती और बांधती हैं हिंदू भाइयों को राखी
जबकि बुंदेलखंड में मुस्लिम महिलाएं सिर्फ राखी का बनाने का ही काम नहीं करतीं, बल्कि उसे हिंदू भाइयों की कलाई पर बांध कर अपनी रक्षा का वचन भी लेती हैं. एक ऐसी ही मुस्लिम महिला है जमीला खातून जो पिछले दो दशक से राखी बनाने के अलावा अपने मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में ‘राखी’ बांधती आ रही है. बांदा शहर में रहुनिया और खुटला मुहल्ले के तीन दर्जन मुस्लिम परिवार राखी बनाने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इनमें से एक जमीला खातून का परिवार दो दशक से सिर्फ राखी ही नहीं बनाता, बल्कि जमीला खुद अपने एक मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में हर साल पहली राखी बांधती है. वह बताती है कि उसका पूरा परिवार दो दशक से राखी बनाने का व्यवसाय कर रहा है और वह खुद कई साल से अपने एक हिंदू भाई की कलाई में राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती है.
इतना ही नहीं, एक-दूसरे के हर त्योहार दोनों समुदायों के लोगों के बीच मिलजुल कर मनाने की परंपरा जैसी है. ईद में हिंदू सेवइयों का स्वाद लेते हैं तो दशहरा में मुस्लिम ‘पान’ खाकर सामाजिक सौहार्द कायम करते हैं.