उत्तराखंड के लिए भैरवगढ जेल के कैदियों का दिल पसीजा
सुधाकर से प्रेरित होकर एक समय भोजन का पैसा दान करने का प्रस्ताव
उज्जैन,27 जून(इ खबर टुडे / सौरभ यादव)। उत्तराखंड की आपदा देख और सुनकर भैरवगढ सेंट्रल जेल के कैदियों का दिल दर्द से भर पडा है। 600 से अधिक कैदियों ने एक समय भूखा रहते हुए उससे बचने वाली राशि को राहत कोष में दान की पेशकश जेल प्रशासन से की है। जेल प्रशासन इस प्रस्ताव को जेल मुख्यालय भेज कर मशविरा ले रहा है।
मालवा का डाॅन सुधाकर मराठा ने बुधवार को रतलाम पेशी पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष एक आवेदन पेश कर एक माह तक एक समय भूखा रहकर उससे बची भोजन की राशि उत्तराखंड पीडितों के लिए दान की पेशकश की थी। इस पर न्यायालय ने जेल प्रशासन का अभिमत मांगा है। सुधाकर से प्रेरित होकर गुरूवार को जेल के 600 के लगभग कैदियों और बंदियों ने इस प्रस्ताव को अपनी ओर से जेल प्रशासन के समक्ष रखा है। प्रस्ताव के तहत इन सभी कैदियों और विचाराधीन बंदियों ने एक समय का भोजन एक माह तक त्यागते हुए उससे बचने वाली राशि को उत्तराखंड पीडितों के लिए समर्पण की इच्छा अपने प्रस्तावित आवेदन में की है।
मैन्युअल में नहीं सुविधा
इधर जेल प्रशासन से जुडे सूत्र बताते हैं कि जेल मैन्युअल में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है। इसी को लेकर जेल प्रशासन असमंजस की स्थिति में है और उसने कैदियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्तावित आवेदन को जेल मुख्यालय की ओर प्रेषित किया है।
मानवीयता जाग्रत
सेंट्रल जेल भैरवगढ से आया यह संदेश इस बात का द्योतक है कि जेल में बंद कैदी और बंदी भी राष्ट्रीय आपदा को देखकर द्रवित हुए हैं। उन्हें मानवीयता पर आए इस प्राकृतिक संकट ने झकझोर कर रख दिया है। ऐसा नहीं है कि यह आकस्मिक रूप से हुआ है। जेल प्रशासन निरंतर पिछले कई माह से जेल अधीक्षक संजय पाण्डे के नेतृत्व में मानवीय दृष्टिकोण अपनाए हुए है। कैदियों का मुलाकाती कक्ष आधुनिक किया गया है। परिजन अब अपने कैदी का मुंह साफ तौर पर देख पाते हैं। कांच की दीवार के एक साइड परिजन और दूसरी ओर कैदी टेलीफोन पर बतियाते हैं, दुःख-सुख बांटते हैं। यही नहीं जेल में कैदियों में राष्ट्रभक्ति की भावना भरी जा रही है। इसके लिए सुबह राष्ट्रगान होता है और शाम को राष्ट्रगीत। जेल में बंद 2000 से अधिक कैदी-बंदी एक साथ गाते हैं।
क्या कहते हैं अधीक्षक
करीब 400-600 कैदियों ने इस तरह का प्रस्ताव दिया है। हमने उन्हें सुझाव दिया है कि वर्तमान में वे उनके पास की राशि और मुलाकात में मिली राशि दान कर सकते हैं। कैदियों का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है। इसमें अहम बात कैदियों-बंदियों का मानवीय दृष्टिकोण देखा जाना चाहिए।
-संजय पाण्डे, अधीक्षक, सेंट्रल जेल भैरवगढ, उज्जैन