November 15, 2024

ऐंटी सैटलाइट हथियार: दुर्लभ होने के साथ बेहद खतरनाक भी था यह टेस्ट

नई दिल्ली,27 मार्च(ई खबर टुडे)। भारत ने बुधवार को ऐंटी-सैटलाइट हथियार का टेस्ट किया। पीएम मोदी ने खुद राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की जानकारी दी। भारत ने सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ए-सैट का परीक्षण किया। ए-सैट ने 300 किमी की ऊंचाई पर एक पुराने सैटलाइट को निशाना बनाया जो अब सेवा से हटा दिया गया है। यह पूरा अभियान मात्र 3 मिनट में पूरा हो गया। इस सैटलाइट किलर मिसाइल के महत्‍व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी घोषणा खुद पीएम मोदी ने की। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कुछ ही समय पहले भारत ने एक अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त की है। भारत ने दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर नाम दर्ज करा दिया है। भारत से पहले यह उपलब्धि सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी।’ भारत द्वारा किया गया यह टेस्ट बेहद दुर्लभ और खतरनाक भी था।

अमेरिका ने किया पहला टेस्ट
अमेरिका ने पहला ऐंटी-सैटलाइट टेस्ट 1959 में किया था। यह उस समय की बात है, जब सैटलाइट होना ही बेहद दुर्लभ और नया था। इसके कुछ समय बाद ही सोवियत यूनियन ने ऐसा ही एक टेस्ट किया। सोवियन यूनियन ने 1960 और 1970 में यह टेस्ट किया। रूस ने ऐसे हथियार का टेस्ट किया, जिसे ऑर्बिट में लॉन्च किया जा सकता है, जो दुश्मन की सैटलाइट तक पहुंच सकता है और उसे तबाह कर सकता है।

इसके बाद अमेरिका ने 1985 में एफ-15 फाइटर जेट से एजीएम-135 का परीक्षण किया और अमेरिकी उपग्रह सोलविंड पी78-1 को तबाह किया। इसके बाद 20 साल तक कोई परीक्षण नहीं हुआ।

इसके बाद 2007 में चीन भी इस दौड़ में शामिल हो गया। चीन ने टेस्ट करते हुए अपने मौसम की जानकारी देने वाले उपग्रह को तबाह किया। इस टेस्ट में इतिहास का मलबे का सबसे बड़ा गुब्बार बना।

इसके अगले साल अमेरिका ने ऑपरेशन बर्न्ट फॉर्स्ट को अंजाम दिया। इसमें एक शिप का इस्तेमाल करते हुए एसएम-3 मिसाइल का इस्तेमाल कर खुफिया सैटलाइट को तबाह किया।

डेबरिस
ऐंटी सैटलाइट टेस्ट से निकला मलबा दूसरी सैटलाइट और स्पेसक्राफ्ट के लिए समस्या पैदा कर सकता है। मलबे के छोटे-छोटे कण स्पेस में राइफल बुलेट से भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंटरनैशनल स्पेस सेंटर किसी भी तरह के मलबे से बचने के लिए नियमित तौर पर अपने ऑर्बिट को बदलते रहते हैं।

चीन के 2007 के टेस्ट को अब तक का सबसे विध्वंसकारी टेस्ट माना जाता है। इस टेस्ट के बाद काफी मात्रा में मलबा स्पेस में ही रह गया था। चीन ने यह टेस्ट स्पेस में करीब 800 किमी की दूरी पर किया था।

भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि उसने इस टेस्ट को काफी नीचे किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे निकला मलबा स्पेस में न रहे और जो मलबा बचता है, वह कुछ हफ्तों में धरती पर आ जाए।

अमेरिकी सेना के लिए ऑर्बिट में मलबे की पहचान करने वाले यूएस स्ट्रैटेजिक कमांड ने बुधवार के भारत के टेस्ट पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

मिलिटरी इस्तेमाल
शत्रु के ऐसे सैटलाइट को तबाह करना, जो युद्ध में गोपनीय जानकारी मुहैया करा सकता है, इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। बुधवार को हुए सैटलाइट टेस्ट के जरिए भारत ने अन्य देशों के सैटलाइट के लिए खतरा बढ़ा दिया है।

पाकिस्तान के साथ भारत का तनाव किसी से छिपा नहीं है। बीते दिनों भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान के ऑर्बिट में कई सैटलाइट हैं। इन सैटलाइट को पाकिस्तान ने चीनी और रूस के रॉकेट के जरिए लॉन्च किया था।

इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज के सीनियर फैलो अजय लेले ने कहा, ‘भारत के प्रतिद्वंद्वी चीन द्वारा 2007 में यह टेस्ट करने की वजह से भारत पर भी इसका दबाव था। भारत ने क्षेत्र में यह संदेश देने की कोशिश की है कि भारत इस क्षेत्र में भी किसी से पीछे नहीं है।’

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