कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने का प्रस्ताव पास,सीमा पर रहने वालों को भी आरक्षण मिलेगा
नई दिल्ली,28 जून (इ खबरटुडे)।गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो प्रस्ताव पेश किए, जो सदन से पास हो गए। शाह ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि 3 जुलाई से 6 महीने के लिए बढ़ाने और कश्मीर में सीमा के पास रहने वाले लोगों को आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा था। इस दौरान शाह ने कहा कि रमजान, अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने बाद में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। इस साल के अंत तक वहां चुनाव कराए जाएंगे।सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान
शाह ने कहा, ‘‘हमने जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षण कानून संशोधन विधेयक, 2019 के तहत राज्य के कमजोर, पिछड़ा वर्ग और अंतराष्ट्रीय सीमा के करीब रहने वाले लोगों के लिए नए सिरे से आरक्षण का प्रावधान किया है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को शेल्टर होम में रहना पढ़ता है। कई दिनों तक बच्चों को यहां रहना पड़ता है। स्कूल बंद रहते हैं। उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जा रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर के साढ़े तीन लाख लोगों को फायदा होगा। यह आरक्षण कानून में संशोधन का प्रस्ताव किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों के हितों के लिए है।’’
आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा में पेश हुआ था
पिछले दिनों केंद्रीय राज्य गृहमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया था। इसके जरिए आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया जाएगा। बिल पास होने से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। संशोधन के मुताबिक, एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले व्यक्ति अगर सुरक्षा कारणों से वहां से चले गए हों, तो उन्हें भी आरक्षण का फायदा मिल सकेगा।
अनुच्छेद 370 की प्रकृति अस्थाई है: गृह मंत्री
शाह ने आगे कहा, ”सरकार ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्थाएं बढ़ाने के लिए 2307 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। राज्य के 919 लोगों की सुरक्षा हटाई है। वहां उन्हें कोई खतरा नहीं है। जम्मू-कश्मीर में लोग भारत के खिलाफ बोलकर सुरक्षा हासिल कर लेते थे। जबकि असल खतरा तो उन्हें है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए आवाज उठाते हैं। अब तक जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा था? यह भाजपा सरकार थी, जिसने इन दोनों संगठनों पर कार्रवाई की। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 की प्रकृति अस्थाई है।”