एक और कामयाबी: ‘मिशन शक्ति’ के बाद अब ISRO ने लॉन्च किया दुश्मन की रडार का पता लगाने वाला सैटेलाइट
नई दिल्ली, 01 अप्रैल (इ खबर टुडे)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने एमिसैट सैटेलाइट (EMISAT) लॉन्च कर इतिहास रच दिया है. इसरो ने भारत के एमीसैट उपग्रह के साथ विदेशी ग्राहकों के 28 नैनो उपग्रह लेकर जा रहे इसरो के पीएसएलवी सी45 का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया और उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया. एमिसैट (EMISAT) का प्रक्षेपण रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) के लिए किया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट पर सुबह 6.27 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई. एमिसैट के साथ रॉकेट तीसरे पक्ष के 28 उपग्रहों को ले गया और तीन अलग-अलग कक्षों में नई प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन भी किया.
27 घंटे की गिनती खत्म होने के बाद इसरो के विश्वसनीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-क्यूएल के नए प्रकार करीब 50 मीटर लंबे रॉकेट का यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोट अंतरिक्ष केंद्र से सुबह नौ बजकर 27 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया. एमीसैट उपग्रह का उद्देश्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है. इसरो के अनुसार, प्रक्षेपण के लिए पहले चरण में चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स से लैस पीएसएलवी-क्यूएल रॉकेट के नए प्रकार का इस्तेमाल किया जाएगा. पीएसएलवी का भारत के दो अहम मिशनों 2008 में ‘‘चंद्रयान” और 2013 में मंगल ऑर्बिटर में इस्तेमाल किया गया था. यह जून 2017 तक 39 लगातार सफल प्रक्षेपणों के लिए इसरो का सबसे भरोसेमंद और बहु उपयोगी प्रक्षेपण यान है.
इस मिशन में इसरो के वैज्ञानिक तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों और पेलोड को स्थापित किया गया, जो एजेंसी के लिए पहली बार हुआ. अन्य 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में लिथुआनिया के दो, स्पेन का एक, स्विट्जरलैंड का एक और अमेरिका के 24 उपग्रह शामिल हैं. इसरो ने बताया कि इन सभी उपग्रहों का वाणिज्यिक समझौतों के तहत प्रक्षेपण किया जा रहा है. फरवरी में इसरो ने फ्रेंच गुआना से भारत का संचार उपग्रह जीसैट-31 प्रक्षेपित किया था.
लॉन्चिंग से पहले इसरो (ISRO) ने कहा था कि रॉकेट पहले 436 किग्रा के एमिसैट को 749 किलोमीटर के कक्षा में स्थापित करेगा. इसके बाद यह 28 उपग्रहों को 504 किमी की ऊंचाई पर उनके कक्षा में स्थापित करेगा. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसके बाद रॉकेट को 485 किमी तक नीचे लाया जाएगा जब चौथा चरण/इंजन तीन प्रायोगिक भार ले जाने वाले पेलोड के प्लेटफॉर्म में बदल जाएगा. इस पूरे उड़ान क्रम में 180 मिनट लगेंगे.