कल्पसूर्त नौ बार सुनने वाले को मिलता है मोक्ष – राष्ट्रसन्तश्री
रतलाम 1 सितम्बर(इ खबरटुडे)। कल्प का मतलब मर्यादा होता है और कल्पसूर्त मर्यादा की बात सिखाने वाला सूर्त है । मर्यादा में रहने वाला जीव अपने जीवन को सुख और शांतिपूर्वक आगे बढ़ा सकता है। कल्पसूर्त को सुनने के बाद जो व्यक्ति मर्यादा सीख लेता है, वह महान बन सकता है। कल्पसूर्त को सुनने के बाद जीवन में उतारना चाहिए अन्यथा प्रतिवर्ष कल्पसूर्त सुनें और जीवन में उसका अस्तित्व न हो तो कोई मतलब नहीं रह जाता। ज्ञानी कहते हैं नौ बार कल्पसूर्त सुनने वाले को नौवें भव में मोक्ष मिल जाता है।
यह उद्गार राष्ट्रसन्त, वत्र्तमानाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किए। जयन्तसेन धाम में पर्युषण पर्व के चौथे दिन मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. के मुखारविन्द से सुबह कल्पसूर्त का वाचन शुरू हुआ। इससे पूर्व चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार के सिद्धार्थ काश्यप ने कल्पसूर्त की पूजा की। वाचन के पहले दौर के बाद राष्ट्रसन्तश्री ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कल्पसूर्त में अपने और पूर्व काल में हुए जीवों की कथा के साथ परमात्मा के जीवन की बातों का अद्भुत समावेश है। मर्यादा सब की होती है, छोटे-बड़े, माता-पिता और गुरुजनों की मर्यादा का पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए। कल्पसूर्त सुनने के बाद जीवन मर्यादामय बनना चाहिए। भगवान के दो शब्द भी जीवन को उज्जवल और समृद्ध कर देते हैं। कल्पसूर्त में भगवान का सम्पूर्ण जीवन सुनने को मिलेगा, वे भी मनुष्य थे। उन्होंने अपने स्वरुप को मानव से कैसे महामानव व परमात्मा के रुप में तब्दील किया, यह जानने को मिलेगा। उसे नियमित श्रवण करें। दोपहर में मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी, श्री पविर्तरत्न विजयजी एवं श्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. द्वारा कल्पसूर्त का वांचन किया गया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ अमोलकदास र्तिभुवनदास (थरादवाला) ने लिया।
परमात्मा का जन्मोत्सव आज –
राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में जयन्तसेन धाम में प्रथम बार 2 सितम्बर को जन्म कल्याणक का भव्य आयोजन होगा। सुबह 8.30 बजे कल्पसूर्त का वांचन, 10.30 बजे स्वप्नाजी, कल्पवृक्ष एवं पालनाजी की बोलियों के साथ प्रभु का जन्म वांचन होगा तथा 11.30 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस मौके पर र्तिस्तुतिक संघ एवं अतिथियों का साधार्मिक स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया है। रार्ति में श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय एवं दादा गुरुदेव राजेन्द्रसूरि मंदिर में भव्य अंगरचना की जाएगी। 3 सितम्बर को रार्ति 8.00 बजे संगीतमय धार्मिक स्तवन पर आधारित तम्बोला का आयोजन होगा, जिसके टिकटों का वितरण 2 सितम्बर तक किया जाएगा। पर्युषण पर्व के दौरान केश लोच का संस्कार निरंतर जारी है। गुरुवार को राष्ट्रसन्तश्री की प्रेरणा से मासक्षमण की तपस्या कर रहे संतोष कुमार आजाद कुमार जैन (पिपलौदावाले) ने 26 वें उपवास पर मुनिराजश्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. के हाथों केश लोच करवाया।
संतों के मिलन से पावन हुआ जयन्तसेन धाम –
गुरुवार को जयन्तसेन धाम में दो वरिष्ठ संतों के मिलन ने धरा को पावन कर दिया। राष्ट्रसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. से मिलने अखण्ड ज्ञान आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी श्री स्वरुपानन्दजी महाराज पधारे। उन्होंने राष्ट्रसन्तश्री की कुशलक्षेम पूछने के बाद उन्हें भागवत गीता भेंट की। राष्ट्रसन्तश्री ने भी स्वरचित साहित्य भेंट किया। इस मौके पर चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने महामण्डलेश्वर स्वामीजी का शॉल, श्रीफल से स्वागत-सम्मान किया। इस दौरान पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा, भाजपा जिला उपाध्यक्ष मनोहर पोरवाल, श्रीसंघ के सुशील छाजेड, राजकमल जैन, स्वामीजी के साथ आए देवस्वरुपजी, कैलाश जाट, अम्बर जाट, राजेन्द्र पुरोहित, छोटू सूर्यवंशी, अनोखीलाल दुबे आदि उपस्थित थे।